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खंदवां की अवैध असलहा बनाने की फैक्ट्री को खोज रहे है इसी गांव के लोग,प्रधान प्रतिनिधि ने कहा-मेरे गांव को किया गया बदनाम,नही है कोई फैक्ट्री,पुलिस के खुलासे पर उठे सवाल


मधुसूदन सिंह

बलिया।। जिले के उभांव व नगरा की बहादुर पुलिस ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए खंदवां गांव में असलहे बनाने की फैक्ट्री, पिस्टल, तमंचा कारतूस, असलहे बनाने की समाग्री व तीन अभियुक्तों को पकड़ी है। लेकिन पुलिस के इस खुलासे में छेद ही छेद दिख रहा है। फैक्ट्री संचालित होने वाले स्थान के मालिक से लेकर असलहे बनाने की सामग्री तक में झोल दिखाई दे रहा है। गांव के लोग भी फैक्ट्री होने के दावे को झुठला रहे है। कहा जा रहा है कि उनके गांव को बदनाम किया जा रहा है। लोग सवाल उठा रहे है कि क्या फर्जी एनकाउंटर की तरह फर्जी खुलासे करने में भी जुट गयी है बलिया की बहादुर पुलिस ? सबसे ताज्जुब की बात ये है कि दोनों थाना प्रभारी जिलों में फ्री क्राइम के एक्सपर्ट की कुर्सी संभाल चुके है।






बता दे कि उभांव व नगरा पुलिस की संयुक्त अभियान में खंदवां गांव के पूरब में अवैध असलहे की फैक्ट्री और पिस्टल, तमंचा व कारतूस पकड़े जाने का दावा बुधवार को पुलिस प्रेस नोट के जरिये किया गया, पर उनका दावा जमीनी हकीकत से कोसों दूर दिख रहा है। गांव के लोग उनके इस दावे को झुठला रहे है। पुलिस की कहानी में कई झोल दिखर रहे है- 

झोल 1- जिस स्थान पर अबैध असलहे की फैक्ट्री होने की बात कही जा रही है आखिर वह जमीन या मकान किसकी थी ? पुलिस ने खुलासा क्यो नही किया ।

झोल 2- जिसकी जमीन या मकान थी उसका नाम पुलिस की प्रेस नोट में जिक्र क्यों नहीं है। प्रेस नोट में तीन के अलावे किसी चौथे सहयोगी के होने या भाग जाने का जिक्र तक नहीं है।

झोल 3- पकड़े गए सभी बंदे मऊ जनपद के मधुबन थाना क्षेत्र के है। आखिर 35 किलोमीटर दूर यहां पर किसके सहयोग से वे फैक्ट्री संचालित कर रहे थे। इसका खुलासा क्यो नही हुआ ।

झोल 4- पुलिस ने अवैध असलहे बनाने की सामग्री पकड़े जाने का जिक्र प्रेस नोट में किया है लेकिन वो उपकरण कौन - कौन से थे, न तो प्रेस नोट में जिक्र है और न ही जारी तस्वीर में कही दिख रहा है। जाहिर सी बात है कि फैक्ट्री होगी तो कुछ निर्मित कुछ अर्द्ध निर्मित हथियार के साथ उसे बनाने के लिए खराद, कटर मशीन, डाई मशीन, फार्मा जैसे कुछ उपकरण भी मिले होंगे। हो सकता है जिम्मेदार पुलिस उसे  पैक बोरे में रखी हो।

झोल 5- फैक्ट्री, मकान, वाहन आदि क्राइम में इस्तेमाल पाए जाने पर इन्हें सीज किया जाता है लेकिन बलिया की बहादुर पुलिस के प्रेस नोट में और न ही धरातल पर यह कहीं देखने को मिल रहा है।

झोल 6- अवैध फैक्ट्री पकड़े जाने पर आसपास के लोगों को जानकारी होती है लेकिन ऐसी खबर आने के बाद गांव व चट्टी के सभी अचंभित है और सब उस स्थान को ढूढ रहे है और एक दूसरे से सवाल कर रहे है।

     पुलिस के दावे और और लोगों के कथन में क्या सच्चाई है यह तो जांच का विषय है। लेकिन यह तो तय है कि पुलिस के इस खुलासे में  झोल ही झोल है।








ग्रामीण व प्रधान प्रतिनिधि का आरोप,गांव को किया गया बदनाम

गांव के प्रधान प्रतिनिधि ओमप्रकाश सिंह से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हमारे गांव में को सिर्फ बदनाम किया गया है । हमारे गांव में कही भी कोई अवैध असलहे की फैक्ट्री नहीं पकड़ी गयी है।

गांव के अन्य लोग भी पुलिस की कहानी यानी अवैध असलहे की फैक्ट्री की बात से इनकार कर रहे है। कुछ कैमरे के सामने तो कुछ कैमरे से पीछे इस मामले पर अपनी भड़ास निकाल रहे है।