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क्रांतिकारियों ने नरही थाने पर तिरंगा फहराया, चितबड़ागांव स्टेशन को फूंका, नरही पोस्ट ऑफिस को जलाया, जहाज को बहाया, रतनपुरा मे मालगाड़ी लूटी

 


                          सांकेतिक फोटो 

16 अगस्त 1942 गिरफ्तारी और गोलीबारी, स्टेशन, पोस्ट ऑफिस हुए आग के हवाले

मधुसूदन सिंह

बलिया।।कांग्रेस की पूर्व घोषणा के अनुसार  16 अगस्त 1942 को बलिया बाजार खुला था। शहर में धारा 144 लगी थी। धारा 144 को तोड़ने के लिए लड़कियों ने एक जुलूस निकाला,इसमें जानकी देवी मानकी देवी, सावित्री देवी, शांति देवी, गायत्री देवी, लखरानी देवी, श्यामसुंदरी देवी आदि थी। इनके साथ कुछ लड़के भी थे। जुलूस चौक से होते हुए जब लोहा पट्टी से आगे बढ़ा तो एक पुलिस की ट्रक गोलियां चलाती हुई उनके सामने आ गई। पुलिस ने महिलाओं के जुलूस को रोका झंडे छीन कर जुलूस भंग करने के लिए कहा, इस पर महिलाओ के जुलूस ने जोरशोर से नारे लगाना शुरू कर दिया। इसपर  सभी महिला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मोटर में बंद करके बलिया कोतवाली लायी।उन लड़कियों से कोतवाल ने माफी मांगने के लिए कहा, जब वह तैयार नहीं हुई तो उन्हें जेल भेज दिया गया।

 इस गोलीकांड तथा लड़कियों की गिरफ्तारी से जनता में रोष व्याप्त हो गया और बचे हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इसका जिले भर मे जोरशोर से प्रचार किया ताकि जनता में सरकार के विरुद्ध उबाल आए। इस गोलीकांड में 9 व्यक्ति 2 घंटे के अंदर शहीद हो गए थे।16 अगस्त को ही चितबड़ागांव रेलवे स्टेशन को सोहाँव और नरही के लोगों ने आकर आग लगा दी,रेल की पटरिओ को उखाड़ दिया और सिग्नल तोड़ दिए। हीरा राम,आत्मा कान्दू  रंजन, राधाकिशुन,अच्छेलाल जनार्दन, जगन्नाथ तिवारी, छेदी, शिवपूजन और भोजदत्त पर मुकदमा चला।

नरही थाने पर तिरंगा फहराया

चितबड़ागांव स्टेशन फूंकने के बाद जनसमूह नरही थाने की ओर बढ़ा । पुलिस को नरही थाने पर आंदोलनकारियों द्वारा हमला किये जाने की सूचना पहले ही मिल गयी थी। थानेदार ने थाने की सुरक्षा के लिए तैयारी पहले ही कर ली थी। गांव के ही चौधरी बेनीमाधव सिंह, कुछ लोगो के साथ थानेदार की मदद के लिए पहुंचे थे। जब जनसमूह थाने पर पहुंचा तो थानेदार सुन्दर सिंह भय से थर थर कांपने लगा। नेताओं ने थानेदार से कहा कि आप कांग्रेस की अधीनता स्वीकार कर ले, अन्यथा हम लोग थाने की एक एक ईट उखाड़ कर ले जायेंगे। थानेदार ने उस समय कांग्रेस की अधीनता स्वीकार करते हुए अपने ही हाथों यूनियन जैक को उतारकर तिरंगा को फहरा दिया। यही नही नेताओं के आदेश पर हवालात मे बंद एक मुल्ज़िम को भी छोड़ दिया। इसके बाद यह जुलुस नरही के डाक खाने पहुंच कर वहां के बक्शो और कागजातों मे आग लगाने के बाद ख़ुशी मनाते हुए अपने अपने घरों को लौट गये। लौटते समय रास्ते मे जो भी पुल मिले उसको भी तोड़ दिया गया।

