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विश्व हृदय दिवस पर विशेष : कैसे करे हृदय रोग की पहचान व इससे बचाव : डॉ कृष्णा सिंह




बलिया ।। वर्तमान समय में अव्यवस्थ‍ित दिनचर्या, तनाव, गलत खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण एवं अन्य कारणों के चलते हृदय की समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। छोटी उम्र से लेकर बुजर्गों तक में हृदय से जुड़ी समस्याएं होना अब आम बात हो गई है। पूरे विश्व में हृदय के प्रति जागरूकता पैदा करने और हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के लिए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालने के मकसद से दुनियाभर में हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

पूरी दुनिया दिल के दौरे से हर 1 करोड़ से भी अधि‍क लोगों की मौत हो जाती है, और इनमें से 50 प्रतिशत लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। अत: हृदय रोग मौत की एक अहम वजह बन चुका है, जिसके लिए जागरूकता होना बेहद आवश्यक है।

विश्व हृदय दिवस मनाने की शुरूआत सन 2000 में की गई थी। इसकी शुरूआत के समय यह तय किया गया था, कि हर साल सितंबर माह के अंतिम रविवार को विश्व हृदय दिवस मनाया जाएगा। लेकिन 2014 में इसके लिए एक तारीख निर्धारित कर दी गई, जो 29 सितंबर थी। तभी से प्रतिवर्ष 29 सितंबर के दिन विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है।


हृदय रोगों का तेजी से बढ़ना और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों को देखते हुए, हृदय के प्रति गंभीर रवैया अपनाने की आवश्यकता है। अगर समय रहते हृदय से जुड़ी समस्याओं पर काबू नहीं पाया गया, तो 2025 तक हर तीसरे इंसान की मौत का प्रमुख कारण हृदय रोग ही होगा। इसके लिए जरूरी है के हृदय के प्रति कुछ सावधानियां अपनाई जाए, और उनका सख्ती से पालन किया जाए। 

अधिकांश मामलों में हृदय रोग का प्रमुख कारण तनाव ही होता है और मधुमेह, उच्च रक्तचाप जैसी समस्याएं भी हृदय रोगों को जन्म देती है। इन सभी बीमारियों से बचने के लिए स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना व सावधानी रखना अनिवार्य है। 


ह्रदय रोग के निम्नलिखित प्रकार होते हैं -

हार्ट अटैक (Heart Attack)

दिल की विफलता (हार्ट फेलियर, हृद्पात; Heart Failure)

एनजाइना (Angina)

कोरोनरी धमनी की बीमारी (Coronary Artery Disease)

अनियमित दिल की धड़कन (हृद् अतालता; Arrhythmia)

एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)

हृदय वाल्व रोग (हार्ट वाल्‍व डिजीज; Heart Valve Disease)

दिल में छेद (जन्मजात हृदय रोग; Congenital Heart Disease)

रूमैटिक हार्ट डिजीज (Rheumatic Heart Disease)

बाहरी धमनी की बीमारी (Peripheral Arterial Disease)

कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)

रक्त धमनी का रोग (Cerebrovascular Disease)

हृदय रोग (दिल की बीमारी) के लक्षण - Heart Disease Symptoms in Hindi


ह्रदय रोग के  लक्षण व संकेत 

हृदय के सब रोगों में निम्नलिखित में से सब या एक या अधिक समान लक्षण होते हैं -

छाती में भारीपन, दबाव, असुविधा या दर्द। (और पढ़ें - छाती में दर्द का इलाज)

ऊपरी शरीर में बार-बार दर्द होना जैसे कि हाथों, जबड़े, गर्दन, पीठ या पेट के ऊपरी भाग में। (और पढ़ें - पीठ दर्द का इलाज)

थकान और कमजोरी।

सांस फूलना।

धड़कन में तेजी से वृद्धि (या अनियमित धड़कन)।

चक्कर आना, पसीना आना और मतली।

सूजन होना। (और पढ़ें - सूजन का इलाज)

चिंता होना।

खांसी आना।

दर्द, जलन और परिपूर्णता महसूस होना।

यदि हृदय रोगों के यह लक्षण ठीक नहीं होते और जीभ के नीचे नाइट्रो-ग्लिसरीन रखने के बाद भी नहीं जाते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।


ह्रदय रोग के कारण क्या हैं ?

ह्रदय रोग के कारण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं ।कार्डियोवास्कुलर (Cardiovascular) रोग : कार्डियोवास्कुलर रोग विभिन्न हृदय या रक्त वाहिकाओं की समस्याओं के लिए उपयोग किया जा सकता है लेकिन अक्सर इसका प्रयोग एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) द्वारा आपके दिल या रक्त वाहिकाओं को हुए नुकसान के लिए किया जाता है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं -

एक अस्वस्थ आहार

व्यायाम न करना (और पढ़ें - व्यायाम के फायदे)

अधिक वजन होना

धूम्रपान

अनियमित दिल की धड़कन

जन्मजात हृदय का दोष

कोरोनरी धमनी रोग

हाई ब्लड प्रेशर

शुगर

धूम्रपान करना

शराब या कैफीन का अत्यधिक उपयोग

दवाओं का दुरुपयोग

तनाव

केमिस्ट पर मिलने वाली दवाएं और हर्बल उपचार।

हृदय वाल्व रोग


हृदय को स्वस्थ रखने के लिए निम्नलिखित उपाय सहायक सिद्ध हो सकते हैं - 


1- प्रतिदिन अन्य कार्यों की तरह ही व्यायाम के लिए भी समय निकालें।

2- सुबह और शाम के समय पैदल चलें या सैर पर जाएं।

3- भोजन में नमक और वसा की मात्रा कम कर लें, अधिक मात्रा में यह हानिकारक होते हैं।

4 -ताजे फल और सब्जियों को आहार में शामिल करें।

5- तनावमुक्त जीवन जिएं। तनाव अधि‍क होने पर योगा व ध्यान के द्वारा इस पर नियंत्रण करें।

6- धूम्रपान का सेवन बिल्कुल बंद कर दें, यह हृदय के साथ ही कई बीमारियों का कारक है।

7- स्वस्थ शरीर और दिल के लिए भरपूर नींद लें

जब तक आप स्वस्थ है कारगर है, वरना बेकार है


Dr. Krishna S. Singh

फिजिशियन व हृदय रोग परामर्शदाता

+91 8957327143