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नजारत मे बड़ा गोलमाल,मंडलायुक्त के निर्देश पर जांच, जाँच का जिम्मा नजारात प्रभारी अधिकारी को, कैसे होगी निष्पक्ष जाँच



बलिया: जिले के मालिक यानी जिलाधिकारी के यहां धन का दुरुपयोग व अनियमितता हो तो फिर क्या कहना। मंडलायुक्त को  एक शिकायती प्रार्थना पत्र में कलेक्ट्रेट के नजारत अनुभाग से होने वाले भुगतान में धन की अनियमितता की शिकायत मिली है। इसकी जांच के लिए मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को निर्देशित किया और यहां से सिटी मजिस्ट्रेट को जांच मिल गई। लेकिन, जिस नजारत में धन की अनियमितता की शिकायत है, उसी नजारत के प्रभारी अधिकारी को जांच का जिम्मा मिला है। ऐसे मे सवाल उठ रहा है कि जिस अधिकारी के कार्यकाल मे ही अनियमितता हुई है, वही अधिकारी जाँच करेगा तो जाँच निष्पक्ष कैसे होगी।


शिकायतकर्ता का कहना है कि बलिया में श्री अश्विनी तिवारी कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर तैनात है, जिनकी पदोन्नति दो वर्ष पूर्व होने के पश्चात भी कलेक्ट्रेट में नाजिर पद पर इनके द्वारा लम्बे समय से कार्य किया जा रहा है और नाजिर पद का दुरूपयोग करते हुए भारी मात्रा में सरकारी धन की अनियमितता की जा रही है। उनकी लगभग चार वर्षों के नाजिर कार्यकाल एवं विगत दो वर्षों के प्रशासनिक अधिकारी कार्यकाल से जुड़ी निम्नलिखित शिकायतें है, जिसकी जांच प्रदेश मुख्यालय अथवा जनपद बलिया से सुदूर अन्य जनपद के लेखा से जुड़े अधिकारी से करायी जाए तो नाजिर श्री अश्विनी तिवारी द्वारा की गयी धन की बड़ी अनियमितता सामने आ सकती है।


नहीं कराते ई-टेंडर, मनमाने ढंग से ठेकेदार को दिलाते काम


कलेक्ट्रेट में हमेशा मेंटेनेंस कार्य होते रहते है, जिसमे प्रशासनिक अधिकारी / नाजिर श्री अश्विनी तिवारी लगातार अपने पसंदीदा ठेकेदार से कार्य करवाते है और उसमें मोटी कमीशनखोरी इनके द्वारा किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, टेंडर करने में मानक का ख्याल नहीं रखा जाता है। ई-टेंडर के माध्यम से कार्य का बंटवारा नहीं करके हमेशा मैनुअल टेंडर करके अपने ठेकेदार को काम दिलवाते है. जबकि आपात स्थिति में मेनुअल टेंडर कर कार्य देने का प्रावधान है, परन्तु नाजिर के पिछले चार साल के कार्यकाल की जांच की जाए तो अधिकांश कार्य में ई-टेंडर की कार्यवाही नहीं की जानी पायी जाएगी। कई बार तो बिना टेंडर के ही इनके द्वारा कार्य कराकर धन का दुरूपयोग किया जाता


अधिक मूल्य पर सामग्री क्रय कर होती है कमीशनखोरी


नजारत से जो भी सामग्री क्रय की जाती है, वह जैम पोर्टल पर कम मूल्य का उपलब्ध होने के बावजूद डेढ़ से दो गुने मूल्य पर क्रय की जाती है। उदाहरण के तौर पर, हाल ही में करीब 65 केवीए का जेनरेटर बहुद्देशीय सभागार में लगाने के लिए लिया गया है, वह जेनरेटर अधिक मूल्य पर क्रय करके बड़ी कमीशनखोरी की गयी है। उसी जैम पोर्टल पर यही जेनरेटर उससे कम मूल्य का भी उपलब्ध था और है, परन्तु कमीशनखोरी के उद्देश्य से डेढ़ गुने मूल्य पर खरीद करके सरकारी धन की लूट की गयी है। इस तरह की अनेक खरीद की गयी है, जिसकी विस्तृत जांच अत्यंत आवश्यक है।


दो गुने मूल्य पर खरीदे जाते इलेक्ट्रॉनिक सामान


कलेक्ट्रेट कार्यालय अथवा जिलाधिकारी आवास हेतु निर्धारित बाजार मूल्य से दो से तीन गुना अधिक मूल्य पर एयर कंडीशन व अन्य इलेक्टिक / इलेक्टॉनिक सामान की खरीद की जाती रही है,  जिसमें 50 प्रतिशत से अधिक तक की कमीशनखोरी प्रशासनिक अधिकारी / नाजिर द्वारा की जाती रही है।


