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तो क्या जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली केंद्र निर्धारण कमेटी तय करती है गिफ्ट टाइम



मधुसूदन सिंह
बलिया ।। अंग्रेजी के पेपर लीक मामले में पत्रकार समुदाय बलिया से लेकर पूरे प्रदेश में आंदोलनरत है । जिला प्रशासन ने पेपर लीक मामले मे तीन पत्रकारों को जेल भेजकर यह संदेश प्रदेश सरकार को देने का प्रयास किया है कि इस पूरे प्रकरण में गिरफ्तार पत्रकार ही सरगना है । जबकि हकीकत इनके द्वारा साल में दो बार की जाने वाली वसूली को जब डिस्टर्ब पत्रकारों ने किया,तो इसका  खामियाजा पत्रकारों को भुगतना पड़ा है ।

असल मे बलिया में नकल की आधारशिला केंद्र निर्धारण के साथ ही शुरू हो जाती है । इसके लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति पहले केंद्र निर्धारण की कबायत शुरू करती है । वैसे आजकल सबसे पहले सभी विद्यालयों को अपने संसाधनों को माध्यमिक शिक्षा परिषद की बेवसाइट पर अपलोड करना पड़ता है । उसके बाद जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति जिसमे डीआईओएस,सभी उप जिलाधिकारीगण इन विद्यालयों का  भौतिक सत्यापन करके अपनी रिपोर्ट भेजते है ।




रिपोर्ट भेजने के नाम पर ही सारा खेल होता है । जो विद्यालय तयशुदा चढ़ावा अर्पित करता है,उसका केंद्र बनना तय हो जाता है ।
जनपद में 91 एडेड विद्यालय है,जिसमे से इस बार 70 को केंद्र बनाया गया है। शेष बचे विद्यालयों में से लगभग आधा दर्जन आजीवन परीक्षा से डिबार कर दिये गये है । शेष में सरकार से इन विद्यालयों में संसाधन लगाने के लिये धन ही नही मिला कि ये परीक्षा केंद्र  बनने की योग्यता प्राप्त कर सके ।

वही वित्तविहीन विद्यालयों में संसाधन कम भी होने पर/मानक अपूर्ण होने पर भी दक्षिणा के बल पर केंद्र निर्धारित कर दिया जाता है । यह  पहली वसूली है । सूत्रों की माने तो इसके बाद दूसरी वसूली गिफ्ट टाइम के रूप में होती है ।बता दे कि गिफ्ट टाइम वह है जिस समय केंद्र का कैमरा खराब हो जाता है या बन्द हो जाता है । एक बार गिफ्ट टाइम 15 मिनट का होता है । अगर दक्षिणा बढ़ाकर दी जाती है तो यह गिफ्ट टाइम दुबारा भी मिल जाता है । इसी गिफ्ट टाइम में पेपर लीक कराना और नकल कराने ,लिखी हुई कापियों की अदला बदली की जाती है । इसी लेनदेन के चलते पेपर लीक होता है और नकल कराया जाता है । इसी गोरखधंधे के बीच मे पत्रकारों का आना इन लोगो को नागवार गुजरा और पत्रकारों को जेल भेजने का काम किये ।

 प्रदेश सरकार के मुखिया सीएम योगी जी को इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच किसी बाहरी एजेंसी या न्यायिक जांच करानी चाहिये । जांच में केंद्र निर्धारण से लेकर किन किन परीक्षा केंद्रों के कैमरे बन्द हुए है ,की भी जांच होनी चाहिये । साथ ही केंद्र निर्धारण कमेटी के सदस्यों की वित्तविहीन विद्यालयों को केंद्र बनाने में भूमिका की जांच के साथ ही इन अधिकारियों की हैसियत की भी जांच हो ।अगर ऐसा हो गया तो बलिया से नकल का कोढ़ सदा सदा के लिये दूर हो जायेगा ।