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वाह रे स्वास्थ्य विभाग की स्थानांतरण पॉलिसी ,बलिया में चिकित्सकों का कर दिया अकाल,सीएमओ हो गये बीमार



मधुसूदन सिंह
बलिया ।। उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग को चलाने वाले उच्चाधिकारियों की स्थानांतरण पॉलिसी की चपेट में सबसे ज्यादे पहले से ही चिकित्सको की कमी का दंश झेल रहे छोटे जनपद आकर कराहने लगे है । आलम यह है कि मुख्य चिकित्साधिकारियों को समझ मे ही नही आ रहा है कि वो कैसे सीएचसी/पीएचसी पर आमजन को सुचारू रूप से चिकित्सकीय सुविधा दिला पाये । सब से ज्यादे बदहाल बगावत के लिये मशहूर बागी बलिया है लेकिन यहां के राजनेताओ/मंत्रियों ने भी चुप्पी की चादर ओढ़ रखी है । कोई ऐसा जिला नही है जहां मानकों के विपरीत आज भी चाहे चिकित्सक हो या कर्मी अपनी सेटिंग के बल पर जमे न हो ।

स्वस्थ मंत्री ब्रजेश पाठक और इनके सहयोगी राज्य मंत्री, दोनों लोगो ने चिकित्सको और कर्मचारियों के इस वर्ष हुए स्थानांतरण में जमकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी । जिसके बाद मुख्यमंत्री जी ने जांच समिति का गठन कराकर रिपोर्ट दो दिनों में तलब की थी । एक ही दिन गठित दो समितियों में से एक समिति जिसने लोक निर्माण विभाग के स्थानांतरण घोटाले की जांच कर रिपोर्ट सौंपी थी, उस पर बड़े अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही भी हो गयी लेकिन जिस विभाग के मंत्रियों ने सब से पहले भ्रष्टाचार होने की बात का खुलासा किया,उस स्वास्थ्य विभाग में कोई कार्यवाही अभी तक नही दिखी है ।



बता दे कि स्वास्थ्य विभाग में हुए चिकित्सको और कर्मचारियों के स्थानांतरण में जमकर स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ायी गयी है । जहां से चिकित्सको को हटाया गया है,वहां अन्य को भेजा ही नही गया है या यूं कहें कि इतनी संख्या भेजी गई है जिसको ऊंट के मुंह मे जीरा कह सकते है । कर्मचारियों में भी 7 साल के मानक को दरकिनार करके 4 साल में भी तबादला कर दिया गया है,यह तभी संभव है जब दक्षिणा मिले या सम्बंधित कर्मी आवेदन करें लेकिन बिना आवेदन के भी 4 साल में ही तबादला हुआ है ।





बता दे कि बलिया में लेवेल वन के चिकित्सकों के कुल 156 पद स्वीकृत है लेकिन यहां मात्र 88 कार्यरत थे और 68 पद रिक्त थे । इस वर्ष हुए स्थानांतरण में यहां से 17 चिकित्सकों का गैर जनपद तबादला कर दिया गया है । अब यहां 156 के सापेक्ष मात्र 71 चिकित्सक कार्यरत बचे है यानी 85 चिकित्सको की कमी हो गयी है । 
इसी तरह लेवेल 2 के 17 चिकित्सकों का पद स्वीकृत है,जिसके आधार पर 17 चिकित्सक कार्यरत भी थे लेकिन इनमें से भी 3 का स्थानांतरण कर दिया गया है । सबसे ज्यादे बुरी हालत लेवेल 3 के चिकित्सकों की है । बलिया में लेवेल 3 के चिकित्सकों का 34 पद स्वीकृत है लेकिन यहां मात्र 8 ही कार्यरत है यानी 26 चिकित्सकों की कमी वर्षों से है लेकिन यहां पर इस संवर्ग के एक भी चिकित्सक को नही भेजा गया है । ऐसे ही लेवेल 4 के चिकित्सकों के 14 स्वीकृत पदों पर 5 कार्यरत थे और 9 रिक्त था । इस साल इसमें से भी 1 का स्थानांतरण गैर जनपद कर के यहां रिक्त पदों की संख्या को घटाने की बजाय बढ़ा दिया गया है । वर्तमान समय मे बलिया में स्वीकृत कुल 221 चिकित्सकों के पदों में से मात्र 118 कार्यरत चिकित्सको में से 21 चिकित्सकों के जाने और 6 के आने के बाद अब रिक्तियों की संख्या 103 से बढ़कर 118 हो गयी है ।



ऐसी विषम परिस्थितियों को देखने के बाद ही संभवतः नवागत सीएमओ डॉ जयंत कुमार की तबियत खराब हो गयी है और 4 दिन कार्य करने के बाद स्वास्थ्य लाभ के लिये छुट्टी पर चले गये है । मिल रही खबरों के अनुसार डॉ कुमार का प्लेटलेट्स डाउन हो गया है । ऐसी परिस्थिति को देखकर अभी तो सीएमओ के प्लेटलेट्स डाउन हुए है ,आगे तो इलाज न मिलने से आमजन का डाउन होने वाला है,इसके लिये जिम्मेदार कौन होगा ?