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नियमों की धज्जियां उड़ाकर संचालित है विद्यालय के बगल मे लगभग आधा दर्जन देशी अंग्रेजी बियर के गोदाम, गोदाम से ही बच्चे बच्चियां पकड़ती है स्कूल बस



मधुसूदन सिंह

बलिया।। राजस्व वसूली के नाम पर नौनिहालो के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का बड़ा मामला सामने आया है। आबकारी विभाग के अधिकारियो की मिलीभगत कहे या लापरवाही, नर्सरी से इंटर तक चलने वाले सह शिक्षा वाले विद्यालय के बगल मे ही आधा दर्जन के करीब देशी अंग्रेजी व बियर का बफर गोदाम आबकारी नीति की धज्जियां उड़ाते हुए खोला गया है और इस पर किसी भी अधिकारी का ध्यान ही नही है। हद तो तब है जब शराब के गोदाम के कैंपस मे ही विद्यालय अपनी बसों को खड़ा करके छात्र छात्राओं को बैठाता  है। ऐसे मे नौनिहालो के दिमाग़ मे कैसी धारणा पनपती होगी कहा नही जा सकता है।




यह वाक्या हो रहा है बहेरी लखनऊ रोड पर स्थित कृष्णा टाकीज के कैंपस मे। बता दे कि वर्षो से बंद पड़े कृष्णा टाकीज को इसके मालिक द्वारा इसमें देशी अंग्रेजी और बियर के थोक विक्रेताओं को भाड़े पर गोदाम के रूप प्रयोग करने की इजाजत दे रखी है। यह भी सूच्य हो कि जिस भवन मे सेंट जेवियर्स नामक विद्यालय चलता वह भी कृष्णा टाकीज के मालिक का ही है। वही यह विद्यालय लगभग दो दशक से अधिक वर्षो से संचालित है और इसमें नर्सरी से लेकर इंटर तक छात्र व छात्राएं एक साथ शिक्षा ग्रहण करते है। शराब के गोदाम होने से पहले भी इस कैंपस मे विद्यालय की बसें खड़ी होती थी।



ऐसे मे सावल यह उठता है कि चाहे विद्यालय संचालक हो या आबकारी विभाग के अधिकारी हो, नौनिहालो को क्या सन्देश देना चाह रहे है? शराब की गाड़ियों पर लदने वाली पेटियां क्या इनके दिमाग़ पर असर नही डाल रही होगी, यह सबसे बड़ा सवाल है।

क्या कहता है आबकारी नियम

प्रदेश सरकार द्वारा अंग्रेजी देशी व बियर की अनुज्ञापित थोक व फुटकर दुकानों /गोदामों के लिये काफ़ी स्पष्ट गाइड लाइन जारी कर रखी है। जिसके अनुसार ऐसे किसी भी गोदाम को विद्यालय, मदरसा, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च से शहरी क्षेत्र मे 75 और ग्रामीण क्षेत्रों मे 100 मीटर की दूरी पर ही खोला जा सकता है। लेकिन इस प्रकरण मे अगर बात करें तो दोनों के बीच मात्र एक दीवार का और गेट से गेट को पैमाना माने तो 100 मीटर से काफ़ी कम दूरी है। ऐसे मे जिन अधिकारियो ने गोदाम बनाने से पहले सत्यापन किया था, उनसे सवाल जबाब होना चाहिये कि नियमों की अनदेखी क्यों और कैसे की गयी।

विद्यालय संचालक भी दे जबाब 

वही विद्यालय संचालक से भी सवाल जबाब होना चाहिये कि जब आपके पड़ोस मे शराब के गोदाम खुल गये तो फिर आपने विद्यालय के बच्चें बच्चियों को बस मे बैठाने  के लिये शराब गोदाम के कैंपस का प्रयोग करना क्यों नही बंद किया? आखिर शराब की हजारों पेटियों को गाड़ियों पर लदते हुए दिखाकर बच्चों को क्या शिक्षा देना चाहते है? शहर के मानिंद लोगो के बच्चों के पढ़ने वाले विद्यालय की जब यह दशा है तो छोटो की क्या होगी, आप लोग खुद अंदाजा लगाइये।