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युवा : शौर्य समृद्धि व शक्ति का प्रतीक

 







अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस  पर विशेष 


डॉ कृष्णा सिंह

बलिया ।। युवा, एक शब्द जो अपने आप मे शौर्य, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक है । युवा, इसका उल्टा है वायु, जब तक मध्यम बयार चले तब तक सब सही, लेकिन जब  ये वायु आंधी बन जाये, तो बहुत मुश्किल है इसे संभाल पाना,  ऐसे ही शक्तिमान युवाओं को समर्पित है ये विश्व युवा दिवस ।


अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस ’12 अगस्त’ को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। किसी भी देश का युवा उस देश के विकास का सशक्त आधार होता है, लेकिन जब यही युवा अपने सामाजिक और राजनैतिक जिम्मेदारियों को भूलकर विलासिता के कार्यों में अपना समय नष्ट करता है, तब देश बर्बादी की ओर अग्रसर होने लगता है। पहली बार सन 2000 में अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस का आयोजन किया गया था। अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस मनाने का मतलब है कि सरकार का युवाओं के मुद्दों और उनकी बातों पर ध्यान आकर्षित कराया जाय। 

संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्णयानुसार सन 1985 ई. को अंतरराष्ट्रीय युवा वर्ष घोषित किया गया। पूरे विश्व में भारत को युवाओं का देश कहा जाता है। अपने देश में 35 वर्ष की आयु तक के 65 करोड़ युवा हैं। अर्थात् हमारे देश में अथाह श्रमशक्ति उपलब्ध है। आवश्यकता है आज हमारे देश की युवा शक्ति को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हें देश की उन्नति में भागीदार बनाने की, उनमे अच्छे संस्कार, उचित शिक्षा एवं प्रोद्यौगिक विशेषज्ञ बनाने की, उन्हें बुरी आदतों जैसे- नशा, जुआ, हिंसा इत्यादि से बचाने की। क्योंकि चरित्र निर्माण ही देश की, समाज की, उन्नति के लिए परम आवश्यक है। 

दुश्चरित्र युवा न तो अपना भला कर सकता है, न समाज का और न ही अपने देश का। देश के निर्माण के लिए, देश की उन्नति के लिए, देश को विश्व के विकसित राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा करने के लिए युवा वर्ग को ही मेधावी, श्रमशील, देश भक्त और समाज सेवा की भावना से ओत प्रोत होना होगा। आज के युवा वर्ग को अपने विद्यार्थी जीवन में अध्ययनशील, संयमी, चरित्र निर्माण के लिए आत्मानुशासन लाकर अपने भविष्य को उज्ज्वल बनाने के प्रयास करने चाहिए। जिसके लिए समय का सदुपयोग आवश्यक है।

 विद्यालय को मस्ती की पाठशाला समझ कर समय गंवाने वाले युवा स्वयं अपने साथ अन्याय करते हैं, जिसकी भारी कीमत जीवन भर चुकानी पड़ती है। बिना शिक्षा के कोई भी युवा अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने में अक्षम रहता है। चाहे उसके पास अपने पूर्वजों का बना बनाया, स्थापित कारोबार ही क्यों न हो। या वह किसी राजनयिक या प्रशासनिक अधिकारी की संतान ही क्यों न हो। इसी प्रकार बिना शिक्षा के जीवन में कोई भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय उन्नति नहीं कर सकता। यदि कोई युवा अपने विद्यार्थी जीवन के समय का सदुपयोग कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है तो मनोरंजन, मस्ती और ऐश के लिए पूरे जीवन में भरपूर अवसर मिलते हैं। वर्तमान समय में युवा विद्यार्थियों को रोजगार परक शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, अर्थात् प्रोद्यौगिकी से सम्बंधित विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए। जो देश की उन्नति में योगदान देने के साथ-साथ रोजगार की असीम संभावनाएं दिलाती है।

मैं भी एक युवा हूं, और मेरी भी कई जिम्मेवारियां है समाज के लिए । इस विश्व युवा दिवस पर मैं समाज को ये बताना चाहता हूं कि आप जो भी करें, वो समाज के लिए एक मिसाल बने, और आप उसके कर्णधार । मैं एक चिकित्सक हूं, इसलिए मैंने समाज के लिए एक परंपरा अपने अस्पताल में शुरू की है, निशक्त और दिव्यांग मरीजो का इलाज पूर्णतया मुफ्त करने का, पूर्व सैनिक, और पूर्व पुलिस कर्मियों का इलाज बिना किसी परामर्श शुल्क के करने का, एवं उन्हें हर क्षेत्र में विशेष रियायत देने की,ये मेरा प्रण है आपका क्या है । युवा साथियो से पूंछता हूं मैने तो बता दिया,अब आपकी बारी है,आपका प्रण क्या है ?

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डॉ कृष्णा सिंह

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