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मानव धर्म मानव कर्म का संदेश लेकर मथुरा से पहुंचे पूज्य पंकज जी महाराज,शाकाहार,सदाचार,मद्यनिषेध के लिये किया लोगो को जागृत



अभयेश मिश्र

बिल्थरारोड बलिया ।। जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज द्वारा मानव धर्म और मानव कर्म का संदेश देने के लिये निकाली गयी उन्तीस दिवसीय शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध आध्यात्मिक जनजागरण यात्रा, अट्ठारहवें दिन  शुक्रवार को तहसील बेल्थरारोड के जमीन-सिसयण्ड पहुंची।  उनके पहुँचते ही अनुवाईयो ने फूल मालाओं के साथ गर्म जोशी के साथ स्वागत किया। पंकज जी महाराज ने आयोजित सत्संग-समारोह में जनमानस को मानव तन, सत्गुरु और सत्संग की महिमा, अच्छे संस्कार के महत्व और रूहानी मण्डलों के बारे में बताया।




कहा कि सन्त-फकीर महात्मा धरा भूमि पर रूहानियत और अमन, शान्ति का संदेश देने के लिये आते हैं। यह मानव शरीर परमात्मा की भक्ति और मानव धर्म के प्रचार के लिये मिला है। इसमें प्रभु के पास जाने का रास्ता है यानि दरवाजा है। जिसका भेद सन्त, महात्मा बताते हैं। इस मनुष्य शरीर में जीवात्मा यानि सुरत दोनों आंखों के मध्य भाग में बैठी हुई है। जीवात्मा चेतन है और शरीर जड़। जीवात्मा के निकल जाने के बाद यह शरीर मात्र मिट्टी का पुतला है। आये हुये नये लोगों को सुरत-शब्द का भेद बताया और कहा कि ‘जयगुरुदेव’ के सुमिरन से जीवों का कल्याण होगा। 





गुरु मेरे पूरन पुरूष विधाता, उन चरनन पर मन मेरा राता’’ पंक्ति को उद्धृत करते हुये कहा कि इस दुनियां में गुरु के मुकाबले कोई नहीं है। सन्त महात्माओं की हस्ती और शक्ति  का वर्णन नहीं किया जा सकता है। गुरु के मिलने के पहले जितने भी देवी-देवता,ईश्वर, ब्रह्म, पारब्रह्म, सत्पुरुष, अगम और अनामी के होते हुये हम करोड़ो युगों तक भवसागर में भटकते रहे। जब वे मिल गये तो उन्होंने सबके पद को दर्शाया और सभी का दर्शन कराया। जिसने सभी का दर्शन कराया मैं केवल उन्हीं का गुणगान करता हूं। अन्य सभी का आदर सत्कार करता हूँ। लेकिन जो प्रेम मेरा अपने गुरु के प्रति है वह और किसी के प्रति नहीं है। 

राजा गोपीचन्द जैसे भक्त का इतिहास बताता है कि गुरु भक्ति में उन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। लेकिन हम लोगों में से अधिकांश लोग दुनियां की चीजों को मांगते हैं। मन की मुरादे पूरी नहीं होने से गुरु पर दोष लगाते हैं। गुरु तो रूहानी खजाना देना चाहते हैं। जिसको प्राप्त कर लेने के बाद दुनियां की दौलत प्राप्त करने की इच्छा खत्म हो जाती है।उन्होंने कहा कि एक चित्त होकर सुरत-शब्द यानि नाम की कमाई करिये। प्यारे बेटे को बाप से मांगने की जरूरत नहीं पड़ती है। पिता, अपने प्यारे बेटे को खजाने की चाभी ही दे देता है। सभी लोग ध्यान, भजन में अधिक से अधिक समय दें, जिससे गुरु खुश हो जाय। आप को सच्चा धन मिल जायेगा।

 आज मनुष्य विषय-विकारों, शराबों, कबाबों में बहुत अधिक फंस गया है। लोगों की आंखों से मां, बहन, बेटी, बहू की पहचान चली गई है। लोग पशुवत व्यवहार करने लगे हैं। दुनियां के लोग इतना अधिक तरक्की कर लिये हैं फिर भी परेशान और दुखी हैं, जिसका कारण अशुद्ध खान-पान है। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने अच्छे समाज के निर्माण के लिये लोगों सेे शाकाहार-सदाचार अपनाने और शराब जैसे बुद्धिनाशक पदार्थों को छोड़ने की अपील लोगों से की। हम लोग अपने गुरु के चिराग हैं। सभी लोग एक-एक गांव को गोद लेकर शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध का प्रचार करें और लोगों को मथुरा गुरु दरबार से जोड़ें। इससे पूरा गांव और समाज बदल जायेगा। 

उन्होंने कहा युवा देश के भविष्य हैं। युवाओं में अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार की भी जरूरत है। अच्छे संस्कार संत महात्माओं के सत्संग वचनों से पड़ते हैं। इसलिये सत्संग में अपने बच्चों को अवश्य लायें। यदि केवल भौतिक शिक्षा से संस्कार पड़ गये होते तो आज भारत जैसे देश में इतने अधिक वृद्धा आश्रम न बने होते हैं। उन्होंने जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आगामी दि. 11 से 15 जुलाई तक आयोजित गुरुपूर्णिमा पर्व पर अनुवाईओ को आने का निमन्त्रण दिया। यात्रा अपने अगले पड़ाव घोसी जिला-मऊ के लिये प्रस्थान कर गई।

 इस अवसर पर जिला बलिया संगत के अध्यक्ष बब्बन वर्मा, अरविन्द कुमार यादव तह. अध्यक्ष, दरोगा सिंह ब्लाक अध्यक्ष, शम्भूनाथ वर्मा, योगेन्द्र प्रधान, जिलापंचायत सदस्य जनार्दन सिंह यादव, जिलापंचायत सदस्य हरेराम यादव, वीरेन्द्र यादव प्रधान, बड़े यादव, डा. बेचन यादव, डा. दयाशंकर, शिवमंगल कुशवाहा, विजयशंकर प्रसाद तथा संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव, प्रबन्धक संतराम चौधरी, संगत दिल्ली प्रदेष के अध्यक्ष विजय पाल सिंह, संगत बिहार प्रदेश के अध्यक्ष मृत्युन्जय झा, म.प्र. के महासचिव बी.बी. दोहरे, प्रबन्ध समिति के सदस्य अनूप कुमार सिंह, नानक जी, अखिलेश यादव, सतीष, उपाध्याय, राजेष आदि सहित भारी सख्या में अनुवाई उपस्थित रहे।