Breaking News

देश मे झूठे आश्वासनों की बाढ़ व भूकंप,सरकार बनी संवेदनहीन :डीजल खाद महंगा करके किसानों की आय दुगनी करने या आत्महत्या कराने की तैयारी : रामइकबाल सिंह

  


संतोष द्विवेदी

नगरा, बलिया। भजपा के पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह ने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर जमकर हमला बोला है । कहा कि वर्तमान दौर में झूठे आश्वासनों की बाढ़ व भूकंप दोनों देखने को मिल रहे है । महंगाई दिन दूनी रात चौगुनी हो रही है,खाद महंगा हो गया है,डीजल महंगा हो गया है, खेती की लागत बढ़ती जा रही है और आमदनी कम होती जा रही है,लेकिन सरकार आय दुगनी करने की पुरानी रट लगाए हुए है ।

कहा कि किसानों की धान की फसल बाढ़ और बरसात की भेंट चढ़ गई है। खेतो में पानी लगा हुआ है। जिला प्रशासन अभी तक किसानों के नुकसान हुए फसल की क्षतिपूर्ति की मांग शासन से नहीं की है। जो धान बचे हुए है, वो कट रहे है लेकिन अभी तक धान क्रय केंद्र खुले नहीं है। महंगे डीजल और खाद खरीदकर किसान खेती किया है। वो डरा हुआ है कि उसकी पूंजी निकल पाएगी कि नहीं। ऐसे में 1 जनवरी 2022 को किसानों की आय कैसे दुगुनी होगी, यह यक्ष प्रश्न है।



            पूर्व विधायक नगरा स्थित एक व्यापारिक प्रतिष्ठान पर शनिवार को सायंकाल प्रेसवार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश में झूठे आश्वासनो का बाढ़ और भूकम्प दोनों चल रहा है। जनता समझ चुकी है। अधिकारी कितना भी कह रहे है कि धान खरीदारी होगी लेकिन जब बलिया जनपद की क्षतिपूर्ति ही नहीं मांगी गई शासन से तो किसानों के अंदर भय है कि उनका धान भी नहीं खरीदा जाएगा। कहे कि डाई की भारी कमी है। एनपीके खाद का मूल्य265 रू बोरी बढ़ा दिया गया है। पोटास भी 70 रू बढ़ा दिया गया है। डीजल का दाम 100 रू छूने वाला है। इस व्यवस्था से किसान की आमदनी कैसे दुगुनी होगी। कहे कि किसान को धान के प्रति कुंटल उपज पर लागत 140 रू बढ़ी है और सरकार 70 रू बढ़ाई है। किसान की खेती घाटे में चली गई। 





भाजपा नेता ने कहा कि आने वाले समय में रवि की बुआई के लिए डाई की भारी कमी है। कालाबाजारी जारी है। कारोबारियों के पास डाई है लेकिन साधन सहकारी समितियों पर नहीं है। किसान का भरोसा डाई पर है, एनपीके खाद पर नहीं। खाद, बीज, डीजल सब कुछ महंगा होता जा रहा है। यह किसान की आय दुगुनी करने की योजना है या किसान को आत्म हत्या के लिए मजबुर करने की या किसान को खेती छोड़ने की योजना है ताकि पूंजीपति खेती करें। 

अपनी ही सरकार पर हमलावर होते हुए पूर्व विधायक कहे कि किसान खेती नहीं करेगा तो जिएगा कैसे। संवेदनहीनता चरम सीमा पर है। यह अमेरिका, ब्रिटेन, जापान नहीं है। यह कृषि प्रधान देश है। यहां सत्तर फीसदी ग्रामीण आबादी कृषि पर निर्भर है। यहां सैकड़ों वर्षों से अन्न व पशुओं से जिंदगी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों से ही तीस फीसदी शहरी लोगो के लिए भी खाद्यान्न, फल, दूध, पनीर सब्जी जाता है। कहे कि कृषि प्रधान देश में पूरी व्यवस्था किसान विरोधी है। साथ ही बेरोजगार विरोधी भी है। बेरोजगार भी अब कृषि पर ही निर्भर है। कल कारखानों में जगह बची नहीं है। पूर्व विधायक ने कहा कि किसानों की बेहतरी पर ध्यान दिया जाए, किसान को आत्म हत्या के लिए मजबुर न किया जाए। 

किसान बिल वापस लेने के साथ ही किसान आंदोलन को समाप्त कराया जाए। भाजपा नेता ने सरकार से बलिया जनपद के किसानों को जल प्लावन व बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 25 हजार रु विगहा मुआवजा देने की मांग की। साथ ही उन्होंने पेंशन बहाल करने, पांच हजार रु बेरोजगारी भत्ता देने, वित्त विहीन शिक्षको को दस हजार रु प्रति माह मानदेय देने, शिक्षा मित्रों को अध्यापक का दर्जा देने या तीस हजार रुपया मानदेय देने की भी मांग की।        

ओमप्रकाश राजभर को रोकने के लिये लाये गये दोनों आयातित राजभर नेता साबित हुए बौने

        हलधरपुर में आयोजित सुभासपा की बड़ी रैली पर बोलते हुए कहे कि यह रैली यूपी की राजनीति पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है। रैली के दिन से सूबे की राजनीति बदली नजर आ रही है। सपा सुभासपा गठबंधन की चर्चा करते हुए कहा कि ओमप्रकाश राजभर की ताकत को कम कर आंकना भाजपा की सबसे बडी भूल है। यह गठबंधन पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकांश सीटों पर प्रभावी साबित होगा। व्यंगात्मक लहजे में कहा कि ओपी राजभर को सबक सिखाने की जिम्मेदारी भाजपा ने उनके ही बिरादरी के  आयातित दो नेताओं को दी थी किंतु वे दोनों नेता ओपप्रकाश के सामने बौने साबित  होकर उपहास के पात्र बन चुके हैं।