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भजन,गजल के साथ साथ स्वच्छ भोजपुरी गीतों को शिखर तक पहुंचाने के प्रयास में लगे है कमलेश हरिपुरी

 



बलिया ।। स्वच्छ भोजपुरी,कमलेश हरिपुरी के स्लोगन से धूम मचाने वाले कमलेश उपाध्याय हरिपुरी से बलिया शहर से सटे गांव सवरु बांध में विक्की पांडेय के घर पर एक अनौपचारिक भेंट हुई । विक्की पांडेय के घर पर संध्या की बेला में श्री हरिपुरी को चाहने वाले और खुद संगीत से अभिन्न रूप से जुड़े जनपद के कई कलाकार संध्या की बेला को संगीत के मधुर स्वरों से सजाएं हुए थे । श्री हरिपुरी को कालेज के दिनों में सहयोग देने वाले टीडी कॉलेज के संगीत के पूर्व प्राध्यापक राम सुंदर राय ,विक्की पांडेय,कन्हैया हरिपुरी,अभय जी आदि स्वयं में संगीत को बसाने वाले लोग भी उपस्थित थे ।







बलिया एक्सप्रेस के संपादक मधुसूदन सिंह से एक अनौपचारिक गुफ्तगू में श्री हरिपुरी ने संक्षिप्त रूप से अपनी संगीत यात्रा को बयां किया । कहा कि एक छोटे से गांव व ब्राह्मण उपाध्याय परिवार में जन्मा ,मेरा बचपन से ही संगीत के प्रति झुकाव होने लगा । मै पढ़ाई छोड़कर अपने साथियों संग घर के वर्तनो संग जो रिश्ता जोड़ा वह आज संगीत के साथ अटूट हो गया है । स्कूली दिनों में गुरुजनों ने जो प्यार दिया,सहयोग दिया,उसी का फल है कि मै आज इस मुकाम तक पहुंचा हूं ।



हरिपुरी उप नाम जोड़ने का कारण

बातचीत में कमलेश उपाध्याय हरिपुरी ने सवाल के जबाब में कहा कि जब मै मिडिल में था तो मेरी चचेरी बहन की शादी थी । कार्ड छपवाने का जिम्मा मुझे मिल गया । इसी समय मैंने सोचा कि क्यो न मैं अपने नाम के साथ गांव का नाम भी जोड़कर अपना नाम कमलेश हरिपुरी कर लूं और मैने कार्ड में अपना नाम कमलेश हरिपुरी लिखवा दिया । कहा कि उपाध्याय परिवार में जन्मा हूं जरूर लेकिन संगीत भी मेरा परिवार है , जहां जाति धर्म नही होता है । यही कारण है कि जहां मैं अपने गांव हरिपुर के नाम से जाना जाता हूँ तो वही गांव भी कमलेश हरिपुरी के गांव के नाम से जनपद व देश मे मशहूर है । कहा कि मुझे खुशी और गर्व है कि गांव से 25 साल पूर्व जब मैं मुम्बई के लिये गया, तब से हरिपुरी नाम को मेरे बड़े भाई कन्हैया हरिपुरी (लोकगीत गायक)और मेरे छोटा भाई राकेश हरिपुरी (तबला वादक) ने लोकप्रिय बनाये हुए है ।



लोकप्रियता दिलाने वाले गीत

कहा कि बलिया से मुम्बई जाने के बाद मैने पंडित पुरुषोत्तम दास जलोटा (अनूप जलोटा जी के पिता) से मैने संगीत की शिक्षा ग्रहण की है । मुझे प्रसिद्धि दिलाने वाले गीतों की बात करे तो -गाजीपुर ने लहंगा लूटल,ताजपुर डेहमा चुनरी,बाली बलिया बरामद हो के आइल बा.... नामक भोजपुरी गीत ने मुझे संगीत की दुनिया मे पांव जमाने मे महत्वपूर्ण योगदान किया है ।





कहा कि यही नही भजन के क्षेत्र में भी मुझे अच्छा मुकाम हासिल हुआ है । टी सीरीज के द्वारा मेरे स्वर में ही अखंड श्रीरामचरितमानस पाठ का कैसेट जारी किया गया है । कहा कि अबतक मेरे द्वारा  भजन, गजल हजारो की संख्या में गाये गये है । मेरे कई एलबम निकले हुए है । भोजपुरी में भी मेरे द्वारा कई नामचीन भोजपुरी कवियों के गीत गाये गये है ।



स्वच्छ भोजपुरी, कमलेश हरिपुरी

कहा कि मै एक ट्रेंड पर काम कर रहा हूँ । मेरा मानना है कि भोजपुरी गीतों को अश्लीलता से बचाना चाहिये । भोजपुरी गीतों में वो ताकत है कि बिना अश्लील शब्दो के भी वो इशारों में सब कुछ समझा देते है जो अश्लील शब्द नही कर पाते है । कहा कि मेरे द्वारा सिर्फ व सिर्फ स्वच्छ भोजपुरी गीत ही गाये गये है और आगे भी गाये जाएंगे । कहा कि इसी लिये मेरा नारा हो गया है - स्वच्छ भोजपुरी,कमलेश हरिपुरी ।

सहयोगी अभय जी द्वारा गाये गये दो गीत