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संभव अभियान के तहत स्तनपान प्रोत्साहन पर रहेगा जोर,छह माह तक शिशु को दें केवल मां का दूध

 

                 


जन्म से एक हजार दिन,आने वाली जिंदगी के लिए बेहद महत्वपूर्ण, पोषण का रखें पूरा ख्याल 

बलिया ।। जिला कार्यक्रम अधिकारी के एम पाण्डेय ने कहा कि संभव अभियान कुपोषण को खत्म करने के लिए एक कारगर कदम है।इस अभियान में माह के आधार पर थीम रखा गया है। उसी के तहत अभियान को चलाया जायेगा। जुलाई माह में स्तनपान प्रोत्साहन, अगस्त माह में ऊपरी आहार व सितम्बर माह में पोषण माह है। इसके अलावा अभियान के अन्त में वजन सप्ताह का आयोजन किया जायेगा। 

 उन्होंने बताया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में गर्भावस्था के आखिरी जन्म त्रैमास में स्तनपान प्रोत्साहन, द्वितीय सप्ताह में जन्म के समय कम वजन के बच्चे की देखभाल, तृतीय सप्ताह में कंगारु मदर केयर तथा चतुर्थ सप्ताह में स्तनपान तकनीकी जुड़ाव तथा स्थिति जानी जायेगी। इसी प्रकार माह अगस्त में ऊपरी आहार तथा सितम्बर माह में पोषण माह जिसमें प्रथम सप्ताह में दस्त से बचाव, द्वितीय सप्ताह में साफ, सफाई व स्वच्छता का पोषण में महत्व आदि सप्ताह आयोजित होगा।

उन्होंने बताया कि एक जुलाई  से 30 सितम्बर तक वृहद घर-घर  जागरूकता अभियान चलाते हुए कुपोषित बच्चों के घरों में खान-पान, स्वास्थ्य जांच और उपचार, साफ-सफाई संबंधी व्यवहार की जानकारी, पुरुषों की सहभागिता तथा सुपोषण को एक उत्सव के रूप में आयोजित करने की गतिविधियां आयोजित की जायेंगी।





जिला कार्यक्रम अधिकारी का कहना है कि शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए जन्म से लेकर एक हजार दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं । इस अवधि में माता  को शिशु के पोषण पर खास ध्यान देना  चाहिए। जन्म के तुरंत बाद माता का गाढ़ा दूध कोलस्ट्रम शिशु के लिए अमृत के समान होता है। छह माह तक शिशु को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए यहां तक कि पानी भी नहीं पिलाना चाहिए। 

उन्होंने  बताया कि छह माह तक स्तनपान के बाद शिशु को अनुपूरक आहार देना चाहिए। मां को भी पोषक तत्वों से भरपूर भोजन लेना चाहिए ।  गर्भवती का पोषण उसके और गर्भ में पल रहे शिशु के जीवन पर दूरगामी प्रभाव डालता है ।

गर्भावस्था में मां का संपूर्ण आहार शिशु की लंबाई और हृष्ट पुष्ट शरीर के विकास के लिए आवश्यक है। गर्भ में और जन्म के बाद पोषण नहीं मिलने पर बच्चे के मानसिक विकास पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के भोजन में आयरन एवं फ़ोलिक एसिड की उचित मात्रा होना जरूरी है। गर्भवती के आहार सेवन में विभिन्नता होनी चाहिए। आरंभिक अवस्था में उचित पोषण नहीं मिलने से बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास अवरुद्ध हो सकता है,  जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो पाती है।

ऐसा हो शिशु का पोषण

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि 6 से 8 माह के शिशु को स्तनपान के साथ 250 मिलीलीटर की आधी कटोरी में दो बार अर्ध ठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए। 9 से 11 माह के बच्चों को स्तनपान के साथ 250 मिलीलीटर की 2 /3 कटोरी तीन बार अर्ध ठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों को स्तनपान के साथ 250 मिलीलीटर की एक कटोरी तीन बार अर्ध ठोस भोजन एवं तीन बार पौष्टिक नाश्ता भी देना चाहिए। साथ ही बच्चों के बेहतर पोषण के लिए अनुपूरक आहार में विविधता भी काफी जरूरी है। इससे बच्चों को आहार से जरूरी पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। और बच्चे भी स्वस्थ रहेंगे।