Breaking News

निरीह पत्रकारों को जेल भेजने वाली बलिया पुलिस का बड़ा कारनामा : नाबालिग बाप ने दिया अपने बालिग बेटे की नौकरी के लिये पैसा , आरोपी विकास पहुंचा जेल




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। बलिया पुलिस के खेल भी बड़े निराले हो गये है । पेपर लीक मामले में जिस तरह से 3 निर्दोष पत्रकारों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर 28 दिनों तक जेल की कोठरी में बलिया पुलिस ने रखने का काम किया था । ठीक वैसा ही एक मामला थाना कोतवाली में दर्ज करके एक ऐसे दवा व्यवसायी को आनन फानन में जेल भेज दिया है जिसकी बूढ़ी मां असाध्य रोग से ग्रसित होकर बिस्तर पर है ।  21 मई 2022 को थाना कोतवाली में जिस  एफआईआर के आधार पर विकास सिंह नामक युवक को जेल भेजा गया है । वह एफआईआर,इसको दर्ज कराने वाला व्यक्ति व घटना का समय तीनो संदेह के घेरे में आ गये है और यह दबी जुबान आवाज भी उठने लगी है कि यह किसी अन्य कारण से फर्जी एफआईआर दर्ज करायी गयी है।



मात्र डेढ़ लाख की तथाकथित नौकरी लगाने के नाम पर पैसा लेने की शिकायत पर जिस तरह से बलिया पुलिस के नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी सक्रिय हुए और आनन फानन में आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिये , अगर इसकी आधी भी तेजी दिखाये होते तो नरही थाने से एक साल में लगभग 40 से अधिक दुधारू भैसों के चोरी हो जाने के बाद लगभग 1 साल से पशु पालक एफआईआर लिखाने के लिये नरही थाने से लेकर पुलिस अधीक्षक तक गुहार लगाते रहे, लेकिन एफआईआर नही लिखी गई, उनकी एफआईआर लिख गयी होती और चोरी हुई भैंसे भी मिल गयी होती । एक पशु पालक तो एफआईआर लिखाने के लिये माननीय कोर्ट चला गया है ।





नाबालिग का बालिग पुत्र ?

शहर कोतवाली में जिस हरिप्रकाश सिंह पुत्र स्व कामता सिंह की तहरीर के आधार पर (हरिप्रकाश ने विकास सिंह पर आरोप लगाया है ) मुकदमा पंजीकृत हुआ है, उसी एफआईआर में हरिप्रकाश सिंह की जन्मतिथि का वर्ष 2004 बताया गया है ।



 हरिप्रकाश ने आरोप लगाया है कि उसने अपने लड़के की नौकरी के लिये प्रभु (बाद में पता चला कि विकास सिंह नाम है ) को डेढ़ लाख रुपये दिया हूं, जो नही मिल रहा है । अब सवाल यह उठता है कि 2020 में जो व्यक्ति स्वयं 16 वर्ष का हो, उसका बालिग पुत्र (नौकरी लगने के लिये कम से कम 18 वर्ष का होना अनिवार्य ) कहां से हो गया ?  इससे साबित होता है कि यह साजिश के तहत लिखवाई गयी एफआईआर है ।

घटना का माह अप्रैल- जब पूरे देश मे था पहला सख्त लॉक डाउन

आरोप लगाने वाले हरिप्रकाश सिंह (वर्तमान में 18 वर्षीय) ने अपनी तहरीर में लिखा है कि अप्रैल 2020 में वह दो बार बलिया आया और विकास सिंह को पहली बार 1 लाख और दूसरी बार 50 हजार रुपये दिये । अब हम अप्रैल 2020 में देश में क्या हालत थे उस की चर्चा करते है । भारत सरकार ने केरल में 30 जनवरी 2020 को कोरोनावायरस के पहले मामले की पुष्टि की, जब वुहान के एक विश्वविद्यालय में पढ़ रहा छात्र भारत लौटा था। 22 मार्च तक भारत में कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों की संख्या 500 तक थी । इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च को सभी नागरिकों को 22 मार्च रविवार को सुबह 7 से 9 बजे तक 'जनता कर्फ्यू' करने को कहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था: "जनता कर्फ्यू कोविड-19 के खिलाफ एक लंबी लड़ाई की शुरुआत है"। दूसरी बार राष्ट्र को संबोधित करते हुए, 24 मार्च को, उन्होंने 21 दिनों की अवधि के लिए, उस दिन की मध्यरात्रि से देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने का एकमात्र समाधान सामाजिक दूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन जनता कर्फ्यू की तुलना में सख्त लागू किया जाएगा।



