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बलिया एक्सप्रेस का बड़ा सवाल : क्या अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों,नर्सिंग होम व पैथॉलॉजियो पर लगेगी प्रशासनिक लगाम

 



बलिया में क्या अवैध रूप से नर्सिंग होम हो या पैथालोजी,या अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने की है छूट ?

मधुसूदन सिंह 

 बलिया ।।  जनपद प्रदेश का एकमात्र ऐसा जनपद है जहां स्वास्थ्य विभाग अवैध रूप से संचालित होने वाले नर्सिंग होम हो , अल्ट्रासाउंड सेंटर हो या पैथालोजी सेंटर पर अपनी कृपा दृष्टि बनाकर कार्यवाही नही करता है । जबकि कई बार इन अवैध नर्सिंग होम , अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथॉलॉजियो के खिलाफ खबरे प्रकाशित भी हो चुकी है । वर्तमान सीएमओ डॉ तन्मय कक्कड़ जो अभी एक माह पूर्व ही बलिया आये है, को लगता है बलिया अभी में नही आया है । जब से कार्यभार ग्रहण किये है,तब से इनके अल्ट्रासाउंड, नर्सिंग होम,एक्सरेज के नोडल डॉ राजनाथ बिना किसी अवकाश के इस कोरोना के संक्रमण काल मे भी गायब है । यह अलग बात है कि इनका वेतन अवरुद्ध कर दिया गया है । इनकी लापरवाही कहे,उदासीनता कहे या मिलीभगत कहे ,सीएमओ कार्यालय, महिला अस्पताल, जिला अस्पताल के आसपास से लेकर पूरे जनपद स्तर पर अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों,नर्सिंग होम व पैथॉलॉजियो का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है लेकिन इसको कोई रोकने वाला नही है । बिना नोडल के महीनों से जिला को राजनाथ न अनाथ कर रखा है ।

चाहे कोई भी सीएमओ हो ,उसको सीएचसी पीएचसी से चिकित्सको के गायब रहने का मामला हो या सीएमओ कार्यालय के अगल बगल लाइन से संचालित अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथालोजी हो, कुछ भी दिखाई नही देता है या यूं कहें कि न दिखायी दे इसके लिये आँखों पर पट्टी बांधे हुए रहते है ?

जनपद में स्वास्थ्य समिति का पदेन जिलाधिकारी अध्यक्ष होते है । इसके बावजूद अगर जनपद मुख्यालय पर अवैध रूप से जनता को लूटने के लिये, स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने के लिये 5 दर्जन से ऊपर अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर व पैथालोजियो के संचालन , न रुकना , इनके खिलाफ कार्यवाही न होना जहां सवाल खड़ा कर रहा है, वही कार्यवाही न होने से ऐसे कारोबारियों का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है ।

लगभग आधा दर्जन के बाद नही है किसी के पास मानक अनुरूप चिकित्सक

जनपद में लगभग 3 दर्जन अल्ट्रासाउंड सेंटर सीएमओ बलिया द्वारा पंजीकृत है और इसके कई गुना अवैध रूप से संचालित है । इनमे से आधे दर्जन को छोड़ दिया जाय तो वे निर्धारित मानक पूरा नही करते है । एक अल्ट्रासाउंड केंद्र चलाने के लिये सरकार द्वारा तय मानक वाला चिकित्सक होना चाहिये । इसके लिये एमडी डीएमआरडी होना आवश्यक है । जो चिकित्सक एमडी है और वो अपने मरीजो की जांच के लिये अल्ट्रासाउंड कर सकते है दूसरे मरीजो का नही, स्त्रीरोग विशेषज्ञ चिकित्सक भी मात्र अपने गर्भवती मरीज के बच्चे की जांच के लिये अल्ट्रासाउंड कर सकती है,दूसरे रोग के लिये नही । लेकिन धन्य है बलिया के नोडल अधिकारी व स्वास्थ्य विभाग जिसकी नाक के नीचे बिना चिकित्सको के ही टेक्नीशियनो के द्वारा अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है और विभाग धृतराष्ट्र की तरह जानकर भी अंधा न जाने किस मोह में बना हुआ है ।

 नोडल व डिप्टी सीएमओ की निष्क्रियता बनी सहायक

बलिया में लगभग 5 नोडल अधिकारी और 4 डिप्टी सीएमओ है । इनमे से कोई रसड़ा रहता है, कोई मुरली छपरा, कोई पंदह, कोई बांसडीह आदि सुदूर क्षेत्रो में रहते है । इन क्षेत्रों में इन सभी लोगो की प्राइवेट प्रेक्टिस भी अच्छी चलती है । ऐसे में ये लोग महीने में एक दो दिन सीएमओ कार्यालय के अपने ऑफिस में बैठ जाये तो मानिये 100 साल बाद पड़ने वाला कोई शुभ मुहूर्त आ गया हो । इनके न बैठने से जहां कर्मचारियों के कई प्रकार के देयको का भुगतान लंबित पड़ा रहता है , वही आम जन के भी कई काम नही हो पाते है । 

बलिया में बिन विशेषज्ञ निश्चेतक चिकित्सक के चलते है नर्सिंग होम


बलिया में मात्र दो प्राइवेट रूप से कार्य करने वाले विशेषज्ञ निश्चेतक चिकित्सक है । इन्ही दो चिकित्सको के नाम पर सभी प्राइवेट नर्सिंग होम अपने यहां ऑपरेशन करते है और इनसे कागजो पर हस्ताक्षर कराकर इनका डेढ़ से दो हजार रुपये फीस दे देते है जबकि ये लोग ऑपरेशन के समय होते ही नही है ? ऐसे में जिस मरीज का ऑपरेशन होता है उसकी जान खतरे में होती है । सीएमओ बलिया हो या इनके नोडल अधिकारी किसी ने भी यह जानने की कोशिश ही नही की कि इन नर्सिंग होम्स में प्रतिदिन कुल कितने ऑपरेशन , किस किस समय मे हुए है । अगर यह जांच हो जाय तो नर्सिंग होम वालो की सारी पोल पट्टी खुल जाती , पर जांच कराने के लिये सीएमओ साहब के पास समय ही नही है  और नोडल लोग अपनी कमाई में व्यस्त है, फिर बलिया की असहाय जनता को पीसना, लूटना तो नसीब बन ही जायेगा ।