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18 अगस्त 1942,बैरिया मे 19 लोग हुए शहीद, बांसडीह थाने तहसील पर जनता ने किया कब्जा




मधुसूदन सिंह

बलिया।।  18 अगस्त का दिन स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास मे स्वर्ण अक्षरों मे दर्ज है। इस दिन बलिया मे स्वतंत्रता के सेनानियों ने अपने खून से इतिहास लिख कर अमरत्व को प्राप्त हुए थे। आज के दिन बैरिया थाने पर एक तरफ घाघरा का पानी बह रहा था तो दूसरी तरफ मां भारती के सपूत अपने खून की नदी बहा कर थाने पर कब्जा करने मे लगे थे। इस प्रयास मे बैरिया थानेदार के हुक्म पर चलायी गयी गोली से 19 सेनानी शहीद हुए थे और सैकड़ो लोग घायल हुए थे। 18 अगस्त 1942 को बलिया मे हुई प्रमुख घटनाये निम्न है -----

बांसडीह थाने पर कब्जा

18 अगस्त 1942 को बांसडीह थाने के आसपास गांव के लगभग 20 हजार आदमी लाठी भाले के साथ लगभग 3 बजे दिन मे आकर चारो तरफ से थाने को घेर लिये। इतने बड़े जन समूह से अपने आपको घिरा देखकर थाने के दरोगा और नायब दरोगा थरथर  भय से कांपने लगे। इन लोगो को इतने बड़े जनसमूह से लड़ने का साहस ही नही हुआ और सुराजी नेताओं के सामने सभी लोग आत्मसमर्पण कर दिए और तिरंगा झंडे के नीचे  कांग्रेसी सरकार को मानने की शपथ ली। जिले मे पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों पर गोली चलाये जाने से जनता मे काफ़ी आक्रोश था, भीड़ ने थाने के अंदर जा कर कागजातों मे आग लगा दी।

थाने पर तिरंगा फहराने के बाद जनसमूह द्वारा थानेदार को तिरंगा देकर तहसील पर लाया गया, जो थाने से सटी हुई थी। गगनभेदी राष्ट्र भक्ति नारे लगाते हुए जनसमूह तहसील मे घुस गया और खजाने की पहरेदारी करने वाले सिपाहियों को पकड़ लिया। ये सभी सिपाही थाने पर कब्जा हो जाने के बाद से काफ़ी डर गये थे। इन लोगो ने अपनी अपनी बंदूके आंदोलनकारियों को दे दी। तहसील के कर्मचारी भी बाहर निकल आये। तहसीलदार चुपके से कही भागना चाहता था लेकिन लोगो ने उसे पकड़ लिया। तहसील मे आग लगाकर सारे कागजात जला दिए गये। खजाने मे रखा 32 हजार रूपये को लोगो ने लूट लिया। तहसील पर झंडा फहराने के बाद तहसील व थाने के कर्मचारी सामूहिक रूप से स्वतंत्र सरकार के प्रति वफादारी की शपथ लिये। इसके वाद स्व राज्य सरकार की घोषणा की गयी।

यहां से ये लोग बीज गोदाम पहुंचे और उसमे रखे 1500 बोरे बीज को देखते ही देखते लूट लिया। कुछ लोग पोस्ट ऑफिस पर पहुंच कर कागजातों मे आग लगाकर जला दिए। नेताओं ने शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिये एक कमेटी का गठन किया और शांति व्यवस्था की जिम्मेदारी स्वयं सेवकों को सौप दी।


हेड कांस्टेबल मोहम्मद मुइन की रिपोर्ट

वनाम 15, 20 हजार अशखास जिनका मालूम हो सका, पुश्त दर तहरीर है। बाकी अशखास देख कर पहचाने जा सकते है। मुसरफा 32065 रूपये।

