Breaking News

कटान पीड़ितों ने क्यो किया डीएम और सांसद का घेराव : प्रस्तुत है पूरी पड़ताल,बैरिया व सदर तहसील कर्मियों का किया है सारा गोलमाल



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। भीलों ने बांट लिया जंगल राजा को पता नही,की कहावत चरितार्थ हुई बैरिया व सदर तहसील के कटान पीड़ितों को आवासीय पट्टा देने पहुंची जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल और सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त के साथ । जी हां,जिलाधिकारी और सांसद जी, तो कटान पीड़ितों को कटान से घर बार से हाथ धोने के बाद बंजारों की जिंदगी जी रहे लोगो के दुखों पर मरहम लगाने के लिये आवासीय पट्टा देने गये थे,लेकिन वहां पट्टा न मिलने से वंचित लोगो ने दोनों लोगो का घेराव कर अपने लिये भी पट्टे की मांग की । 

जनपद की मुखिया और सत्ता पक्ष के कद्दावर नेता से इन महिलाओ ने जो मांग की उसको न तो डीएम महोदया इंकार कर सकती है, न ही सांसद जी । क्योकि दोनों लोगो का आम लोगो से जुड़ाव ज्यादे है । इन दोनों लोगो का अगर पीड़ित महिलाओं ने घेराव किया तो उसके कारण न तो डीएम साहिबा है , न ही सांसद जी, बल्कि इसके लिये कोई जिम्मेदार है तो बैरिया व सदर तहसील के अधिकारी व कर्मचारी । इन लोगो की गलतियों की वजह से महिलाओ ने डीएम और सांसद जी का घेराव किया ।

जिलाधिकारी का महिलाओं ने रोका रास्ता,हटाने में पुलिस को छूटा पसीना









क्या और कब से है कटान पीड़ितों की दास्तान

बता दे कि 2013 में गंगा की कटान ने सबसे ज्यादे तबाही मचायी । एक तरफ जहां हजारो एकड़ उपजाऊ जमीन को गंगा की धारा ने अपनी आगोश में ले लिया, तो दूसरी तरफ 377 परिवारों के आशियाने को भी अपनी जद में लेकर बड़ी बड़ी हवेली वालो को भी सड़क पर ला कर खड़ा कर दिया । जिन गांव को गंगा ने अपने मे विलीन कर लिया, उनमें बलिया सदर तहसील के बेलहरी,मझौवा,पचरुखिया, नारायणपुर,गंगापुर गांव और बैरिया तहसील का केहरपुर गांव शामिल है । इस कटान में बलिया सदर तहसील के 327 और बैरिया तहसील के 50 परिवार बेघर हुए थे । सरकार ने 2016 में सभी 377 परिवारों को आवासीय पट्टा देकर फिर से बसा दिया ।

इसी तरह बहुआरा के 2018 में कटान से बेघर हुए 58 परिवारों को  जमीन खरीद कर पट्टा दिया गया । इसी तरह 2017 में इब्राहिमाबाद नौबरार 152 लोगो को पट्टा दिया गया लेकिन अबतक मात्र 16 लोग ही कब्जा मिल पाया है, शेष को दबंगो ने आजतक कब्जा ही नही होने दिया ,पट्टा मिलने के बावजूद कटान पीड़ित आज भी सड़क पर ही है । इन पीड़ितों की लड़ाई विनोद सिंह जिलाध्यक्ष इंटक लगातार लड़ रहे है लेकिन इन पीड़ितों को प्रशासन से सिर्फ व सिर्फ वादे ही मिले है । श्री सिंह का कहना है कि असल कसूरवार बैरिया व सदर तहसील के अधिकारी व कर्मचारी है, जो डीएम व सांसद के सामने ऐसी परिस्थिति जानबूझ कर पैदा कराये है ।

 बता दे कि 2019 की कटान में केहरपुर के 149 और गोपालपुर के 103 परिवार बेघर हुए थे । इन्ही 252 परिवारों में से 29 को पट्टा दिया गया जिससे अन्य परिवारों में आक्रोश भर गया । जिनको पट्टा मिला है वो भी जाने को तैयार नही बताये जा रहे है ।

