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नही हुई है कोई अनियमितता,शासनादेश के अनुरूप ही अति आवश्यक होने पर किया गया है मद का स्थानांतरण




मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद में सुर्खियां बटोर रहे एनएचएम मद के 50 लाख रुपये के जिला लेखा प्रबन्धक के व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरण के तथाकथित घोटाले की पड़ताल बलिया एक्सप्रेस द्वारा की गई तो यह प्रकरण एक प्रोपेगैंडा से ज्यादे कुछ नही निकला  । अब जिस अधिकारी ने खाते में पैसे आते ही  कर्मचारियों के ईपीएफ खातों में पूरी धनराशि भेज दी हो,उसने घोटाला कैसे कर लिया ?

जब इस संबंध में डीपीएम डॉ आरबी यादव से इस संबंध में बातचीत की गयी तो उन्होंने ने कहा कि डैम साहब के व्यक्तिगत खाते में जो 50 लाख रुपये ट्रांसफर किये गये है ,वह नियमो के तहत ही हुआ है । बलिया में स्थायी रूप से डैम के न होने से यहां कार्यरत कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में अंशदान जमा ही नही हो पा रहा था । बड़ी मुश्किल से प्रदेश मुख्यालय में कार्यरत फाइनेंस मैनेजर को बलिया के डैम का अतिरिक्त चार्ज देकर यहां भेजा गया है । इनके बलिया आने से पहले जो बलिया 75 वे स्थान पर था,वह अब 60 वे स्थान पर पहुंच गया है । कर्मचारियों के खातों में पैसे ट्रांसफर करना अति आवश्यक था । बलिया में पिछले साल से डैम के न होने से इनके सरकारी खाते में इंटरनेट बैंकिंग की सेवा खत्म हो गयी है और इस संबंध में कई बार बैंक से पत्राचार करने के बाद जो कोड मिला वह एक्टिवेट नही हो सका है और कर्मचारियों का अंशदान जमा करना जरूरी था । चूंकि कर्मचारियों के खातों में इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से ही ईपीएफ की धनराशि स्थानांतरित होने की अनिवार्यता है । शासनादेश है कि जब सरकारी खाते से किसी कारण से नेट बैंकिंग सुविधा काम नही कर रही हो तो ऐसी परिस्थिति में सरकारी मद वाली धनराशि को इससे संबंधित किसी अधिकारी या सेवा प्रदाता के व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरित करके कर्मचारियों के ईपीएफ खाते में भेजा जा सकता है । इसी शासनादेश के क्रम में  ही यह ट्रांसफर हुआ है । कहा कि एनएचएम के तहत बलिया में कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिमाह साढ़े दस लाख का अंशदान ईपीएफ खाते में भेजना होता है जो कई माह से बाधित था । इस बार 50 लाख की धनराशि मुख्यालय से प्राप्त हुई जिसको कर्मचारियों के खाते में भेजने के लिये ईपीएफ कमिश्नर के खाते में भेजी गई है । 5 माह का अंशदान ईपीएफ कमिश्नर के खाते के माध्यम से 50 लाख की  धनराशि कर्मचारियों के खातों में चली गयी है ।




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 राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत आयी 50 लाख रुपये की धनराशि सरकारी खाते की जगह  स्वास्थ्य विभाग के जिला लेखा प्रबन्धक  के व्यक्तिगत बैंक खाते में भेजे जाने के मामले की जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं। जिलाधिकारी अदिति सिंह ने रविवार को बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के बैंक खाते से 50 लाख रुपए की धनराशि नेट बैंकिंग से हस्तांतरित नहीं हो पाने का हवाला देकर जिला लेखा प्रबंधक विनोद कुमार के व्यक्तिगत बैंक खाते में  जमा किए जाने का मामला सामने आया है। जिलाधिकारी नेबमुख्य विकास अधिकारी को प्रकरण की जांच के निर्देश दिए हैं। मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा ने इस संबंध में बताया कि उन्होंने जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति से शीघ्र जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जायेगी।

इस बीच, एनएचएम के जिला परियोजना प्रबन्धक डॉक्टर आर. बी. यादव ने बताया कि नेट बैंकिंग में दिक्कत की वजह से जिला लेखा प्रबंधक विनोद कुमार के व्यक्तिगत बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर किया गया। उन्होंने बताया कि 294 कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि में गत‍् 8 अप्रैल को यह धनराशि जमा हो गयी है। इसमें कोई अनियमितता या घोटाला नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, जिले के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुधीर कुमार तिवारी ने गत 30 मार्च को भारतीय स्टेट बैंक की तिखमपुर स्थित शाखा के प्रबंधक को पत्र भेजा था, जिसमें उन्होंने जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई, एनएचएम के खाते से कर्मचारियों की भविष्य निधि के 50 लाख रुपये नेट बैंकिंग से अंतरित नहीं होने का हवाला देकर जिला लेखा प्रबंधक विनोद कुमार के खाते में राशि भेजने का अनुरोध किया था।