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फेसबुक पर एक प्रशासनिक अधिकारी व एक जिला पंचायत सदस्य की टिप्पणियों पर बहस,देखिये कैसी है इनकी सोच



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद में एक प्रशासनिक अधिकारी व एक जिला पंचायत सदस्य ने अपनी अपनी फेसबुक पोस्टो के माध्यम से सामाजिक तानेबाने को चोट पहुंचाने का काम किया है ।

अपने कमेंट्स से अक्सर चर्चाओ के साथ विवादों में रहने वाले बैरिया के तहसीलदार शिवसागर दुबे ने रक्षाबन्धन जैसे पवित्र त्यौहार पर अपनी फेसबुक एकाउंट से एक तस्वीर शेयर करके एकबार फिर चर्चाओ का बाजार गर्म कर दिया है । पहले नीचे तस्वीर देखिये ---



श्री दुबे जी तहसीलदार है, एक प्रशासनिक अधिकारी है ,फिर भी एक पवित्र त्यौहार की पवित्र तस्वीर को जिस गन्दे कमेंट के साथ शेयर किया है ,उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाय कम है । साहब को भई बहन के रिश्ते में तैमूर व औरंगजेब पैदा होते दिख रहा है । लगता है तहसीलदार साहब को इस तस्वीर में भाई बहन की जगह प्रेमी प्रेमिका नजर आ रहे है । साहब अगर आप करीना कपूर व सैफ अली खान की तस्वीर शेयर कर यह कमेंट करते तो किसी को बुरा नही लगता । लेकिन यहां तो सीधे सीधे भाई बहन के रिश्ते को ही इनके कमेंट से गाली लगी है ।

तहसीलदार साहब है, किताबो का बहुत सारा ज्ञान रखते है,प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करके नौकरी पाये हुए है । इतिहास तो साहब जरूर पढ़ें होंगे लेकिन लगता है कि साहब रानी कर्णावती व हुमाऊं की कहानी भूल गये है । तहसीलदार साहब मैं आपको इस पवित्र पर्व की रानी कर्णावती व मुगल शासक हुमाऊं की कहानी को एक बार फिर याद दिला देता हूँ ।

चित्तौड़ के राणा विक्रमादित्य को कमजोर समझ कर और राणा के सामंतो के आग्रह पर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया । अदम्य वीर राणा सांगा की पत्नी और चित्तौड़ की राजमाता रानी कर्णावती ने जब देखा कि बहादुर शाह को हराना कठिन है तो दिल्ली के मुगल शासक हुमाऊं को राखी भेजकर अपने राज्य की रक्षा करने का अनुरोध किया । हुमाऊं उस समय ग्वालियर में थे । हुमाऊं ने दिल्ली व आगरा को संदेश भेजकर फौजो को चित्तौड़ चलने का हुक्म दिया । देर से खबर मिलने के कारण हुमाऊं के पहुंचने के पहले रानी कर्णावती ने अन्य स्त्रियों के साथ जौहर करके जान दे दी थी । हुमाऊं यह सुनकर बहुत रोया था और अपनी मुंहबोली बहन के राज्य को बहादुर शाह से आजाद करा दिया था ।

 तहसीलदार साहब,अगर आप हुमाऊं की जगह होते तो शायद जाते ही नही । राखी के धागे की ताकत आप एक पंडित,एक प्रशासनिक अधिकारी होकर भी शायद नही समझ पाये है । आप की जिम्मेदारी व प्रशासनिक दायित्व है कि समाज मे नफरत नही सद्भावना को बढ़ाये, जो आप के पोस्ट में नही दिख रहा है । अगर आप ही जैसी सोच हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी जी की होती तो उनके भोजनालय का प्रमुख मुसलमान नही होता । योगी जी के चार साल के शासन में भी शायद यह बात नही सीख पाये है कि नफरत मनुष्य के कर्म से करना चाहिये धर्म से नही । तहसीलदार साहब आपके पोस्ट से हर एक अमन पसंद हिंदुस्तानी को चोट पहुंची है ।

बड़बोलेपन में जिला पंचायत सदस्य भी पीछे नही

बैरिया तहसीलदार साहब जहां धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने वाला पोस्ट शेयर किये है तो वही जिला पंचायत के वार्ड नम्बर 26 के जिला पंचायत सदस्य सोनू फरसाटारी इनसे भी दो कदम आगे बढ़ गये है । जरा जिला पंचायत सदस्य साहब का पोस्ट पहले देखिये --



अब इनकी पोस्ट की भाषा को देखिये और विचार कीजिये कि ऐसे जन नेता समाज को क्या बताना चाहते है । जिस दल के ये अधिकृत प्रत्याशी थे उस दल की मुखिया प्रबुद्ध वर्ग /ब्राह्मण सम्मेलन करा रही है और ये साहब है कि सभी क़ाबिलो को सरेआम गाली पोस्ट कर रहे है ।इस पोस्ट से इस नेता जी की सोच साफ परिलक्षित हो रही है ।