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क्या बलिया के उन विक्रेताओं पर होगी कार्यवाही जिन्होंने कोडिन युक्त सिरप से कमाये है करोड़ों




मधुसूदन सिंह

बलिया।। पूरे प्रदेश मे 24 अगस्त से 31 अगस्त तक चलाये जा रहे मादक पदार्थो की अवैध तस्करी के खिलाफ सीएम योगी के सख्त तेवरों ने सफलता दिलानी शुरू कर दी है। एक तरफ जहां शराब गांजा और ब्रॉउन शुगर के साथ बड़ी संख्या मे तस्करों की गिरफ्तारी हो रही है, तो वही कोडिन युक्त कफ सिरप, टेबलेट, इंजेक्शन को अवैध रुप से बेचने वालों पर कार्यवाही होने का इंतजार है। बलिया मे भी दर्जनभर से अधिक ऐसे दवा व्यवसायी है जिन्होंने पिछले 3-4 सालों मे कोडिन युक्त दवाओं को बेच कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है।

 अपने स्तर से आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन लखनऊ ने पत्र जारी कर जनपद स्तरीय विभागीय अधिकारियो को आदेश भी जारी कर यह स्वीकार किया गया है कि कोडिन युक्त दवाओं जिनकी संख्या 10 है, का नशे के रूप मे युवा पीढ़ी प्रयोग कर रही है। आयुक्त द्वारा भेजा गया आदेश निम्न है ----

स्वापक एवं मन

प्रभावी पदार्थों का उपयोग औषधियों के रूप में किया जाता है, जिनकी उपलब्धता जनसामान्य के उपयोग के लिए आवश्यक होता है। परन्तु कतिपय व्यक्तियों / फर्मों द्वारा निहित स्वार्थी एवं धन कमाने की लालच में स्वापक एवं मनः प्रभावी औषधियों का दुरूपयोग नशे के रूप में किया जाता है। इस प्रकार के औषधियों का दुरूपयोग प्रायः कम उम्र के बच्चों द्वारा करने के कारण उनके स्वास्थ्य एवं मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और सामाजिक कुरीतियों को बढ़ावा मिलता है। जनपद स्तर पर किये जा रहे प्रवर्तन कार्यों एवं हाल ही में पकड़े गये अवैध स्वापक एवं मनः प्रभावी औषधियों से यह स्पष्ट होता है कि कतिपय औषधि विक्रेताओं द्वारा उक्त औषधियों का अत्यधिक मात्रा में भण्डारण एवं बिक्री अवैध ढंग से किया जा रहा है, जबकि मरीजों के लिए वास्तविक खपत काफी कम है।

 विभिन्न स्रोतों से संकलित किये गये सूचनाओं एवं प्रवर्तन के समय अभिरक्षा में लिये गये स्वापक एवं मनः प्रभावी औषधियों पर सम्यक विचारोपरान्त यह निष्कर्ष निकलता है कि स्वापक एवं मनः प्रभावी औषधियों के दुरूपयोग को रोकने के लिए व्यापक जनहित में विभिन्न प्रतिष्ठानों में इनके भण्डार एवं बिलिंग की अधिकतम सीमा निर्धारित किया जाये।



अतः सम्यक विचारोपरान्त औषधि नियमावली, 1945 के नियम 51 एवं 52 के अंतर्गत समस्त औषधि निरीक्षकों को निर्देशित किया जाता है कि निम्न तालिका के स्तम्भ -2 में अंकित औषधियों के भण्डारण एवं बिलिंग की अधिकतम सीमा तालिका के स्तम्भ 3, 4 व 5 में अंकित विवरण के अनुसार सुनिश्चित करें --



इसको देखते हुए यह कहने मे कोई गुरेज नही है कि बलिया जनपद मे भी लगभग एक दर्जन से अधिक थोक विक्रेता है जिनकी हैसियत एकाएक मात्र 3 से 4 सालों मे ही करोड़ों मे पहुंच गयी है। ये सभी लोग उपरोक्त दवाओं के थोक विक्रेता है।

सूत्रों से मिली खबर के अनुसार बनारस से ट्रांसपोर्ट के माध्यम से कुछ माल ऐसा भी आता है जो सिर्फ बलिया आता है, उतरता नही है। इसको फिर बलिया से अन्य जिलों मे बिल बनाकर भेज दिया जाता है। इस प्रकरण को भी जिला प्रशासन को गंभीरता से लेकर इसकी सत्यता की जांच करानी चाहिये। अगर यह सही है तो इस कृत्य को करने वालों को जेल की सलाखों के पीछे भेजना जरुरी है।

