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मिशन शक्ति फोरम के तत्वाधान में " तनाव प्रबंधन "विषयक वेब संगोष्ठी सम्पन्न







बलिया ।। श्री सुदृष्टि बाबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय , सुदिष्टपुरी- रानीगंज , बलिया के ' मिशन शक्ति फोरम ' के तत्वावधान में ' तनाव प्रबंधन ( Stress management ) ' विषय पर केंद्रित एक वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता श्रीमती मीनाक्षी मिश्रा , परामर्श मनोवैज्ञानिक - यूनाइटेड इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज - प्रयागराज , थीं । वेब संगोष्ठी का संचालन महाविद्यालय के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान , तृतीय सेमेस्टर की छात्रा कु • सृष्टि मौर्या ने किया । कार्यक्रम का शुभारंभ ' सरस्वती वंदना ' से हुआ । ' सरस्वती वंदना ' की सुमधुर प्रस्तुति स्नातक तृतीय वर्ष की छात्रा सुप्रिया ठाकुर की थी । 

विषय प्रवर्तन करते हुए श्री सत्येंद्र मणि विक्रम ,  विभागाध्यक्ष - मनोविज्ञान एवं संयोजक - ' मिशन शक्ति कार्यक्रम ' , ने  ' तनाव प्रबंधन ' की आवश्यकता पर बल देते हुए आधुनिक जटिल जीवन स्थितियों को नियंत्रित करने में इसकी महत्ता को रेखांकित किया । 

मुख्य वक्ता श्रीमती मीनाक्षी मिश्रा ने ' तनाव प्रबंधन ' के संदर्भ में बहुत ही सारगर्भित व्याख्यान दिया । उन्होंने बताया कि तनाव को रोकने या दबाने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं । मीनाक्षी जी ने इससे संबंधित अनेक मानसिक रोगों के विषय में विस्तार से बताते हुए तनाव प्रबन्धन की अनेक तकनीकी बारीकियों की मनोवैज्ञानिक व चिकित्ससकीय समीक्षा की । उन्होंने बताया कि संगीत और ध्यान ( मेडीटेशन ) का अभ्यास  , आज के आपाधापी से भरे जीवन के तनाव से मुक्ति पाने की दिशा में  कारगर  उपाय हो सकता है । श्रीमती मीनाक्षी ने यह भी कहा कि जीवन में हमारा कोई एक ऐसा अंतरंग मित्र तो होना ही चाहिए , जिससे हम अपने निजी जीवन की नितांत गोपन समस्याओं को भी साझा कर सकें । सोशल मीडिया की आभासी दुनिया के हजार मित्रों की तुलना में एक ऐसा अभिन्न मित्र हमारी जीवनगत विसंगतियों को सुलझाने में विशेष सहायक सिद्ध हो सकता है । 

तत् पश्चात् कार्यक्रम की विशिष्ट वक्ता डॉ• निशा राघव , संयोजिका , ' मिशन शक्ति कार्यक्रम ' - जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय , ने अपने वक्तव्य में समकालीन यान्त्रिक जीवन की विडम्बनाओं की ओर इंगित करते हुए अंधी महत्वाकांक्षाओं की दौड़ में अविराम भागते व्यक्ति की नितांत भौतिकवादी जीवनशैली में परिवर्तन लाने पर विशेष जोर दिया । उन्होंने कहा कि आज संयुक्त परिवार विघटित हो रहे हैं और व्यक्ति का जीवन एकाकी होता जा रहा है । आज भावनात्मक संबल के अभाव में जीवन की वास्तविक चुनौतियों से पलायन करते हुए , सूचना संयंत्रों की आभासी दुनिया में भटकते  मनुष्य के जीवन में अशांति है । ऐसी स्थिति में उसे यथार्थ के धरातल पर स्वस्थ सामाजिक संबंध विकसित करने होंगे ।

विशिष्ट वक्तव्य के बाद प्रश्नकाल में संगोष्ठी के प्रतिभागियों के प्रश्न आमंत्रित किए गए और मुख्य व विशिष्ट वक्ताओं द्वारा उनकी जिज्ञासाओं का शमन किया गया ।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य श्री प्रकाश चंद त्रिपाठी ने इस सार्थक कार्यक्रम के आयोजन कर्ताओं को बधाई देते हुए प्राचीन भारत में प्रचलित तनाव प्रबंधन की कुछ विशिष्ट तकनीकों का उल्लेख किया ।



 समापन की ओर बढ़ते इस वेबीनार में महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ• सन्तोष कुमार सिंह ने मुख्य व विशिष्ट वक्ताओं , प्रतिभागी प्राध्यापक गण एवं विद्यार्थियों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि हम दूसरों के स्वभाव और व्यक्तित्व को तो रूपांतरित नहीं कर सकते किंतु अपने व्यवहार एवं मानसिक संवेगों को नियंत्रित करने का प्रयास कर , अपने दैनंदिन जीवन के तनाव से बचने का प्रयत्न कर सकते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि , हमारा चिंतन स्वस्थ और सकारात्मक होना चाहिए , जिससे जीवन   प्रगतिशील दिशा की ओर उन्मुख हो सके । 

इस कार्यक्रम में श्री सुदृष्टि बाबा महाविद्यालय के विद्यार्थी एवं ' मिशन शक्ति फोरम ' के प्राध्यापक सदस्यगण आकांक्षा उपाध्याय , डॉ• रामचंद्र , डॉ• आभा श्रीवास्तव और डॉ• शिखा श्रीवास्तव ने सक्रिय भागीदारी की । इनके अतिरिक्त महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक गण श्री सुधीर कुमार गुप्ता , डॉ• त्रिपुरारि कुमार ठाकुर , श्री सुबोधकांत तिवारी , श्री आनंद द्विवेदी , डाॅ• विवेकानंद देव पाण्डेय , श्री विनीत कुमार राय और श्री राहुल कुमार ने भी इस आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज की । इस संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों से संबंद्ध विद्यार्थी व प्राध्यापक गण - डॉ• रमाकांत सिंह , डॉ• यादवेंद्र प्रताप सिंह एवं डॉ• प्रवीण पायलट इत्यादि ने भी जुड़कर इसे विशिष्ट गरिमा प्रदान की ।