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बलिया की नवागत जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल के सामने ये है बड़ी चुनौतियां




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। 2008 बैच की आईएएस अधिकारी (आल इंडिया रैंक 24 वी) को बलिया का नया जिलाधिकारी बनाया गया है । इससे पहले श्रीमती अग्रवाल बस्ती की जिलाधिकारी थी । श्रीमती अग्रवाल पिछले दिनों तब चर्चा में आ गयी थी जब सीएम योगी की अगवानी करने के लिये हेलीपैड तक दौड़ते हुए पहुंची थी । बलिया की नवागत जिलाधिकारी की प्रशासनिक सेवा की शुरुआत 2008 में कानपुर की उप-मंडल मजिस्ट्रेट के रूप में हुई। इसके बाद महाराजगंज में मुख्य विकास अधिकारी, उन्नाव में जिला मजिस्ट्रेट और कानपुर में केईएससीओ के प्रबंध निदेशक के रूप में भी कार्य कर चुकी है ।इसके साथ ही सौम्या अग्रवाल  दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड का प्रबंध निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुकी है ।

बलिया में क्या मिली है विरासत में चुनौतियां

14 साल की प्रशासनिक क्षेत्र में अनुभव रखने वाली सौम्या अग्रवाल से बलिया जनपद को बहुत उम्मीदें है । सबसे बड़ी उम्मीद तो यहां के अधिकारियों को मान सम्मान देने की है । क्योंकि निवर्तमान जिलाधिकारी ने अपनी प्रत्येक मीटिंगों में जो व्यवहार अपने मातहतों के साथ किया है, वह यहां के अधिकारियों के बीच जिलाधिकारी के नाम से दहशत पैदा कर दी है । दहशत इस लिये नही कि अधिकारी काम नही करते है, बल्कि इस लिये कि निवर्तमान जिलाधिकारी जिन अपशब्दों के साथ भरी बैठकों में अधिकारियों की क्लास लेते थे, उससे है । निवर्तमान जिलाधिकारी की राह पर एक और प्रशासनिक अधिकारी चलने लगे है और ये भी अपशब्दों की अब बौछार करने लगे है ।सबसे पहले नवागत जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल को मीटिंगों में दी जाने वाली अपशब्दों की परंपरा को रोकना है, जिससे सारे अधीनस्थ अधिकारी/कर्मचारी पूरे मनोयोग से जिलाधिकारी के कदम से कदम मिलाकर बलिया के विकास में सहभागिता करने लगे ।

दूसरी बड़ी समस्या यहां आने वाली बाढ़ व उससे होने वाली कटान है । कटान रोकने के लिये गंगा नदी में कार्य चल रहा है लेकिन उसकी गति अपेक्षाकृत धीमी है, जिसको तेज कराने की जरूरत है । वही अभी से बाढ़ आने पर पीड़ितों को कैसे राहत पहुंचायी जाय,इसकी तैयारी कर ली जाय, तो बाढ़ के समय कोई परेशानी नही होगी । लेकिन यहां का पिछला ट्रेंड यही रहा है कि बाढ़ आने पर राहत कार्य की योजना बनने लगती है, जिसके कारण देर हो जाती है और अधिकांश पीड़ितों तक सरकारी सहायता पहुंच ही नही पाती है ।

तीसरी समस्या जनपद मुख्यालय पर नगर पालिका द्वारा सफाई के नाम पर लूट और चारो तरफ गंदगी की है और इसके लिये अगर सबसे बड़ा कोई जिम्मेदार है तो वो है नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा है । राजनैतिक और प्रदेश मुख्यालय पर अपनी ऊंची रसूख के कारण पिछले 5 सालों से स्थानांतरण के शासनादेश की धज्जियां उड़ाते हुए बलिया को तरणताल बनाने वाले इस अधिकारी को किसी का भी खौफ नही है । कारण कि पूर्व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल के द्वारा कराये गये स्थानांतरण को निरस्त कराने और तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगरौता के डीओ लेटर को भी जो अधिकारी निष्प्रभावी कर दे,उसको भय कहा होगा । यही नही लगभग दो दर्जन भ्रष्टाचार की शिकायतें जांचोपरांत जिलाधिकारी स्तर तक लंबित होना भी इस अधिकारी के रसूख को दर्शाने के लिये काफी है । अब देखना है कि नवागत जिलाधिकारी के कार्यकाल में इस अधिकारी का रसूख कायम रहता है कि नही ।

चौथी समस्या स्वास्थ्य विभाग को लेकर है । ग्रामीण अंचलों में पदस्थापित चिकित्सको की अनुपस्थिति स्वास्थ्य सेवाओं को बद से बदतर बनाने में प्रमुख कारण है । वही जिला महिला अस्पताल में चिकित्सक के अभाव में अल्ट्रासाउंड बहुत दिनों से बन्द है,इसके लिये चिकित्सक की व्यवस्था बहुत जरूरी है ।

पांचवी समस्या जनपद में आ रहे अवैध लाल बालू को रोकने की है । साथ ही सफेद बालू का अवैध खनन चरम पर है । जिसको रोकना सबसे पहला काम होना चाहिये । यही नही बलिया में अवैध शराब की बिक्री की समस्या आबकारी विभाग और थोक लाइसेंसियों की मिलीभगत से जोरो पर है । जिलाधिकारी अगर थोक लाइसेंसियों और फुटकर लाइसेंसियों के मात्र एक माह की बिक्री व खरीद के रजिस्टरों का मिलान करा दे तो हकीकत अपने आप सामने आ जायेगी ।