18 अगस्त सन 1942 ई0 बवक्त 3बजे दिन जब कि थाने पर बाबू छविनाथ सिंह सब इंस्पेक्टर व मुंशी अहमद याकूब, हेड कांस्टेबल सहजाद खां, कांस्टेबल नजीर अहमद कांस्टेबल चौकी बांसडीह व मोहम्मद मुइन हेड कांस्टेबल मुहरीरर व मुंशी मुहम्मद वली व मुहम्मद नजीर खां, हरनारायण सिंह व सूबेदार सिंह व हजारी सिंह व डिप्टी सिंह कांस्टेबल थाना मौजूद थे। करीब 15,20 हजार के मजमा ने हर चहार तरफ से थाना व तहसील को घेर लिया और मुल्ज़िमान को पकड़ लिया। थाना व थाना वाला डाकखाना व तहसील को लूट लिया। थाना व तहसील को फूंक कर कागजात को जला दिया। इमारत तहसील को तोड़ डाला और तहसील का खजाना भी लूट लिया। इस मजमे मे हस्वजैल अशखास शरीक जुर्म रहे है ---- गजाधर लोहार, राम सेवक तिवारी, सुधाकर पांडेय, जमुना सिंह, वासुदेव सिंह, खखनू अहीर, जगन्नाथ सिंह, उदित राय, श्रीकृष्ण सिंह, महंथ सिंह, राम बड़ाई सिंह, जमुना सिंह, रामपति अहीर, हरनंदन सिंह, बिपिन बिहारी, शिव प्रसाद कोहार, जंग बहादुर सिंह, राम देनी लोहार, हरी पांडेय जदुनन्दन कोइरी, लखन अहीर, सूबेदार सिंह, शिव प्रसाद सिंह, शिव भर, वृंदा भर, निरंजन सिंह, रंजीत सिंह, नन्द कुमार सिंह, रामेश्वर शर्मा, बनवारी सिंह,मूस अहीर, शिव वचन, देवधारी, शिवराज सिंह, शिव जी, कपिल सिंह, विश्वनाथ सोनार, रामचंद्र मुख़्तार, शिव कुमार लाल, रामप्रीति कोइरी, लक्ष्मण सिंह, काशीनाथ राय, जटाधारी पाठक, शिवपूजन कुंवर, राम लाल कोहार, नगेसर सिंह, कुलदीप सिंह, सरजू सिंह, सच्चिदानंद, सिराजुद्दीन, राम विलास, शिवनाथ राम, गोपाल तिवारी, शंकर दयाल, बिहारी राम, जगदीश राम, शिव कुमार पांडेय, जमुना सिंह, पृथ्वी सिंह, श्रीरंग सिंह, मुनेसर सिंह, बासुदेव सिंह, सालिक सिंह, राम आधार कोइरी, घूरा सोनार, सीताराम, दुर्गा राम, राम बहादुर राय, नौका भर, वृंदा सिंह, नगीना ब्राह्मण, शिव बहादुर सिंह, साधोराम, मुन्नी लाल, शिव दत्त कोइरी, डिगरी उपाध्याय, राम जनम सिंह, रामजतन अहीर, शिवकुमार लाल, केदार अहीर, राम प्रसाद अहीर, कपिल राम, मनबोध सिंह ।

सहतवार टाउन एरिया पर आक्रमण, रेवती पुलिस चौकी को जलाया 

जनसमूह सहतवार टाउन एरिया के दफ्तर मे पहुंच कर दफ्तर मे लगे ताले को तोड़कर आग लगा दिया। टाउन एरिया के बख्शी मि0 अली मुहम्मद ने घटना का वर्णन इस तरह किया है ---

अर्ज है कि 18-8-42 को 4-5 बजे शाम के करीब हस्व जैल अश्वास दफ्तर टाउन एरिया और हमारे मकान को जो दफ्तर के मुताबिक है जमुना सिंह लंगड़ा के लीडरशिप मे घुस पड़े और दफ्तर टाउन एरिया और मेरे मकान का सामान जिसकी फिहरिस्त हम बाद को देंगे लूट ले गये। इस वाक्या को हरहंगी मुलाजिम टाउन एरिया व राम पूजन सिंह जमादार टाउन एरिया ने देखा है। लूटने वालों मे हस्व जैल अश्वास शामिल थे।

शिव गोपाल सिंह, शिवनाथ कुंवर, केदार कुंवर, कामता कुंवर, सदाशिव कोइरी, शिव बालक तुरहा, चन्द्रिका राय के भाई रामराज, बली राम, जमुना राय लंगड़ा, गंगा माली, महंत राय, दमड़ी लाल।


