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एक कुष्ठ रोगी परिवार ,जिसके पास आजतक नही पहुंची कोई भी सरकारी योजनाएं, चाहे कोई भी रही हो सरकार



मधुसूदन सिंह

बलिया ।।

                खामोश जिंदगी के कुछ ऐसे हालात हैं, 

              इंसानियत मर गयी और इंसान जिंदा लाश हैं।

जी हां,यह सोलह आने सच्ची बात है । हम आपको ऐसे ही शख्स की दुखभरी दास्तान बताने जा रहे है जिसकी जिंदगी वास्तव में एक जिंदा लाश जैसी ही है । यह शख्स रहता है देश की आजादी के लिये पहली चिंगारी जलाकर अपनी आहुति देने वाले अमर शहीद मंगल पांडेय,सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन चलाने वाले लोकनायक की जन्मभूमि,और देश के पहले समाजवादी पीएम चंद्रशेखर की जन्मभूमि व कर्मभूमि बलिया के सोहांव ब्लॉक के ग्राम सभा सलेमपुर (विधान सभा फेफना) में ।सरकार किसी की भी रही हो,इनके दिन तो आज भी बद्द से बद्दतर ही है ।









पीएम मोदी व सीएम योगी की तमाम कल्याणकारी योजनाएं चल रही है,अधिकतर धरातल पर दिख भी रही है लेकिन यह कहने में थोड़ा भी गुरेज नही है कि आज भी भ्रष्टाचार इस कदर फैला हुआ है कि वास्तविक पात्र योजनाओं की घोषणाओं को सुनकर टकटकी लगाये इस आस में फांकाकशी कर जीवन जीने को मजबूर है कि शायद मोदी जी या योगी जी की कृपा इन पर भी  एक दिन होगी और इनके भी दिन बहुरेंगे । संयोग कहे या इस शख्स का दुर्भाग्य कि योगी जी के मंत्री परिषद के सहयोगी व स्थानीय विधायक उपेन्द्र तिवारी जी का यह क्षेत्र भी है ।  सरकार की योजनाओं को जनमानस तक पहुंचाने के लिये मंत्री श्री तिवारी लगातार पैदल भ्रमण कर चौपाल लगाते रहे लेकिन सोहांव ब्लॉक के सलेमपुर ग्राम सभा के कुष्ठ रोगी महात्मा सिंह और इनके परिवार के ऊपर इनकी नजर नही पड़ पायी ।












हम बात कर रहे है ऐसे निरीह परिवार की जिसके घर का एक मात्र जीवित पुरुष सदस्य (उम्र लगभग 60 वर्ष) महात्मा सिंह पुत्र स्व हरदेव सिंह जो कुष्ठ रोगी है, चलने फिरने में असमर्थ है और इनके बाए हाथ में लकवा भी मारे हुए है,का परवरिश अति वृद्ध (उम्र लगभग 90 वर्ष) माता सुखराजी देवी कर रही है । सरकार की सैकड़ो हजारो योजनाएं चल रही है लेकिन दुर्भाग्य है कि इनके पास लाल कार्ड छोड़कर ,अन्य किसी भी योजना का लाभ इनको नही मिलता है । न रहने के लिये सिर पर छत है, न कोई पेंशन,राशन कार्ड से मिले गेहूं चावल के खत्म होने पर फांकाकशी होती है या गांव के नौजवान चंदा करके कुछ दे देते है तो पेट की आग बुझती है।







प्रत्येक वर्ष कुष्ठ रोगी अभियान बापू के जन्मदिन से शुरू होता है,ऐसे रोगियों का चिन्हांकन किया जाता और दवाओं के अतिरिक्त आर्थिक मदद और इनके योग्य जो भी सरकारी योजनाएं होती है,दिलायी जाती है । लेकिन धन्य है बलिया का स्वास्थ्य विभाग जिसकी नजर आजतक इस कुष्ठ रोगी को ढूंढ नही पायी है । इस प्रकरण से स्वास्थ्य विभाग का कुष्ठ रोगी खोजी अभियान ही कटघरे में खड़ा होता है और यह सवाल उठता है कि क्या यह अभियान कागजो पर ही चलता है ?

ग्राम प्रधान  गांव का मुखिया होता है । जैसे परिवार के मुखिया की जिम्मेदारी होती है कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को खान पान , रहन सहन के लिये जो भी आवश्यक सुविधाएं चाहिये ,वो उपलब्ध कराये, ठीक वैसे ही ग्राम प्रधान की भी जिम्मेदारी होती है कि उसकी ग्राम सभा मे कोई भी परिवार न तो भूखा रहे, न ही आसमान के नीचे सोये । कहा जाता है कि महिलाओं का हृदय करुणा से भरा होता है । सलेमपुर ग्राम सभा की प्रधान भी महिला रंजना सिंह थी । लेकिन अपने 5 साल के पूरे कार्यकाल में इस ग्राम सभा की महिला ग्राम प्रधान ने इस असहाय परिवार की करुण दशा को जानने सुनने के ऐसी कोई सहायता पहुंचाने का काम नही की, जिससे कहा जाय कि इनका हृदय करुणा युक्त है ।

वही गरीब होते हुए भी एक अनजान महिला जो मंद बुद्धि भी है और एक किशोरी की मां भी है,इस परिवार का जिस तरह से सहयोग कर रही है,को देखने के बाद कहने को मजबूर होना पड़ता है कि महिलाओं के दिल मे ममता होती है । इनके साथ इनकी दशा को देखने के बाद भी अपने साथ एक बच्ची के होते हुए भी इनको भोजन बनाकर खिलाने वाली महिला की जितनी भी तारीफ की जाय कम होगी ।



जिस जनपद से गृहणियों को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिये पीएम मोदी ने राष्ट्र व्यापी उज्ज्वला योजना की शुरुआत करके लगभग 8 करोड़ गैस कनेक्शन गरीब परिवारों को दिये हो । उसी जनपद में अगर एक परिवार आज भी लकड़ी पर खाना बनाने को मजबूर है तो निश्चित रूप से स्थानीय प्रशासन,ग्राम प्रधान व स्थानीय राजनेताओ की वास्तविक पात्रों के चयन में लापरवाही की द्योतक है । या स्थानीय प्रशासन में भ्रष्टाचार का बोलबाला कारण है । आज यह परिवार अपनी जिंदगी और उपेक्षा से इस कदर त्रस्त है कि यह कह रहा है --

एक ही बार में क्यों नहीं ख़त्म करती ये किस्सा ए जिन्दगी, 

किश्तों में मिलता दर्द अब संभाला नहीं जाता