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पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में की तीनों नए कृषि कानून वापस लेने की घोषणा,राकेश टिकैत का जबाब-जबतक खत्म नही होगा जारी रहेगा आंदोलन

 



मधुसूदन सिंह

नईदिल्ली ।। लगभग 1 साल से धरनारत किसानों को शुक्रवार को पहली बार खुशखबरी मिली जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए घोषणा की कि सरकार तीनो कृषि कानूनों को वापस लेती है । आगामी शीतकालीन संसद के सत्र में कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाएगी । साथ ही पीएम धरनारत किसानों से धरना खत्म कर घर वापस जाने की अपील भी की । वही किसान नेता राकेश टिकैत न साफ शब्दों में कह दिया कि हमे पीएम मोदी के आश्वासन पर भरोसा नही है ,हमारा धरना संसद द्वारा इन कानूनों को रद्द करने के दिन तक जारी रहेगा । क्योंकि पीएम मोदी ने 15-15लाख रुपये खाते में भेजने का भी आश्वासन दिया था, वह पूर्ण नही हुआ ।

राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों आज देव दीपावली का पावन पर्व है। आज गुरुनानक देव जी का भी पावन प्रकाश पर्व है। मैं विश्व में सभी लोगों और सभी देशवासियों को बधाई देता हूं। यह भी बेहद सुखद है कि डेढ़ साल बात करतारपुर साहिब कॉरिडोर फिर से खुल गया है। गुरुनानक देव जी ने कहा है कि संसार में सेवा का मार्ग अपनाने से ही जीवन सफल होता है। हमारी सरकार इसी सेवा भावना के साथ देशवासियों का जीवन आसान बनाने में जुटी है। न जाने कितनी पीढ़ियां जिन सपनों को सच होते देखना चाहती थीं, भारत उन्हें साकार करने की कोशिश कर रहा है।



किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने कहा- मैंने किसानों की परेशानियों और चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है। जब देश ने मुझे 2014 में प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया तो हमने किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। बहुत लोग अनजान हैं कि देश के 100 में से 80 किसान छोटे किसान हैं। उनके पास 2 हैक्टेयर से भी कम जमीन है। इनकी संख्या 10 करोड़ से भी ज्यादा है। उनकी जिंदगी का आधार यही छोटी सी जमीन का टुकड़ा है।


मोदी ने कहा कि ये किसान इसी जमीन से अपने परिवार का गुजारा करते हैं, इसलिए देश के छोटे किसानों की परेशानियों को दूर करने के लिए बाजार, बीमा, बीज और बचत पर चौतरफा काम किया। हमने किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ नीम कोटेड यूरिया और स्वाइल हेल्थ कार्ड जैसी सुविधा दी। इन प्रयासों से प्रोडक्शन बढ़ा। हमने फसल बीमा योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ा। बीते चार साल में एक लाख करोड़ से अधिक का मुआवजा किसान भाई-बहनों को मिला है।


हम छोटे किसानों के लिए बीमा और पेंशन की सुविधा भी लाए। हम उनकी सुविधाओं को ध्यान रखते हुए उनके खातों में सीधे एक लाख बासठ हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। उन्हें उनकी उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी कई कदम उठाए। इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर किया, एमएसपी बढ़ाई। इससे उपज कि पिछले कई रिकॉर्ड टूट गए है। देश की मंडियों को ईनाम योजना से जोड़कर किसानेां को अपनी उपज कहीं भी बेचने का प्लेटफॉर्म दिया। कृषि मंडियों पर करोड़ों रुपए खर्च किए। पहले के मुकाबले देश का कृषि बजट 5 गुना बढ़ गया है।