जनता कर्फ्यू,बजायी गयी ताली थाली घण्टी

जनता कर्फ्यू 22 मार्च (सुबह 7 बजे से 9 बजे तक) को 14 घंटे का कर्फ्यू था। इस दिन "आवश्यक सेवाओं" से जुड़े लोगों या संस्थाओं जैसे पुलिस, चिकित्सा सेवाएं, मीडिया, होम डिलीवरी पेशेवरों और अग्निशामको को छोड़कर प्रत्येक व्यक्ति को कर्फ्यू का पालन करना आवश्यक था। इसी दिन शाम के 5 बजे सभी नागरिकों को अपने दरवाजे, बालकनियों या खिड़कियों पर खड़े होकर "आवश्यक सेवाओं" से जुड़े पेशेवरों के प्रोत्साहन के लिए ताली थाली या घंटी बजाने को कहा गया था। राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना से संबंधित लोगों को देश में कर्फ्यू लागू करना था। प्रधानमंत्री ने युवाओं से जनता कर्फ्यू के बारे में 10 अन्य लोगों को सूचित करने और सभी को कर्फ्यू का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया था।

लॉक डाउन में सबकुछ रहा बन्द

24 मार्च से 21 दिन के लिये लगे लॉक डाउन में अस्पताल,पुलिस,जरूरी सामानों की चिन्हित दुकानों,प्रशासनिक गाड़ियों को छोड़कर रेल, बस, प्राइवेट वाहनों,दुकानों,मंदिरों, मस्जिदों, गिरजाघरों,गुरुद्वारों तक को बन्द करा दिया गया । ऐसे में गाजीपुर से एक व्यक्ति बलिया एक बार नही 3 बार आता है और सार्वजनिक किसी स्थान पर बैठक कर अपने बेटे की नौकरी के लिये दो बार मे डेढ़ लाख रुपये भी एक दम से अनजान व्यक्ति को दे देता है । इस एफआईआर की यह दूसरी गलती है । जब पूरे देश मे लॉक डाउन था, आवागमन प्रतिबंधित था, दूसरे जगह से आने वाले लोगो को जबरिया 14 दिनों के लिये बनाये गये अस्थायी कोरेंटाईन सेंटरों में रखा जाता था, फिर गाजीपुर से आया व्यक्ति प्रशासन की नजर में कैसे नही आ पाया ?  यह बड़ा सवाल है ।

कब कब लगा लॉक डाउन और क्या क्या हुआ था बन्द



मुख्यमंत्री जी बलिया पुलिस के कृत्यों का लीजिये संज्ञान

चाहे पेपर लीक मामला हो, चाहे नरही से चोरी हो रही भैसों का मामला हो या ताजा मामला विकास सिंह का हो, तीनो मामलों में बलिया पुलिस के कृत्य संदेह के घेरे में है । इन मामलों के बाद बलिया पुलिस पर से आम लोगो का विश्वास, पत्रकारों का विश्वास उठ चुका है । आम लोगो मे यही धारणा बन गयी है कि बलिया पुलिस जब चाहे किसी भी निर्दोष को, चाहे वह आम हो या पत्रकार ही क्यो न हो, फर्जी मुकदमे के माध्यम से जेल में डाल सकती है ।

प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी पर जनता को  विश्वास और भरोसा है कि इनके शासन में न्याय मिलेगा लेकिन बलिया पुलिस ने अपने कृत्यों से सरकार की मंशा को भी धूमिल करने का काम किया है । सीएम योगी जी से बलिया एक्सप्रेस की गुजारिश है कि विकास सिंह नामक युवक के केस की  अपने स्तर से जांच कराकर जो भी दोषी हो, उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही कीजिये क्योकि तहरीर के आधार पर यह मुकदमा फर्जी लग रहा है ।