बड़े बाबू रवि शंकर पांडेय का बलिया मे चलता है रौब

खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन के बलिया कार्यालय मे श्री रवि शंकर पांडेय जी बड़े बाबू के पद पर संभवतः कार्यरत है। ड्रग इंस्पेक्टर के दुकान पर पहुंचने से जितनी दहशत दुकानदारों को नही होती है, उससे अधिक श्री पांडेय जी के पहुंचने पर होती है। श्री पांडेय पर कई बार दुकानदारों से जजिया कर वसूली की बातें चर्चाओ मे आती रहती है लेकिन श्री पांडेय की सेहत पर कोई असर नही पड़ता है ।

पूरे प्रदेश मे सरकारी कर्मचारियों के लिए एक तबादला नीति है लेकिन श्री रवि शंकर पांडेय उस तबादला नीति से भी अच्छादित नही होते है। लगता है कि प्रदेश मे किसी की भी सरकार हो श्री पांडेय जी को हटाने वाला कोई नही है। अगर ऐसा नही होता तो ये लगभग 20 वर्षो से भी अधिक समय से एक ही जगह तैनात नही होते। चर्चाओ मे तो इनकी नियुक्ति पर और पदोन्नति पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया जा रहा है। अब यह शासन व प्रशासन का दायित्व बनता है कि श्री पांडेय को भी सरकार की तबादला नीति से अच्छादित करें।




इन दवाओं का क्या है दुष्परिणाम

कोडिन युक्त सिरप 

शरीर में लिवर एक एंजाइम की मदद से कोडीन को मॉर्फीन में बदल देता है। इस वजह से खून में मॉर्फीन का स्तर तेजी से बढ़ जाता है, जिससे बल्ड सर्कुलेशन पर असर पड़ता और लोगों की जान जा सकती है।



 कोडीन एक कफ सिरप है, जिसे बिना डॉक्टर की सलाह के मरीज को नहीं दिया जाना चाहिए। यह प्रतिबंधित दवा है। इसके लिए प्रिस्क्रिप्शन अनिवार्य है। इसके बावजूद ड्रग्स तस्कर इसे ड्रग्स सप्लीमेंट के रूप में बेच रहे हैं, जो कम उम्र के लोग खासकर बच्चों के लिए प्राणघातक हो सकती है।



अल्प्राजोलम टैबलेट

 इस टेबलेट का सेवन सबसे लिए फायदेमंद नही होता है. क्योंकि कई लोगो को तरह – तरह की बीमारियां होती है. इस दौरान यदि इस टेबलेट को लिया जाएगा, तो इसके विपरीत परिणाम दिख सकते हैं. इसके अलावा और भी कुछ विशेष परिस्थितियां हैं, जो इस प्रकार है.

इस टेबलेट का सेवन गर्भवती महिलाओं को गंभीर दुष्परिणाम दे सकते हैं। इस लिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें. इसके अलावा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी इसका अधिक सेवन अच्छे परिणाम नही देता है।

इस दवा का अधिक सेवन आपके लीवर को भी नुकसान पहुंचा सकता है।इस टेबलेट को लेने के बाद कभी भी वाहन आदि न चलाएं। क्योंकि इस दौरान आपका दिमाग शांत हो जाता है, इस वजह से आपके निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है।

यदि आप इस दवा के सेवन के दौरान शराब आदि का सेवन भी कर रहे हैं, तो आपको इसके कुछ खराब रिजल्ट भी दिख सकते हो।


 कुछ ऐसे रोग होते हैं, जिनके दौरान इस टेबलेट का सेवन नुकसान कर सकता है. वो बीमारियां इस प्रकार है--


गुर्दे की किसी बीमारी के दौरान

पार्किंसन रोग के दौरान

काला मोतियाबिंद के दौरान

मिर्गी के दौरान

लिवर की किसी बीमारी के दौरान

अल्प्राजोलम टैबलेट के दुष्प्रभाव (Alprazolam Tablet Side Effects)

इस टेबलेट के अधिक सेवन या अनियमित सेवन से कुछ दुष्परिणाम भी आते हैं, जो इस प्रकार हैं.


नींद से जुड़ी समस्या

पाचन से जुड़ी समस्या जैसे कब्ज

सिर दर्द रहना

थकान होना

याददाश्त की समस्या होना

चक्कर आना

मुँह सूखने की समस्या

बोलने में अस्पष्टता


डाइजीपाम  के दुष्परिणाम                           

 गंभीर


चक्कर आना,हड्डी का फ्रैक्चर,मंदनाड़ी,मितली या उलटी,ऐंठन,सांस फूलना,त्वचा पर चकत्ते और भूख कम लगना

मध्यम


याददाश्त से संबंधित समस्याएं,डिप्रेशन,कब्ज

हल्का

ऊंघना,सिरदर्द,मुंह सूखना,थकान,चिड़चिड़ापन,दस्त,वर्टिगो, व खांसी