Breaking News

वर्तमान आबकारी नीति, जिससे प्रत्येक वर्ष हो रहा अरबो के राजस्व का नुकसान



मधुसूदन

बलिया ।। कहा जाता है कि आबकारी विभाग सरकार का कमाऊ पूत है । इसी विभाग की कमाई से सरकार के अधिकांश जनहित के कार्य संचालित होते है । यही नही सरकार एक तरफ मद्यनिषेध कार्यक्रम चलाते हुए शराब की बोतलों पर शराब पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है,का स्लोगन लिखवाती है तो दूसरी तरफ प्रत्येक वर्ष दुकानों से मिलने वाले राजस्व में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि भी करके सरकारी खजाने में अधिक राजस्व जमा हो,इसकी व्यवस्था करती है । लेकिन सरकार को आबकारी नीति बनाने में दिमाग देने वाले लोगो की ही वजह से बिना किसी खर्च के मिलने वाले अरबो रुपये के राजस्व की प्रत्येक वर्ष नुकसान हो रहा है । पहले यह कार्य शराब सिंडिकेट के दबाव में होता था,लेकिन इस समय यह किसके इशारे पर हो रहा है, यह जांच कराना यूपी सरकार का काम है ।

बता दे कि 2008-09 के बाद 2018-19 तक अंग्रेजी देशी वियर की दुकानों के आवंटन के लिये लॉटरी सिस्टम को स्थगित करके पहले से ही आवंटित दुकानदारों का ही नवीनीकरण कर दिया गया । 2018-19 में योगी सरकार ने दुकानों के नये सिरे से आवंटन के लिये लॉटरी सिस्टम को लागू किया और इसके आधार पर दुकानों का आवंटन किया गया । 2019-20 में इन्ही दुकानों का पुनः नवीनीकरण कर दिया गया । इसी मध्य कोरोना महामारी ने अपना तांडव मचाया, नतीजन सरकार को इन दुकानों को भी बन्द करना पड़ा था । यही कारण है कि सरकार ने 2020-21 में भी इन्ही दुकानों का नवीनीकरण कर दिया । लेकिन पुनः 2021-22 में लॉटरी से आवंटन न करके नवीनीकरण कर दिया जाना सरकारी राजस्व के हित मे सही निर्णय नही कहा जा सकता है ।

कैसे हो रहा है अरबो का हर साल नुकसान

सरकार द्वारा अंग्रेजी शराब देशी शराब बियर की दुकानों के आवंटन के लिये लॉटरी सिस्टम का प्राविधान है । जब भी दुकानों के आवंटन के  लिये अधिसूचना जारी होती है, एक छोटी दुकान पर कम से कम 15 से 20 और बड़ी दुकानों पर 5 तक फॉर्म डाले जाते है । किसी किसी दुकान पर तो 50 से भी अधिक फॉर्म डाल दिये जाते है । एक दुकान के लिये फॉर्म डालने के लिये प्रॉसेसिंग शुल्क के रूप में प्रत्येक फॉर्म 25 हजार रुपये जमा करना पड़ता है । अगर औसत में प्रत्येक जिले में 400 दुकान और प्रत्येक दुकान पर 5 फॉर्म ही जमा किया हुआ मान लिया जाय तो 75 जिलों में (75*400*25000 =3,750000000 रुपये ) 3 अरब 75 करोड़ रुपये का राजस्व बिना किसी हर्रे फिटकरी के खजाने में जमा हो जाता । लेकिन पुरानी दुकानों के नवीनीकरण की नीति के चलते अरबो रुपये के राजस्व का चूना लग चुका है ।





स्थानांतरण नीति की उड़ रही है धज्जियां

प्रदेश सरकार समूह क और ख वर्ग के अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए एक स्पष्ट स्थानांतरण नीति पहले से ही लागू कर रखी है । जिसके तहत 3 साल के एक जनपद में कार्यकाल पूर्ण होने पर दूसरे जनपद में स्थानांतरण हो जाता है । लेकिन आबकारी विभाग में लगभग 3 दर्जन के करीब ऐसे जिला आबकारी अधिकारी है जो लगभग 5 साल से एक ही जनपद में जमे हुए है लेकिन इनके ऊपर स्थानांतरण नीति लागू ही नही हो रही है । नतीजन ये अपने अपने जिलों में तानाशाह की तरह कार्य करते हुए लाइसेंसियों का शोषण कर रहे है ।