डीएम के ट्रांसफर के बाद करते बड़ा खेल


किसी भी जिलाधिकारी के स्थानांतरण के पश्चात उनके नाम पर सामान की खरीद दिखाकर तमाम तरह की फर्जी बिलों का भुगतान प्रशासनिक अधिकारी/नाजिर श्री अश्विनी तिवारी के द्वारा किया जाता है, ताकि इसकी जांच पड़ताल भी नहीं हो सके। अगर इनकी महन समीक्षा की जाए तो नाजिर द्वारा की गयी बड़ी वित्तीय अनियमितता सामने आ सकती है। 


अधिकारी बनने के बाद भी नहीं गया बाबूगिरी का मोह

 

शिकायतकर्ता का कहना है कि श्री अश्विनी तिवारी की पदोन्नति लगभग दो वर्ष पूर्व प्रशासनिक अधिकारी के पद पर हो गयी थी और कलेक्ट्रेट में इनकी तैनाती भी हो गयी थी, परन्तु पदोन्नति होने के बाद भी अधिकारियों से सांठगाठ करके लिपिक वर्ग के नाजिर पद पर बने हुए हैं, ताकि नजारत से होने वाले समस्त प्रकार के व्यय में वित्तीय अनियमितता कर सके। कलेक्ट्रेट में अन्य बेहतर कर्मचारियों के होने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी होने के बाद भी लंबे समय तक नाजिर का अतिरिक्त कार्यभार लेकर बने रहना भी संदिग्ध है।


डीएम को देने के नाम पर खरीदते सामान, ताकि कोई पूंछताछ नहीं करे


ऐसा भी संज्ञान में आया है कि श्री अश्विनी तिवारी द्वारा बतौर नाजिर जिलाधिकारी आवास पर देने के नाम पर लाखों रुपए की समान खरीद की जाती है, जबकि यह सामान जिलाधिकारी के यहां नहीं जाता है। नाजिर अपने घर पर अथवा उस सामान के नाम वित्तीय अनियमितता करते है। जिलाधिकारी आवास पर दिए गए सामान और उसकी उपयोगिता का मिलान कर लिया जाए तो यह आरोप सही साबित हो सकता है।


कलेक्ट्रेट कर्मियों के स्थानांतरण के नाम पर करते धनउगाही


यह भी शिकायत मिली है कि श्री अश्विनी तिवारी द्वारा कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों का स्थानांतरण अपने मन मुताबिक कराना तथा टेबल दिलवाने के नाम पर लगातार कर्मचारियों से अवैध वसूली किया जाता है। इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को आवास आवंटित करने के लिए भी 20 से 50 हजार तक की धन की वसूली की जाती है। जिन कर्मचारियों को विगत चार वर्षों में आवास आवंटित हुआ है, उससे गोपनीय ढंग से जानकारी ली जाए तो इस आरोप की पुष्टि हो सकती है। यहां यह भी अवगत कराना है कि श्री अश्विनी तिवारी, अधिकारी / नाजिर की पदोन्नति अगले दो-तीन महीने में ज्येष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर होने वाली है और गैर जनपद स्थानान्तरण होना है, जिसके कारण उनके द्वारा और अधिक तीव्र गति से धन की अनियमितता से जुड़े कार्य किए जा रहे हैं।




नगर मजिस्ट्रेट के आवास की मरम्मत मे बड़ा घोटाला

सूत्रों की माने तो तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट के सरकारी आवास (R2) के मरम्मत मे बड़ा खेल हुआ है। इस बंगले की मरम्मत मे लगभग 9 लाख रूपये खर्च किया गया है। इसके भुगतान की फ़ाइल को पिछले जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह अत्यधिक भुगतान कहकर लौटाकर जाँच के लिए कहे थे। सूत्रों की माने तो तत्कालीन जिलाधिकारी ने तो यहां तक कह दिया था कि मरम्मत किये हो या एक एक ईट बदल दिए हो। जिलाधिकारी ने इस संबंध मे इस्टीमेट बनाने वाले लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं को तलब किया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने इस्टीमेट दिया ही नही । इसके बाद नाजीर से स्पष्टीकरण मांगा गया। सूत्रों ने यह बताया है कि नाजीर महोदय ने अपने स्पष्टीकरण मे कहा है कि इस्टीमेट ठेकेदार स्वयं लाया था। अब आप स्वयं विचार करें कि जिलाधिकारी के नाक के नीचे कैसे इतना बड़ा कृत्य किया जा रहा है। जिलाधिकारी के द्वारा फ़ाइल वापस कर देने के कारण यह भुगतान नही हुआ है।


शिकायतकर्ता ने मांग की है कि शिकायतों की जांच जनपद बलिया से इतर मण्डल स्तरीय लेखा प्रभाग से जुड़े अधिकारी की टीम से जांच करायी जाए, ताकि श्री अश्विनी तिवारी द्वारा जांच को प्रभावित नहीं किया जा सके। साथ ही इनके द्वारा किया गया भ्रष्टाचार सामने आ सके और सरकारी धन की अनिमितता पर रोक लग सके।