रेवती पुलिस चौकी पर कब्जा कर जलाया 

हजारों की तादात मे जनसमूह शाम के 4 बजे रेवती पुलिस चौकी पहुंचा और चौकी मे लगे ताले को तोड़कर कब्जा कर लिया। इसमें रखे सामानो को बाहर निकाल कर उसमे आग लगा दी। चौकी के सभी सिपाही जनसमूह के आने की सूचना पाते ही पहले ही भाग गये थे।

हेड कांस्टेबल ने अपनी रिपोर्ट मे इस घटना को ऐसे बयान किया है ---

18 अगस्त 1942 को ववक्त 5 बजे शाम सूरज सिंह सा0 श्रीनगर की लीडरी मे एक मजमा जो करीब 10 हजार आदमियों का था, चौकी के सामने नारा लगाता हुआ गुजरा। अफसर दोयम साहब उस वक़्त मौजूद थे। मजमा का इरादा चौकी लूटने फूंकने और उस पर कब्जा करने का था। आशियाए सरकारी व मुल्ज़िमान का निजी सामान जहां तक छिपाया जा सका, छिपाया गया और चौकी बंद कर दी गयी। हम लोगो के चले जाने के बाद भी मजमा ने फिर वापस आकर चौकी को लूटा फूंका। मुल्ज़िमान, चौकीदार व पब्लिक से फूंकने व लूटने वालों के जिस कदर नाम मालूम हो सके हस्वजैल है -----

हरवंश मिश्र, लक्ष्मण केसरवानी, हरवंश ओझा, लाल मोहर, सूरज मिश्र, बरमेश्वर तिवारी, सूरज सिंह, जगा तिवारी, राम निशान पांडेय, राम नारायण मिश्र, रामधनी सिंह, अयोध्या प्रसाद, बच्चा तिवारी, विश्वनाथ बरई, बलराम सिंह, अभिमन्यु पांडे, रामपूजन तिवारी, पारस पांडेय।




बीज गोदाम पर हमला बोलकर उस पर कब्जा कर लिया गया और निश्चय किया गया कि बीज खेत बोआई के समय किसानों मे बांटा जायेगा।

बसरिका पुर पोस्ट ऑफिस पर भी कुछ लोग हमला करके कागजातों मे आग लगाकर पोस्ट ऑफिस ओर कब्जा करके झंडा फहरा दिए।

नरही थाने के चौकीदार की वर्दी जलायी, कांग्रेस राज्य का कराया जय जयकार

बलिया शहर के पश्चिम 18 अगस्त को जब नरही थाने के चौकीदार अपने घरों को जा रहे थे तो उनकी मुलाक़ात रास्ते मे प्रातः काल ही  सुरही गांव के पास स्वामी ओंकारानन्द और हरिद्वार राय के साथ जो जनसमूह था, उसके साथ हुई। लोग चौकीदारों की वर्दी छीनकर चौकीदारों से ही उसमे आग लगवायी और कांग्रेस राज्य का जय जयकार करवाये।

इस घटना से संबंधित रिपोर्ट अव्वल थाना नरही

हम कि नगेसर बाप का नाम बिग्गन दुसाध चौकीदार घर कोटवा थाना नरही मे था। ता0  18-8-42 को हम और फ़क़ीर चौकीदार उभाँव, लोरी चौकीदार नारायनपुर, खेदन चौकीदार नारायनपुर, बदन चौकीदार नरायनपुर, अपने घर जा रहे थे। जब सुरही गांव के पास हम लोग पहुंचे तो करीब 25 आदमी जिनमे ओंकारानन्द नरही, हरद्वार राय नरायनपुर, विश्वनाथ पंडित नरायनपुर, भवानी लाल नरायनपुर, शिवमुन्नी मल्लाह कोटवा, जगदीश राय नरही, अर्जुन राय सुरही, जगत लाल नरही, बाला राय सोहाँव, जिनको पहचान किया, मिले और हम लोगो से सरकारी वर्दी फूंकने के लिए मांगने लगे। वर्दी पेटी उतरवा कर हम लोगो से ही आग लगवाये है।

जनसमूह वहां से कोरंटाडीह पोस्ट ऑफिस पहुंचा और वहां के सामानो पर तेल छिड़क कर आग लगा दी। रास्ते मे भरौली के पास सड़क के पुल को भी तोड़ दिया। उजियार घाट के ताड़ी की दुकान, शराब व गांजे की दुकानों मे आग लगा दी। कोटवा नरायनपुर के डाकखाना के सभी सामानो को तोड़ दिया और कोटवा स्टीमर घाट को जलाकर राख कर दिया।