नियम विरुद्ध प्रशासन का है कार्य

बता दे कि 31 जुलाई 2012 को प्रमुख सचिव किशन सिंह अटारिया द्वारा शासनादेश जारी कर कहा गया था कि कटान पीड़ितों को जमीन खरीद कर निकटवर्ती गांवों में आवासीय पट्टा देकर बसाया जायेगा । इस शासनादेश में प्रत्येक पीड़ित को 3 डिसमिल (12 एयर) यानी 100 वर्ग मीटर जमीन देने के लिये भी कहा गया है । लेकिन गुरुवार को जिन 29 लोगो को पट्टा दिया गया है उनको मात्र 2 डिसमिल यानी 8 एयर का ही पट्टा दिया गया है । अब इन पट्टा धारकों को अगर प्रधानमंत्री आवास या मुख्यमंत्री आवास लेना होगा तो नही मिल सकता है ।

जिन 29 लोगो को पट्टा दिया गया है उनका आरोप है कि उनको गड्ढे की जमीन पट्टा में दी गयी है,जहां ये लोग नही जाएंगे । यही नही दिये गये पट्टे से भाई भाई को अलग अलग गांवों में जाना पड़ेगा,जबकि इनको निकटवर्ती गांवों में ही बसाने का शासनादेश है । इन 29 लोगो को अचलगढ़ में पट्टा दिया गया है जो इनके मूल गांव से दूर है ।





मुख्यमंत्री योगी के आदेश को भी नही मान रहा प्रशासन

बता दे कि उपरोक्त केहरपुर और गोपालपुर के 252 परिवार 16 अगस्त 2019 को बेघर हुए थे । कटान की भयावहता को देखते हुए और तत्कालीन भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के अनुरोध पर बरसात के बीच सीएम योगी कटान को देखने स्वयं दयाछपरा (बलिया) आये थे और घनघोर हो रही बरसात में भी एक जनसभा को संबोधित करते हुए कटान पीड़ितों को आश्वासन और जिला प्रशासन को निर्देश देते हुए कहा गया था कि सभी पीड़ितों को एक सप्ताह के अंदर आवासीय पट्टा दे दिया जायेगा । सीएम योगी ने साफ शब्दों में कहा था कि जमीन खरीद कर पट्टा दिया जायेगा लेकिन सीएम की घोषणा को 3 साल बाद भी जिला प्रशासन आजतक पूर्ण नही कर पाया है ।

खरीद कर नही बल्कि ग्राम समाज की जमीन पर बसाने की तहसील की योजना

बैरिया व सदर तहसील दोनों के अधिकारी शासनादेश के खिलाफ पट्टा देने पर उतारू दिख रहे है । एक तो शासनादेश के खिलाफ 3 डिसमिल जमीन की जगह 2 डिसमिल जमीन का पट्टा दे रहे है तो पीड़ितों के अनुसार कह रहे है कि जिस ग्राम सभा मे जितनी जमीन उपलब्ध होगी, उसी के अनुसार चाहे 10 लोग हो या 20 हो, पट्टा दिया जायेगा । जबकि शासनादेश निकटवर्ती गांवों में जमीन खरीद कर पट्टा देने का है । पूर्व में इसी शासनादेश के अनुसार 435 परिवारों को जमीन खरीद कर और 3 डिसमिल का पट्टा दिया भी गया है ।

पीड़ितों की संख्या घटाना भी विरोध के लिये जिम्मेदार

इंटक के जिलाध्यक्ष विनोद सिंह का कहना है कि 2012 में तत्कालीन एसडीएम बैरिया अभय सिंह और स्थानीय लेखपाल रामप्रकाश सिंह ने जांचोपरांत 252 कटान पीड़ितों की सूची को फाइनल करके जिला मुख्यालय भेजी थी । अब वर्तमान एसडीएम मात्र 84 लोगो को ही पात्र मान रहे है जिससे पीड़ितों में आक्रोश है । यही नही श्री सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि एसडीएम साहब का साफ कहना है कि वो उसी को पीड़ित मानते है जो सड़क पर रह रहा है । जो अपने किसी परिचित या रिश्तेदार के घर रह रहा है वो पीड़ित नही है । ऐसे में सवर्ण समुदाय के कटान पीड़ित एसडीएम साहब के आदेशानुसार कटान पीड़ित नही है क्योंकि उनके घर की बहू बेटियां सड़क पर नही रह रही है ।