दिवाली पर 100 करोड़ वैक्सीनेशन पर बधाई दी थी

कोरोना काल के 20 महीने में मोदी 10 बार राष्ट्र को संबोधित कर चुके हैं। यह इस साल का उनका चौथा संबोधन है। दिवाली से पहले दिए 20 मिनट के संबोधन में मोदी का ज्यादातर फोकस कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज पूरे होने और महामारी से निपटने के तरीकों पर रहा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने एक संदेश भी दिया कि महामारी के वक्त जो सवाल उठे थे, देश ने उनके जवाब दे दिए हैं। साथ ही साथ उन्होंने अर्थव्यवस्था, किसानों और त्योहारों का भी जिक्र किया, तो मास्क को लेकर नया मंत्र भी दिया।

किसानों आंदोलकारियों को मिले कई घाव : बापू का रास्ता यानी सफलता की गारंटी

किसानों के अहिंसात्मक आंदोलन की सफलता ने एक बार फिर से बापू और उनकी अहिंसात्मक आंदोलन में कितनी ताकत थी, यह आज साबित हो गया है । व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर भले ही लोगो को लगता है कि अहिंसा से देश को आजादी मिलने की बात गलत है,लेकिन आज जब बापू के रास्ते पर ही किसानों ने आंदोलन शुरू किया और केंद्र सरकार को 1 साल के अंदर तीनो कृषि कानूनों को वापस करने पर मजबूर किया तो यह कहने में कोई गुरेज नही है कि अहिंसात्मक आंदोलन के आगे जब अंग्रेज नही टिके थे तो आज की सरकारों की कोई गिनती ही नही है । इस अहिंसात्मक आंदोलन में किसानों ने अपने लगभग 1000 किसान साथियो को सदा सदा के लिये खो दिया, आतंकी खालिस्तानी होने की गलियां भी सुनी । यहां तक इनके ऊपर गाड़ियां तक चढ़ाई गयी लेकिन किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वालो ने अपना धैर्य नही खोया जिसका नतीजा है कि केंद्र सरकार को मजबूरी में तीनों कानूनों को खत्म करने का निर्णय लेना पड़ा ।

आतंकी खालिस्तानी कहने वालों की अब कैसे चलेगी डिबेट की दुकान

आंदोलनकारियों को कभी आतंकी, कभी खालिस्तानी, कभी विपक्ष के दलाल आदि न जाने कितने ही उप नामों से संबोधित करके अपमानित करने वाले नेताओं और टीवी चैनलों की दुकानों का अब क्या होगा, यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है । क्योंकि देश के प्रधानमंत्री मोदी जी की घोषणा के बाद इनके पास किसानों को किसान कहने के अलावा कोई चारा ही नही बचा है । क्योंकि अगर किसानों को आतंकी कहेंगे तो सवाल खड़ा हो जाएगा कि क्या देश के प्रधानमंत्री ने आतंकियों के सामने घुटने टेक दिये ? पीएम मोदी की सोच व नियत में कोई खोट नही है ,खोट ऐसे लोगो की सोच में है, ऐसे टीवी चैनलों में है जो उलजुलूल बोलकर, खबरे दिखाकर अपनी टीआरपी बढ़ाने का कुत्सित प्रयास करते है । लगभग 1 हजार किसानों की शहादतों ने आखिरकार किसानों को विजय दिला ही दी ।


अरविंद केजरीवाल का बयान

आज प्रकाश दिवस के दिन कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी मिली। तीनों क़ानून रद्द। 700 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन ।


पीएम मोदी पर विश्वास नहीं है: टिकैत 


उन्होंने 15-15 लाख रुपये देने का भी ऐलान किया था।

मोदी सरकार के इस बड़े फैसले के बाद आंदोलन का चेहरा बने बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट करके कहा कि अभी आंदोलन खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा । सरकार MSP के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें।’


राकेश टिकैत ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, अभी एमएसपी पर स्थिति साफ नहीं हुई है। जब संसद में तीनों कानून वापस हो जाएंगे तभी आंदोलन भी वापस होंगे। टीकैत ने कहा, मुझे मोदी पर विश्वास नहीं है। उन्होंने 15-15 लाख रुपये देने का भी ऐलान किया था।



आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट किया