संत के वेश में बहुरूपियो के कारण असल सन्त पर भी लोग करते है अब संदेह : डॉ जनार्दन राय
संकल्प के कार्यालय पर मनी संत दादू दयाल की जयंती
बलिया ।। संत का स्वभाव समाज को सही दिशा देना , सही रास्ता दिखाना और लोगों के कल्याण के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देना होता है । मानव कल्याण उसके स्वभाव में होता है ।उपरोक्त बातें पंडित ब्रजकिशोर त्रिवेदी ने बतौर मुख्य वक्ता संत श्री दादू दयाल की जयंती के अवसर पर कही । उन्होंने कहा कि दादू दयाल परम सिद्ध संत थे । गुजरात के अहमदाबाद नगर में पैदा हुए संत श्री दादू दयाल मात्र 12 वर्ष की अवस्था में साधना में लीन हो गए ।अपने प्रिय वस्तु के दान देने के कारण दादू और लोगों के प्रति करुणा का भाव रखने के कारण दयाल नाम पड़ा । इस तरह दादू दयाल कबीरदास और नानक की परंपरा के सिद्ध संत हुए। रविवार को संकल्प के मिश्र नेवरी स्थित कार्यालय पर संत श्री दादू दयाल की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ जनार्दन राय ने अध्यक्षता करते हुए कहा आज संत नाम आते ही लोग संदेह की दृष्टि से देखने लगते हैं । कारण संत के नाम पर समाज में बहुरूपियों की भरमार हो गई है । संत के अंदर त्याग , बलिदान , दया , क्षमा, करूणा और विश्व कल्याण की भावना होती है। लेकिन आज के तथाकथित संत के अंदर भोग विलास की प्रवृत्ति बढ़ गई है ।ऐसे लोगों को संत कहना संत शब्द का अपमान होगा। दादू दयाल जैसे संतों की प्रासंगिकता आज के समय में बढ़ गई है। ऐसे संतो से समाज के लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए । जिस संत ने अपना तन मन धन सब कुछ इस समाज की बेहतरी के लिए न्योछावर कर दिया। इस अवसर पर भगवान तिवारी ने कबीर दास के भजन गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में श्री नागेश्वर यादव , तेज नारायण ,रामजी चौरसिया, पूर्णमासी, अवधूत दास , अरूण कुमार, संजय गोंड़ , डॉक्टर आर डी सिंह, महेंद्र नाथ मिश्र , दिनेश शर्मा, शिवजी वर्मा की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही ।कार्यक्रम का संचालन आशीष त्रिवेदी ने किया।