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कम्पोजिट विद्यालय दुमदुमा की जांच करने के लिए बीएसए का दौरा आज, खुलेगा प्रधान और हेडमास्टर की मिली भगत का राज



बलिया।। हनुमानगंज ब्लॉक के दुमदुमा स्थित कम्पोजिट विद्यालय मे मंगलवार को मिले खाद्यान्न के बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी बलिया मनीराम सिंह आज विद्यालय का निरीक्षण करने पहुंचेगे। बता दे कि एमडीएम के नाम पर हेडमास्टर द्वारा जांच मे पहुंचे खंड शिक्षा अधिकारी अनूप गुप्ता को भी दिग्भ्रमित करने का प्रयास किया गया।

अब सवाल यह उठता है कि एमडीएम मे ऐसा घोटाला क्या सिर्फ यही हुआ है या ऐसा पूरे जनपद मे हुआ है? जांच का प्रश्न यह है कि अप्रैल का खाद्यान्न 20 सितंबर तक क्यों नही वितरित हुआ? कायाकल्प के नाम पर कितने पैसे का गबन हुआ, यह भी जांच का विषय होना चाहिये।

यह भी जांच होनी चाहिये कि समरसेबुल प्रधान ने लगवाया है या विद्यालय ने? उर्दू अध्यापक की यहां नियुक्ति है जबकि यहां उर्दू पढ़ाया ही नही जाता है, आखिर सरकारी धन का अपव्य क्यों?

यह जांच महत्वपूर्ण है कि इस विद्यालय मे कोरोना काल मे जब हर जगह संख्या कम थी तो यहां 129 छात्रों की संख्या कैसे थी? आखिर कोरोना खत्म होने के बाद ये बच्चें कहां चले गये? सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इसमें कम्प्यूटर आपरेटर की भी महत्वपूर्ण है। आखिर एकाएक संख्या कैसे घट  गयी? अप्रैल से पहले के छात्रों की संख्या नाम पता का अगर जांच करा दिया जाय तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा।



 इस विद्यालय पर S.M.C.की मीटिंग आज तक नही हुई है। S.M.C अध्यक्ष से ब्लैंक चेक कटवा लिए जाते है। विद्यालय में समर सेबल प्रधान ने लगवाए है। टाइल्स प्रधान लगवाए है। शौचालय N.G.O.से बना है। जूनियर की फर्श में गढ़ा है,बेंच तथा जंगला में पल्ला नही है। ऑफिस में जूनियर ऑफिस की खिड़की का पल्ला टूटा है

 कक्षा 8 की पहली घंटी डॉक्टर हिफिजुला की है जो आज तक  किसी कक्षा को नहीं पढ़ाए है। न तो शिक्षक डायरी है। दोनो की मिली भगत है। 11 बजे के बाद स्कूल जाते है और 12 बजे चले जाते है। बच्चो से पूछा जा सकता है की हिफिजुल्ला किस कक्षा में क्या पढ़ते है। डॉक्टर राजधानी किलिनिक चलाते है और आफताब स्कूल  लुटते है।दोनो की मिली भगत इस  तरह है की कोई कुछ भी कर सकता जब तक दोनो का प्रशासनिक स्थानांतरण यहां से नही होगा तब तक स्कूल नही सुधरेगा। दोनो की मिली भगत से कंपोजिट ग्रांट का पैसा सीधे खा जाते है। 

 कंपोजिट विद्यालय की सीमा अर्थात दुमदुमा गांव में एक भी मुसलमान नहीं रहते है फिर भी दूसरे गांव के बच्चों का नाम चलाकर खदान और ड्रेस, वजीफा का पैसा खा जाते है। फर्जी बच्चों की संख्या चलाते है  ज्यों ज्यों असली बच्चो की संख्या बढ़ी 30 अप्रैल को नाम बीआरसी से मिलकर 87 बच्चो की संख्या कर दिया गया ।