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बाबा बालेश्वर मंदिर की ये दो गलतियां क्या दूर होगी इस सावन में ?



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। बाबा भोलेनाथ के भक्तों को सावन के महीने का इंतजार रहता है । यह पूरा महीना भगवान शिव की भक्ति का और पूरा देश शिव मय हो जाता है । भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिये जहां लाखो भक्तों की भीड़ रोज लगती है तो वही बलिया मे भी बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर में भी रोज हजारो और सोमवारी के दिन लाखो पुरुष महिलाओं की भीड़ पूजा के लिये उमड़ती है ।



मंदिर की प्रबंध कमेटी पूरे सावन में भीड़ के समय मंदिर में प्रवेश व  निकास के लिये महिलाओ और पुरुषों के लिये अलग अलग लाइने पुलिस के सहयोग से बनाती है । जब से मंदिर का बड़ा और भव्य गेट बना है,भीड़ के समय मंदिर में प्रवेश के लिये जो लाइन बन रही है, उस पर भक्त जनों और पुजारियों को ऐतराज है । इन लोगो का कहना है नया गेट बनने के बाद से प्रबंध समिति ने मंदिर में प्रवेश के लिये जो लाइन बनाती है, वह शास्त्र सम्मत नही है । समिति अपनी नई व्यवस्था में निकास द्वार से प्रवेश कराकर प्रवेश द्वार से निकासी कराती है,जो मंदिर की परंपरा के खिलाफ है ।



इन लोगो ने मंदिर की प्रबंध समिति और जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस गलत परंपरा को बदल कर सही तरीके से मंदिर में प्रवेश मुख्य द्वार पर दो लाइन बनाकर कराया जाय । इन लोगो का यह भी कहना है कि अभी चल रही व्यवस्था में गणेश जी को पीछे करके आया जाता है, जो पूजा के फल को घटाने वाला कृत्य है । साथ ही इन लोगो ने यह भी सुझाव दिया है कि मंदिर में प्रवेश मुख्य द्वार से होने के बाद निकास उत्तर के द्वार से कराया जाय,जिससे भीड़ की समस्या भी नही रहेगी ।





 नंदी की लगे मूर्ति

भगवान शिव के मंदिर में कही भी प्रवेश के पूर्व भगवान नंदी की मूर्ति लगी होती है । लेकिन बलिया का बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर ऐसा शिव मंदिर है जहां गर्भगृह में प्रवेश के पूर्व भगवान नंदी की मूर्ति नही है । ऐसा नही है कि मूर्ति नही है,मूर्ति है लेकिन वह गर्भगृह के पश्चिम में स्थित है जबकि प्रवेश दक्षिण की तरफ से होता है । इस मंदिर में प्रवेश के बाद शिवभक्त पहले बाबा बालेश्वर नाथ का पूजन करते है , फिर बाहर निकल कर नंदी की पूजा करते है , जो शास्त्रीय आधार पर ठीक नही है । शास्त्र यह कहता है कि भगवान शिव की पूजा से पहले नंदी की पूजा अनिवार्य है, ऐसा न करने पर पूजन का पूर्ण फल नही मिलता है ।

 बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर की प्रबंध समिति भी यह नही चाहेगी कि शिवभक्तों को पूजा का अधूरा फल मिले । ऐसे में यह जरूरी है कि मुख्य द्वार से प्रवेश करने के बाद एक भगवान नंदी की प्रतिमा लगाई जाए जो सभी भक्तों की अर्जी को भगवान शिव तक पहुंचाने में सहायक हो । बुजुर्गों का कहना है कि इस मंदिर का प्रवेश द्वार पहले पश्चिम में जुबली पाठशाला से होकर था । इसी लिये नंदीश्वर की प्रतिमा पश्चिम में लगायी गयी है। न जाने क्यों एकाएक मंदिर का प्रवेश द्वार पश्चिम से दक्षिण कर दिया गया लेकिन नंदीश्वर की मूर्ति पश्चिम ही स्थित रह गयी ।