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सीएमओ को अधिकार ही नही है आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों के खिलाफ दण्डनात्मक कार्यवाही करने का



मधुसूदन सिंह

बलिया।। आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों के अस्पतालों पर मुख्यचिकित्साधिकारी बलिया और इनके नोडल अधिकारी की लगातार छापमारी और कार्यवाही पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। झोलाछाप चिकित्सकों के नाम पर जिस तरह से आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों को परेशान पूरे प्रदेश मे किया जा रहा है, यह प्रकरण अब इनके लिए जीवन मरण का प्रश्न बन गया है। ऐसे मे क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी बागपत की कड़ी चिट्ठी के सीएमओ को आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सकों के खिलाफ की गयी कार्यवाही को भी वापस लेने के लिये विवश होना पड़ेगा।

बता दे कि बलिया जैसे ही बागपत मे भी सीएमओ की टीम द्वारा आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों को और इनके अस्पतालों को झोलाछाप चिकित्सक और अवैध तरीके से संचालित बताकर एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही आर्थिक शोषण का क्रम चलाया गया था। जहां आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों के संगठनों ने इसका जोरदार विरोध करते हुए क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी से शिकायत की। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी ने सीएमओ बागपत को कड़ी चिट्ठी लिख कर जबाब मांगा है।




क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी ने अपने पत्र के माध्यम से सीएमओ को बता दिया है कि आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों के खिलाफ कार्यवाही करने का सीएमओ को कोई अधिकार ही नही है। कहा है कि ऐसे किसी चिकित्सक के खिलाफ कोई गंभीर शिकायत मिलती है तो इसकी सूचना क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी को लिखित मे प्रेषित की जाय। जांच करने का सीएमओ को अधिकार नही है।

क्षेत्रीय आयुर्वेदिक व यूनानी अधिकारी ने यह भी कहा है कि आरोप सिद्ध होने पर UP INDIAN MEDICINE ACT 1939 के प्राविधानों के अन्तर्गत कार्यवाही होगी, न कि INDIAN MEDICINE ACT 1956 के प्राविधानों के अंतर्गत कार्यवाही होगी। बता दे कि आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सकों पर UP INDIAN MEDICINE ACT 1939 लागू होता है जबकि ऐलौपैथिक चिकित्सकों पर INDIAN MEDICINE ACT 1956 के प्राविधान लागू होते है।

अपने पत्र के अंत मे  कहा है कि प्राप्त शिकायत प्रार्थना पत्रों को संलग्न कर इस आशय से प्रेषित किया जा रहा है कि गंभीर आरोपों का स्पष्ट जबाद शीघ्र प्रदान करने का कष्ट करें ताकि सम्बन्धित संगठनों को उससे अवगत कराया जा सके। साथ ही यह भी अनुरोध है कि भविष्य में क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण न हो तथा नैसर्गिक न्याय के विपरीत गलत ढंग से हमारे पंजीकृत चिकित्सकों के विरुद्ध की गयी कार्यवाही को भी वापस किया जाना न्याय संगत होगा। अपने अपने विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों का दायित्व है कि झोलाछाप / अपंजीकृत चिकित्सकों पर विधि के अनुरूप कठोर कार्यवाही करने / कराने में सहयोग करें।