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आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की आत्मा की यही पुकार, कब लगेगा मेरी एकमात्र निशानी ध्वस्त प्रवेश द्वार





मधुसूदन सिंह

बलिया ।। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा कही गयी बात आज इनके पैतृक गांव,जनपद के राजनेताओ,साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों पर सटीक बैठ रही है । क्योकि आज उसी व्यक्ति की पूजा होती है जो आज की राजनीति में वोट दिलाने में सहायक हो । आज आचार्य द्विवेदी का जिस तरह से उपेक्षा चाहे राजनैतिक स्तर से हो, सामाजिक स्तर से हो, प्रशासनिक स्तर से हो या बुद्धिजीवियों के स्तर से हो रही है ,उसको देखने के बाद आचार्य की कही बात -दुनिया बस अपने स्वार्थ की मीत है, बस उतना ही याद रखती है जितना कि उसका स्वार्थ चाहता है, एकदम सटीक बैठ रही है । बता दे कि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के गांव के लोग इनकी आदमकद प्रतिमा लगाने के लिये एक दशक से अधिक समय से राजनेताओ से लेकर प्रशासन के हर चौखट पर माथा टेक चुके है लेकिन किसी ने आजतक सहयोग नही किया । पूर्व सांसद भरत सिंह के प्रयास से एक प्रवेश द्वार भी बना था तो उसको पिछले साल एक दबंग ईट भट्ठा मालिक ने जेसीबी से खुदाई करा कर गिरा दिया । पुलिस में लिखित शिकायत भी हुई लेकिन स्थानीय पुलिस दक्षिणा लेकर आजतक शांत हो गयी है ।



आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मारक समिति के प्रबंधक सुशील कुमार द्विवेदी ने कहा कि हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार एवं बलिया के अद्वितीय लाल पद्मभूषण आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी आज अपने ही जनपद में बेगाने होते जा रहे है ।ये बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि  बलिया के जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन आचार्य जी की उपेक्षा कर रहे है जबकि उनकी स्मृतियों को जीवन्त बनाये रखने हेतु सभी को एक साथ प्रयास करना चाहिए था । पंडित जी के गांव ओझवलिया को उनकी गरिमा एवं सम्मान के अनुरूप समग्र विकास करवाना चाहिए था किन्तु बड़े ही शर्म की बात है कि विकास तो दूर द्विवेदी जी के नाम पर न तो एक पुस्तकालय है और ना ही एक आदमकद मुर्ति की स्थापना हुई । 




हद तो तब हो गई जब गत् दिनांक 02 सितंबर 2020 को एन.एच.-31 पर पूर्व में निर्मित आखिरी निशानी "आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मृति प्रवेश द्वार" को नजदीकी ईंट भट्टा के मालिक ने साजिश के तहत अपने जेसीबी मशीन से गेट का नींव खोदवाकर उसे ध्वस्त करवा दिया जिसके खिलाफ ग्राम प्रधान द्वारा दुबहर थाने में तहरीर दी गयी किंतु लगभग 13 माह पश्चात भी कोई कार्यवाही नहीं हुई । इसके बाद समिति के प्रबंधक सुशील कुमार द्विवेदी ने गत् दिनांक 01 जुलाई 2021 को अपने पैड पर पंडित जी के गेट को गिराने वाले अराजक तत्व, तथाकथित भू माफिया के ऊपर एफआईआर दर्ज कर उचित कार्यवाही कराने एवं ध्वस्त गेट का पुनर्निर्माण कराने के लिए लिखित एवं मौखिक रूप से आग्रह किया जिस पर सीडीओ बलिया ने गेट का निर्माण कराने भरोसा दिलाया किन्तु 03 माह बीत जाने के पश्चात भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई । 



ग्रामीणों का कहना है कि इसी एनएच31 से  जिले के तमाम मंत्री,सांसद, विधायक गुजरते हैं किन्तु किसी ने जिले के गौरव पद्मभूषण आचार्य जी की गेट की सुधि नहीं ली । ये बेहद ही गैरजिम्मेदाराना एवं शर्मनाक है । आज सभी पार्टिया जिले में प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन करवा रही है । क्या उन पार्टियों को जिले के प्रख्यात साहित्यकार डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी का ध्वस्त ' स्मृति प्रवेश द्वार' दिखाई नहीं देता । ओझवलिया गांव, बलिया नगर विधानसभा के अन्तर्गत आता है जहां से आज आनन्द स्वरुप शुक्ल विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री है । क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती कि उक्त गेट का पुनर्निर्माण कराकर आचार्य जी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करते । जबकि ओझवलिया गांव जिले का प्रथम 'सांसद आदर्श गांव' के रुप में जब चयन हुआ उस समय ये उस गांव के नोडल प्रभारी थे , उनसे ग्रामीणों की ज़्यादा उम्मीदें थी लेकिन वो भी छलावा साबित हुई ।, आज स्वर्ग में आचार्य जी की महान आत्मा भी अपने इस उपेक्षित गेट एवं गांव को देखकर बहुत दुःखी होगी ।