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प्रयागराज उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला : ड्राइविंग लाइसेंस का रिन्यूवल न होने मात्र से बीमा कम्पनी मुआवजा देने से नही कर सकती है इंकार




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प्रयागराज ।। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण न करने से बीमा कंपनी को मुआवजे का भुगतान करने से नहीं रोका जा सकता है। उसे दावेदार को मुआवजा देना होगा।यह आदेश जस्टिस डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर की सिंगल बेंच ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है ।







कोर्ट ने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण न होने से यह साबित नहीं होता कि ड्राइवर गाड़ी चलाने के लायक नहीं था। अगर कंपनी मुआवजे का भुगतान करने से बचना चाहती है, तो उसे यह साबित करना होगा कि ड्राइवर गाड़ी चलाने के लिए अयोग्य था। इस वजह से बीमा कंपनी दावे के भुगतान के लिए जिम्मेदार है। उसे इस आधार पर राहत नहीं दी जा सकती कि चालक के ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया गया है।


घटना 22 जुलाई 1992 को मेरठ जिले की है। चालक सुधीर मोहन तनेजा बस को साइड में रखते समय ट्रक की चपेट में आ गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। याचिकाकर्ता के परिजनों ने मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण के समक्ष 25 लाख 64 हजार रुपये मुआवजे का दावा किया था. प्राधिकरण ने सुनवाई के बाद तीन लाख 24 हजार रुपये के दावे के भुगतान का आदेश दिया. बीमा कंपनी ने प्राधिकरण के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।

बीमा कंपनी के वकील अरुण कुमार शुक्ला का तर्क था कि बस चालक के ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं कराया गया था, इसलिए वह दावा नहीं कर सकता। हालांकि हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बीमा कंपनी की दलीलों को नहीं माना। कहा कि बीमा कंपनी यह साबित करने में विफल रही है कि बस चालक गाड़ी चलाने के लायक नहीं है। हाईकोर्ट ने इस आधार पर बीमा कंपनी की याचिका खारिज कर दी।