रतनपुरा स्टेशन लूटा गया

इसी दिन को ही रतनपुरा रेलवे स्टेशन पर हजारों लोगो के जनसमूह ने हमला करके आग लगा दी। इसी समय इंदारा से आती हुई एक मालगाड़ी आउटर सिग्नल पर खड़ी हुई। आंदोलनकारियों मे से ही किसी ने सिग्नल के तार को तोड़कर सिग्नल डाउन कर दिया, जिसके कारण मालगाड़ी स्टेशन पर आ गयी। मालगाड़ी के स्टेशन पर पहुंचते ही आंदोलनकारियों ने लूटना शुरू कर दिया। इतने मे मालगाड़ी की सुरक्षा मे लगे सुरक्षा कर्मी आ गये और लोगो को हटने की चेतावनी देने के बाद गोली चलाने लगे। इस गोलीबारी मे एक व्यक्ति को गोली लगी। सभी आंदोलनकारी स्टेशन से बाहर निकल आये। यहां से निकलने के बाद आंदोलनकारियों ने स्टेशन के पास  ही स्थित पोस्ट ऑफिस पहुंच कर उसमे आग लगा कर सभी कागजातों को जला दिया। इसके बाद बीज गोदाम पर हमला करके गोदाम मे रखे हुए गल्ले को लूट लिया।





जहाज बहायी गयी

बलिया के पूर्वी छोर नौरंगा घाट पर एक जहाज स्टेशन था। वहां बलिया से एक जहाज पहुंची। जहाज के घाट पर पहुंचते ही जनसमूह उस पर टूट पड़ा और उसको पूरी तरह क्षतिग्रस्त करने के बाद गंगा नदी मे बहा दिया। इस घटना के संबंध मे स्टीमर घाट के सब एजेंट कलिका प्रसाद ने जो रिपोर्ट ऊपर भेजी उसमे भूपनारायण सिंह, सुदर्शन सिंह, परशुराम सिंह, राम जनम पांडेय, कूदन मिश्र, नागेश्वर मिश्र और पारस राय को इस कांड के लिए मुख्य जिम्मेदार ठहराया।

भगवती सिंह हेड कांस्टेबल की रतनपुरा स्टेशन कांड की रिपोर्ट

भगवती सिंह ने अपनी रिपोर्ट मे कहा कि जब स्टेशन पर गाड़ी खड़ी हुई तो मजमा मे से अंदाजन 5-6 सौ आदमी ट्रेन की इंजन की तरफ लपके और इंजन के पास वाले डब्बे को हथोंड़ी से तोड़ने लगे। उस डब्बे मे काफ़ी माल था जिसकी हिफाजत के लिए ताबेदार के साथ गार्ड ट्रेन भी मौजूद था। कार मनसवी समझ कर डब्बे से ताबेदार अपने गारद को लेकर उतर गया और मजमा खिलाफ कानून से एलान करके कहा कि अगर तुम लोग फौरन हट नही जाते हो तो हम गोली चला देंगे। मजमा बजाय फरी होने के ढेला मारते हुए व गाली गुफ्ता देते हुए उसी डब्बे की तरफ आ गया था।

एक राउंड गोली हमारे सिपाहियों ने और एक राउंड गोली ताबेदार ने मजमा के ऊपर फायर किया। मजमा गिरता पड़ता भाग निकला। चंद आदमी गोली से घायल होने पर कुछ फासले पर गिर गये, जिनको मजमा उठाकर भाग गया। मजमा फरी होने के बाद मैंने मुनासिब नही समझा कि ट्रेन देर तक खड़ी रहे और ड्राइवर को कहा कि फौरन गाड़ी को आगे बढ़ाओ और वहां से पूरब ट्रेन मजकूर लेकर स्टेशन बलिया आया हूं।