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आया दौर मुफ्तखोरी का : अब काहे राग अलाप रहे हो, विकास ,सड़क,बिजली और नौकरी का


                                  सांकेतिक चित्र

संतोष कुमार शर्मा

तुम हो दिल्ली सी मुफ्तखोर, मैं मेहनतकश बैंगलोर प्रिये ।

 मैं स्मार्ट सिटी पर काम करूँ, तुम करती केवल शोर प्रिये ॥

बलिया।। कभी मुफ्तखोरी को देश की जनता के लिये अभिशाप मानने वाली एक बड़ी पार्टी ने इस मुफ्तखोरी के अभियान में सभी दलों को पीछे छोड़ दिया है । यह चुनाव न तो राष्ट्रवाद पर,न विकास पर और न ही सुशासन पर लड़ा जा रहा है बल्कि यह सिर्फ और सिर्फ मुफ्तखोरी पर लड़ा जा रहा है । मुफ्त देने की सभी दलों में होड़ लगी हुई है ,ये ऐसे दे रहे है, घोषणा कर रहे है जैसे ये अपनी गाढ़ी कमाई को दान कर रहे है । अगर ऐसे ही मुफ्तखोरी चलती रही तो देश भी एकदिन मुफ्तखोरों की सूची में शामिल होने को मजबूर हो जायेगा ।

मुंशी प्रेमचंद ने कहा था --

किसी को भी दूसरों के श्रम पर मोटे होने का अधिकार नहीं हैं। उपजीवी होना, घोर लज्जा की बात है। कर्म करना प्राणिमात्र का धर्म है ।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव की तारीख के एलान के साथ ही प्रथम चरण के मतदान के लिए नामांकन का दौर भी खत्म हो रहा हैं । चुनाव जीतने के लिए हर दल अपना अपना जादुई पाशा फेंक रहा है। मतदाताओं को लुभाने के लिए कई एजेंडे भी सामने हैं । बिजली , पानी , सड़क , अस्पताल , रोज़गार , शिक्षा , कृषि आदि से राजनैतिक दल  अब मुंह मोड़ रहे हैं , विकास की बात अब पीछे छूट रही है । राजनीतिक दल अब मुफ्त , माफ और मुवावाजे की घोषणा के साथ मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं । राजनीतिक दल  वोटरों को अपनी योजनाओं को समझा भी रहे हैं ।  








पार्टियों का जोर मुफ्त में सामान और सुविधाएं देने पर लग रहा है । इस चुनाव में मुफ्त में देने व मांफ करने की एक प्रतियोगिता राजनीतिक दलों के बीच एजेंडे के रूप में शुरू हो चुकी है । कांग्रेस ने लड़कियों को मुफ्त स्कूटी और स्मार्टफोन देने का वादा किया है । वहीं उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहली बार कदम रख रही आप का जोर मुफ्त बिजली देने पर है । समाजवादी पार्टी ने तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है । कांग्रेस ने वादा किया है कि सभी लोगों का बिजली बिल आधा माफ करने के साथ - साथ कोरोना काल के बकाए बिजली बिल को भी माफ किया जाएगा । 


 उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नए साल के पहले दिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी अगर सत्ता में आती है तो लोगों को 300 यूनिट घरेलू बिजली मुफ्त मिलेगी और सिंचाई बिल माफ किया जाएगा । सपा सरकार आएगी और 300 यूनिट फ्री घरेलू बिजली व सिंचाई की बिजली मुफ्त दिलवाएगी । आम आदमी पार्टी पहली बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में दम - खम से उतर रही है । पार्टी की ओर से कहा गया कि आप की सरकार बनने पर बिजली के घरेलू उपभोक्ताओं को 300 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी । आप ने किसानों को खेती - बाड़ी के लिए 24 घंटे बिजली फ्री देने का वादा किया है । सभी दल विकास को पीछे छोड़ दिए हैं । अब, विकास , अपराध , कानून व्यवस्था  मुद्दा नहीं रहा । युवाओं को रोजगार , नौकरी देने का समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव,कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने वादा किया है । भाजपा भी 2014 में प्रत्येक साल 1 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा करके ही सत्ता में आयी थी । अब देखना है युवाओं को अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी में से किसके वादे पर कितना भरोसा है ।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या देश मे कोरोना के कारण जो मुफलिसी घरों तक आयी है ,नौजवान बेरोजगार होकर दर दर की ठोकरे खा रहा है,किसान खाद बीज की महंगाई से परेशान है,आमजन जन महंगाई से त्रस्त है ,रसोई गैस व पेट्रोल डीजल ने घरों का बजट बिगाड़ रखा है, के ऊपर जनता मतदान करती है । या  सब भूलकर जनता मुफ्त के वादे ,माफ के इरादे और मुवावजे के मरहम को ही अपना भाग्य मानकर ,जो ज्यादे मुफ्त दे रहा है उसके चुनाव चिन्ह वाले बटन को ज्यादा  दबाती हैं ।

आनंद दधीच ने ठीक ही लिखा है -

मुफ्त की पढाई चाहिए, 

ईलाज की भरपाई चाहिए, 

आरक्षण की रजाई चाहिए, 

कानून में ढिलाई चाहिए, 

नौकरी मनचाही चाहिए, 

रिश्वत की कमाई चाहिए, 

कर छुट हवाई चाहिए, 

मेहनत से क्या लेना देना,

 सेहत से क्या लेना देना, 

राष्ट्रहित से क्या लेना देना, 

कुदरत से क्या लेना देना, 

तो फिर महंगाई भी पाईये।

©पूर्णेन्दु कान्त ने क्या गलत कहा है --

मुफ्त की बिजली मुफ्त का पानी,
आदत लग गई बड़ी सुहानी;
राजनीति का दाव ये देखो,
टैक्स के पैसे पर मनमानी!

लोकलुभावन वादा करके,
उनमें से कुछ पूरा करके;
रहे हाथ सत्ता की चाबी,
भले होवे धन की बर्बादी!

स्वास्थ्य व्यवस्था पड़े बढ़ाना,
धनाभाव का रो दें रोना;
उस पर से ये आया करोना,
इनसे कुछ उम्मीद रखो ना!

मुफ्त अनाज दो, बिजली पानी,
पर उनको ही जो अति गरीब हों;
राज्य में जो भी सबल लोग हैं,
उन्हें छूट देना बेमानी!

धन है सीमित उपयोग तो सीखो,
देनदारी का जोखा देखो;
अपने घर के बजट सरीखे,
बजट प्रशासन का तो देखो!