छात्रों के लिये भी प्रेरणादायक व्यक्तित्व

 सौम्या अग्रवाल की यात्रा उन सभी के लिए एक मजबूत प्रेरणा है जो सिविल सेवाओं को चुनकर अपने जीवन में आगे बढ़ने की इच्छा रखते हैं। 

आईएएस सौम्या अग्रवाल उन चंद लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने अपने मौजूदा पेशेवर जीवन को छोड़कर आईएएस परीक्षा के लिए पूर्णकालिक तैयारी की है। इसके लिए गंभीर समर्पण और प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि पीछे मुड़ने का कोई रास्ता नहीं है और आगे केवल एक ही रास्ता है। सौम्या आईएएस के सपने को पूरा करने में सफल रही और अपने लिए एक नेक और सम्मानजनक कैरियर बनाया।


सौम्या ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा लखनऊ, उत्तर प्रदेश के सेंट मैरी कॉन्वेंट में पूरी की, जिसके बाद वह अपनी उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय चली गईं। अपनी डिग्री पूरी करने के बाद, उन्हें आखिरकार दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर-आधारित कंपनी में नौकरी मिल गई। वह आगे 2004 में पुणे में एक निजी कंपनी में शामिल हो गईं। इस कंपनी से, सौम्या को लंदन जाने का अवसर मिला।

यह तब था जब सौम्या को आखिरकार अपने जीवन में कमी महसूस होने लगी। वह अपने देश और माता-पिता से दूर रहकर परेशान रहती थी। वह दृढ़ता से भारत वापस जाने और अपने देश के लोगों के लिए कुछ करने का इरादा रखती थी। भारत में नौकरियों के बारे में अपने पिता से चर्चा करने के बाद, सौम्या अग्रवाल ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने का मन बना लिया।

आईएएस के लिए यात्रा


सौम्या ने 2 साल काम करने के बाद लंदन में अपनी नौकरी छोड़ दी और आखिरकार 2006 में भारत वापस आ गईं। उन्होंने लखनऊ में अपने घर पर यूपीएससी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की। सौम्या ने 3 महीने के लिए दिल्ली में एक कोचिंग क्लास में भी दाखिला लिया। एक साल के समर्पित प्रयासों और तैयारी के बाद, सौम्या ने यूपीएससी परीक्षा दी और अपने पहले प्रयास में इसे पास कर लिया।

सौम्या ने UPSC परीक्षा में 24वां अखिल भारतीय रैंक हासिल किया और उन्हें IAS अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया। सौम्या को 2008 में कानपुर में सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया था। आखिरकार उन्होंने अपने आईएएस सपने को हासिल कर लिया था और उस संतुष्टि तक पहुंच गई थी जिसे वह हमेशा अपने पेशेवर जीवन में चाहती थीं।


IAS सौम्या अग्रवाल की तरह UPSC परीक्षा में सफल होने की रणनीति

आईएएस सौम्या अग्रवाल की तरह उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए यूपीएससी परीक्षाओं के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार करना आवश्यक है। प्रीलिम्स परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के लिए कुछ मजबूत रणनीति निर्माण बिंदु नीचे दिए गए हैं ।

दादा जी के सपनों को किया साकार

 सिविल सेवाओं में भारतीय प्रशासनिक पद हासिल करने के बाद, सौम्या अपने परिवार और विशेष रूप से अपने दादा की उम्मीदों पर खरी उतरी, जिन्होंने लोक निर्माण विभाग में काम किया था और चाहते थे कि सौम्या यूपीएससी परीक्षाओं में शामिल हों। सौम्या की दो बहनें हैं, दोनों निजी कंपनियों में काम करती हैं। सौम्या परिवार में एकमात्र सफल सदस्य हैं जिन्होंने IAS पद हासिल किया है।


 सौम्या अग्रवाल आगरा के रहने वाली हैं। सौम्या की शिक्षा लखनऊ ( Lucknow) में पूरी हुई। उनके पिता ज्ञानचंद अग्रवाल रेलवे में सिविल इंजीनियर थे। वह तथा उनके परिवार आलमबाग की रेलवे कालोनी में रहते थे। वह हमेशा साइकिल से हीं स्कूल जाती थीं। सौम्या सेंट मैरी कांवेंट स्कूल से इंटरमीडिएट करने के बाद वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद भी  सौम्या पढाई को गंभीरता से नहीं लेती थी।


सौम्या अग्रवाल के पति मोहित गुप्ता आईपीएस अधिकारी है ।सौम्या अग्रवाल का कैडर उत्तर प्रदेश है । इनका गृह जनपद आगरा  है । परिवार की बात करे तो इनकी बड़ी बहन पूजा अग्रवाल  ने एमटेक करके अपनी कंपनी में नौकरी शुरू कर दी और उनकी छोटी बहन जया अग्रवाल ने बिजनेस इकोनोमिक्स में पढ़ाई पूरी की और वह भी प्राइवेट नौकरी कर रही है।