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ददरी मेला में हुआ बवाल : करोड़ो का घोटाला करने का आरोप लगाकर सभासद ने ईओ को पहले पहनानी चाही माला , फिर मुंह पर फेंका चुना,हुआ गिरफ्तार,जाने ईओ पर क्या है घोटाले का आरोप,मेले में कैसे होता है घोटाला




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। ऐतिहासिक ददरी मेले के कैंप कार्यालय पर दोपहर के समय  सभासदों की आहूत एक मीटिंग में जमकर हंगामा हो गया । वार्ड नंबर 16 के सभासद विकास पांडेय लाला ने नगर पालिका के ईओ दिनेश विश्वकर्मा को करोड़ो का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाते हुए एक पत्रक देकर जबरिया माला पहनाने लगे । इस बीच ईओ और सभासद में जमकर हॉट टॉक हुई और जब ईओ ने विकास पांडेय लाला द्वारा दिया गया आवेदन फेक दिया तो विकास पांडेय ने जमीन से चुना उठाकर ईओ के मुंह पर फेंक दिया ।वहां उपस्थित ददरी मेला थाना प्रभारी व अन्य पुलिस कर्मियों ने विकास पांडेय लाला को पकड़ कर कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया ।

पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद भी विकास पांडेय लाला सप्लाई लिये गये चुने की घटिया क्वालिटी और ईओ द्वारा करोड़ो का घोटाला किये जाने का आरोप चिल्ला चिल्ला कर लगाते रहे । इस दौरान ईओ ने सख्ती से प्रतिकार किया। तभी मौके पर मौजूद दारोगा व पुलिस कर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया फिर कोतवाली ली गई। ईओ ने मामले में कोतवाली में तहरीर दे दी है। 




उधर विकास पांडेय लाला का आरोप है कि स्वच्छ भारत अभियान में नगर पालिका के ईओ दिनेश विश्वकर्मा द्वारा करोडों को घोटाला किया गया है, आप वीडियो मे देख सकते हैं कि किस तरह विकास पांडेय लाला आरोप लगा रहे हैं। उधर इस संबंध में कोतवाल बालमुकुंद मिश्र ने बताया कि ईओ ने तहरीर दी है, मुकदमा पंजीकृत करने की कार्यवाही चल रही है।



घोटाले का आरोप ईओ पर कोई नया नही 

नगर पालिका बलिया के अपने कार्यकाल के शुरुआत से ही ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा पर घोटाले का आरोप लगता रहा है । इनके द्वारा लाखो करोड़ो की खरीद हो या निर्माण कार्य शासनादेशों की अवहेलना करके,बिना अध्यक्ष की स्वीकृति के कराये जाने की,दो दर्जन से अधिक शिकायतें प्रचलित है । इन सब जांच अधिकारियों ने दोषी भी ठहराया है लेकिन न जाने कौन सा चुम्बक ईओ श्री विश्वकर्मा के पास है कि जांच के बाद भी इनके ऊपर कार्यवाही करने से जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की हिम्मत ही नही होती है ।

ईओ के खिलाफ गयी शिकायतों के सम्बंध में तत्कालीन उप जिलाधिकारी सदर श्री राजेश कुमार यादव द्वारा दिनांक 15 मार्च 2021 को अपने हस्ताक्षर से पत्रांक 401(1)आ ले उ जि बलिया के द्वारा एक पक्ष में सम्बंधित पत्रावलियों के साथ अपने कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया था,जो आज तक लम्बित ही है । यह ईओ की प्रशासनिक पहुंच को दर्शाने के लिये काफी है ।

10 बीटी मोटर्स का कही अतापता नही

बलिया में पहले मोटर्स पम्प को चलाने के लिये बीटी मोटर्स लगायी गयी थी,जिनकी स्क्रैब बिक्री पर भी प्रति मोटर 80 हजार से 1 लाख तक मिल सकते है लेकिन ये सभी 10 बीटी मोटर्स न तो कंडम स्टॉक रजिस्टर में है, न ही स्टोर के स्टॉक रजिस्टर में । अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर बिना पैर वाली ये मोटरे कहां गायब हो गई किसी को पता नही । इसकी कई शिकायतें हुई, प्रशासनिक अधिकारियों ने जांच भी की, ऑडिट में भी इसके सम्बन्ध में आपत्ति दर्ज की गई, लेकिन न जाने इनको आसमान खा गया या धरती निगल गयी । आईएएस पीसीएस अधिकारियों द्वारा जांच के बाद भी इनका न मिलना सभी को कटघरे में तो खड़ा कर ही रहा है ।

अमृत योजना में पाइप लाइन बिछाने में लाखों का घोटाला

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट अमृत योजना ,जिसके अंतर्गत हर घर तक पेयजल पहुंचना है,के लिये डाली गई पाइप लाइनों में जमकर घोटाला होने की कई लिखित शिकायते हुई है,जांचे हुई भी है और प्रचलित भी है ,ऑडिट ने भी घोटाला होने की अपनी आपत्ति के द्वारा पुष्टि भी की है लेकिन ईओ विश्वकर्मा के खिलाफ कोई प्रशासनिक अधिकारी कार्यवाही कर दे, दिख नही रहा है ।

जॉइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर ने जांच में पायी अनियमितता : सूत्र

नगर पालिका अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी और नगर पालिका के कर्मचारी नेता अनिल सिंह की शिकायतों पर जिलाधिकारी द्वारा जॉइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर जुनैद अहमद (आईएएस) की अध्यक्षता में बेसिक के वित्त व लेखाधिकारी और लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता आशीष शुक्ल की एक जांच कमेटी बनाई गई थी । सूत्रों की माने तो इस कमेटी ने कई बार शिकायत के बिंदुओं वाले अभिलेखों की मांग की, लेकिन ईओ दिनेश विश्वकर्मा ने जेम पोर्टल से खरीद सम्बन्धी मात्र 3 पत्रावलियों को ही प्रस्तुत किया गया , अन्य पत्रावलियां जांच के लिये उपलब्ध ही नही करायी गयी ।

इस जांच टीम ने प्रस्तुत की गई जेम पोर्टल से खरीद की जांच की तो इसमें भारी अनियमितता पकड़ी है, ऐसा सूत्रों ने बताया है । पकड़ी गयी गड़बड़ियों में दर से ज्यादे भुगतान,अध्यक्ष का अनुमोदन न होना,आपूर्ति किये गये सामानों की तकनीकी जांच न होना,क्रय हेतु कोई समिति न बनाना आदि प्रमुख बतायी जा रही है ।

यही नही सूत्रों ने तो यहां तक कहा है कि जांच टीम ने अक्टूबर के अंत मे गड़बड़ी को रेखांकित करते हुए अपनी रिपोर्ट भी जिलाधिकारी के पास भेज दी है लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कार्यवाही न होना सवाल खड़ा कर रहा है ।





कैसे होता है नपा में मेला की आय का घोटाला

ददरी मेला में कैसे लूट खसोट होती है ,इसका खुलासा ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है । नंदी ग्राम के शुरू होने से लेकर ददरी मेला के समापन तक टैक्स के रूप में जो भी धनराशि प्राप्त होती है और जो धनराशि विभिन्न आयोजनों पर खर्च होती है ,उसकी जानकारी सिर्फ कैशियर द्वारा बनाये गये स्याहा रजिस्टर से ही हो सकती है । यह ऐसा रजिस्टर है जो कैशियर द्वारा बनाया गया होता और इसको न तो अधिशासी अधिकारी , न ही लेखाधिकारी द्वारा ही प्रमाणित किया गया होता है । यही नही कार्यक्रमों के आयोजन के नाम पर कर्मचारियों को नगद धनराशि दे दी जाती है लेकिन इस मद में हुए अधिकतर खर्चो की रसीद /बिल जमा ही नही किया जाता । इससे स्पष्ट है कि इस धनराशि का अधिकांश हिस्सा लूटखसोट में जाता है ।

ददरी मेला में दुकानदारों से वसूली के लिये कई तरह की रसीदें व कूपन प्रयोग में लायी जाती है । लेकिन कौन सी रसीद या कूपन कितना और कहां से छपा है,इसकी जानकारी गोपनीय रहती है । जबकि किसी भी प्रकार की वसूली के लिये रसीद हो या कूपन सिर्फ व सिर्फ राजकीय मुद्रालय लखनऊ से ही छपवाने का शासनादेश है, जो यहां लागू नही होता है ।

वर्ष 2019 के ददरी मेला में कैसे हुआ घोटाला

ददरी मेला 2019 में जैसा घोटाला हुआ था, जो आज भी हो रहा हो, की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है । यह घोटाला ददरी मेला में, जो 28 अक्टूबर से 3 दिसंबर 2019 तक लगा था,की ऑडिट रिपोर्ट द्वारा खुलासा किया गया है ।

सारी कारगुजारी का केंद्र स्याहा रजिस्टर,  न तो ईओ , न ही लेखाकार द्वारा सत्यापित

 स्याहा रजिस्टर के समरी विवरण  के अनुसार 2019 में मेले से कुल 75 लाख 31 हजार 419 रुपये की आय हुई थी । जबकि कैशियर कैशबुक में मात्र 73 लाख 41 हजार 419 रुपये की आय दर्ज है । शेष धनराशि 1लाख 89 हजार 804 कहां जमा है इसका कोई विवरण कही भी दर्ज नही है ।

परिशिष्ट क में अंकित स्याहा रजिस्टर के अनुसार मेले से प्राप्त आय 75 लाख 31 हजार 419 के सापेक्ष कैशियर कैशबुक रोकड़ बही में मात्र 68 लाख 87 हजार 205 रुपये जमा के अभिलेख दिखाये गये । एक अन्य रजिस्टर जो कैशियर द्वारा बनाया गया था जिसमे ---

11 अक्टूबर को आर के एक्जीविशन ----                   21000

11 अक्टूबर को चेक एसबीआई खाता 298418 में - 50000

21 अक्टूबर को नगद + एडवांस                         -  4,46310

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                                                         कुल      4,97,310

उपरोक्त खर्च को मानने के बाद भी 1लाख 89 हजार 804 रुपये कम है । वही 21 अक्टूबर को नगद व एडवांस 4लाख 46 हजार 310 किसको दिया गया स्पष्ट नही है।