बैरिया थाना गोलीकांड

द्वाबा की जनता भी अपने क्षेत्र के थाना बैरिया पर पूर्ण रूप से कब्जा करने के लिये उतावली हो गयी थी। थानेदार द्वारा गड़ा हुआ झंडा उखाड़ कर फेंक देने से जन जन मे रोष व्याप्त हो गया था। 18 अगस्त को लोगो ने थाने पर किसी भी मूल्य पर कब्जा करने के लिए थाने के आसपास एकत्रित होना शुरू किया। यहां की जनता ने जिस साहस और बहादुरी का परिचय दिया वह स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास मे एक अनोखी घटना है।

1बजे दिन तक हजारों की संख्या मे लोग बैरिया थाने पर पहुंच गये। थानेदार को नेताओं ने बाहर बुलाया। किन्तु उसने अंदर से ही कहा कि वो बाहर नही आयेगा। कहा कि मै आपका राज्य मानता हूं। थाना आप लोगो का ही है। आप थाने पर झंडा फहरा कर चले जाए । जन समूह इस बार थानेदार की बात मे पड़ने वाला नही था क्योंकि इसी ने पहले गाड़े हुए झंडे को उखाड़ कर फेंक दिया था। थाने के अंदर दीवाल फांद कर लोग प्रवेश करने लगे। थानेदार का घोड़ा जो बाहर बंधा था, उसको धरीक्षन, सीरी अहीर, व मुखलाल बहुआरा ने खोल लिया और घोड़सार को लोगो ने तोड़ दिया।

सामने एक छप्पर थी उसको भी लोगो ने गिरा दिया। थानेदार ने चेतावनी दी कि सभी लोग चले जाये, नही तो अभी गोली चलाने का हुक्म दूंगा। लोगो ने उसकी चेतावनी की परवाह नही की। गोलियां दनादन थाने की छत से चलने लगी। गोलियों से बचने के लिए लोग टिन की आड़ मे आगे बढ़ने लगे। इसी बीच करकत छेद कर दो आदमियों को गोली लगी और वे वही गिर पड़े। तब लोगो ने पेड़ो की आड़ से थाने पर ईट पत्थर फेंकना शुरू कर दिया।

लोगो मे एक ही धुन सवार था कि आज थाने पर कब्जा करके रहेंगे। थाने के पीछे से 18 वर्षीय नवयुवक कौशल कुमार हाथ मे तिरंगा झंडा लिये हुए थाने पर चढ़ गया। वह ज्योंहि झंडा फहराना चाहता था कि एक पुलिस से उसकी भिड़ंत हो गयी। कौशल कुमार ने सिपाही को दे पटका। इतने मे एक दूसरे सिपाही ने कौशल कुमार को पीछे से संगीन घोप कर गोली मार दी। वह वीर सेनानी हाथों मे झंडा लिए वही गिर पड़ा। उस समय तक सैकड़ो लोग गोलियों से घायल हो चुके थे और 19 भारत माँ के लाल आजादी की तमन्ना लिए शहीद हो गये।

इस घटना के बाद लोगो की भावना हिंसा मे बदल गयी और इस गोलीकांड का बदला लेने का निश्चय किये। चारो तरफ गांवो मे लोगो से हथियार लेकर आने के लिए कहा गया। सैकड़ो आदमी थाने को घेरे रहे ताकि पुलिस यहां से बच कर न निकल जाए। अँधेरी रात मे घनघोर वर्षा हो रही थी। थाने के पीछे बाढ़ का पानी मीलों तक फैला हुआ था। उधर किसी ने ध्यान ही नही दिया कि थानेदार इधर से भी भाग सकता है। किन्तु थानेदार और पुलिस चुपके से पीछे के दरवाजे से बाढ़ का पानी हेलते हुए अपनी जान बचा कर उसी रात निकल गये। लोगो को जब पता चला कि थानेदार अन्य सिपाहियों के साथ लोगो से आंख बचाकर चुपके से बाढ़ का पानी हेलते हुए भाग गया है तो लोग थाने पर सामानो को एकत्र करके वही जला डाले और थाने की इमारत को तोड़ दिया।