बलिया का पीपीसी सेंटर पर मालिकाना विवाद : वैधानिक मालिक सीएमओ , पर केयरटेकर सीएमएस महिला जता रही है अपना दावा
बलिया का पीपीसी सेंटर पर मालिकाना विवाद : वैधानिक मालिक सीएमओ , पर केयरटेकर सीएमएस महिला जता रही है अपना दावा
मधुसूदन सिंह
बलिया 7 जुलाई 2019 ।। अरसे बाद पीपीसी सेंटर (प्रसवोपरांत केंद्र) के प्रभारी की नियुक्ति सीएमओ बलिया डॉ पीके मिश्र द्वारा किये जाने के बाद इस केंद्र को लेकर सीएमओ और सीएमएस महिला के बीच इसके स्वामित्व को लेकर शीत युद्ध शुरू हो गया है । पूरे प्रदेश में बलिया को छोड़कर शेष जनपदों में पीपीसी का संचालन सीएमओ के द्वारा होता है , केवल बलिया ही है जहां संचालन सीएमएस महिला के द्वारा होता है । बता दे कि इसी सेंटर के द्वारा परिवार कल्याण का सम्पूर्ण बजट खर्च होता है । एनएचआरएम के द्वारा जो भी परिवार कल्याण से सम्बंधित योजनाएं आती है ,इसी केंद्र के माध्यम से लाभार्थियों तक जाती है । चूंकि अब इस केंद्र के नये प्रभारी के रूप में डॉ सिद्धार्थ मणि (बाल रोग विशेषज्ञ) ने कार्यभार ग्रहण करके कार्य करना शुरू कर दिया है । इस लिये महिला अस्पताल के लोगो को अपने हाथों से एनएचआरएम की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी निकलती हुई महसूस हो रही है , इस लिये यह विवाद बढ़ा रहे है । बता दे कि वित्तीय वर्ष 1975-76 में बने इस पीपीसी सेंटर का संचालन शासनादेश के अनुरूप सीएमओ के द्वारा ही होता था । वित्तीय वर्ष 1982-83 में तत्कालीन सीएमओ डॉ एम एम रे ने महिला अस्पताल के कैम्पस में होने के कारण इस सेंटर की देखरेख का जिम्मा तत्कालीन सीएमएस महिला डॉ आशा सिंह को दे दिया , उस समय महिला अस्पताल में कैलाश नाथ तिवारी बड़े बाबू थे । तब से इस सेंटर की देखरेख महिला अस्पताल के द्वारा ही होती रही है । बता दे कि इस सेंटर पर बच्चो के जन्म से लेकर मरण से पहले के सभी इलाज होते है । अर्थात बच्चो की डिलीवरी, टीकाकरण ,नसबंदी, परिवार नियोजन के उपाय , बच्चो के पैदा होने पर माता को मिलने वाला प्रसवोपरांत सहायता आदि सभी कार्य सम्पन्न होते है । एनएचआरएम के तहत प्रतिमाह करोड़ो रूपये का अनुदान विभिन्न स्कीमों के अंतर्गत मिलता है , यही पैसा महिला अस्पताल के बाबुओं को हाथ से निकलता हुआ महसूस हो रहा है , असली विवाद का कारण यही है ।
इस संबंध में जब सीएमओ बलिया डॉ पीके मिश्र से बात की गई तो उनका कहना है कि महिला अस्पताल वालो को गलतफहमी हो गयी है , पीपीसी सेंटर सीएमओ के अधीन चलने वाला केंद्र है । इस संबंध में मेरे पास शासनादेश मौजूद है , इस संबंध में किसी को गलतफहमी नही होनी चाहिये ।
मधुसूदन सिंह
बलिया 7 जुलाई 2019 ।। अरसे बाद पीपीसी सेंटर (प्रसवोपरांत केंद्र) के प्रभारी की नियुक्ति सीएमओ बलिया डॉ पीके मिश्र द्वारा किये जाने के बाद इस केंद्र को लेकर सीएमओ और सीएमएस महिला के बीच इसके स्वामित्व को लेकर शीत युद्ध शुरू हो गया है । पूरे प्रदेश में बलिया को छोड़कर शेष जनपदों में पीपीसी का संचालन सीएमओ के द्वारा होता है , केवल बलिया ही है जहां संचालन सीएमएस महिला के द्वारा होता है । बता दे कि इसी सेंटर के द्वारा परिवार कल्याण का सम्पूर्ण बजट खर्च होता है । एनएचआरएम के द्वारा जो भी परिवार कल्याण से सम्बंधित योजनाएं आती है ,इसी केंद्र के माध्यम से लाभार्थियों तक जाती है । चूंकि अब इस केंद्र के नये प्रभारी के रूप में डॉ सिद्धार्थ मणि (बाल रोग विशेषज्ञ) ने कार्यभार ग्रहण करके कार्य करना शुरू कर दिया है । इस लिये महिला अस्पताल के लोगो को अपने हाथों से एनएचआरएम की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी निकलती हुई महसूस हो रही है , इस लिये यह विवाद बढ़ा रहे है । बता दे कि वित्तीय वर्ष 1975-76 में बने इस पीपीसी सेंटर का संचालन शासनादेश के अनुरूप सीएमओ के द्वारा ही होता था । वित्तीय वर्ष 1982-83 में तत्कालीन सीएमओ डॉ एम एम रे ने महिला अस्पताल के कैम्पस में होने के कारण इस सेंटर की देखरेख का जिम्मा तत्कालीन सीएमएस महिला डॉ आशा सिंह को दे दिया , उस समय महिला अस्पताल में कैलाश नाथ तिवारी बड़े बाबू थे । तब से इस सेंटर की देखरेख महिला अस्पताल के द्वारा ही होती रही है । बता दे कि इस सेंटर पर बच्चो के जन्म से लेकर मरण से पहले के सभी इलाज होते है । अर्थात बच्चो की डिलीवरी, टीकाकरण ,नसबंदी, परिवार नियोजन के उपाय , बच्चो के पैदा होने पर माता को मिलने वाला प्रसवोपरांत सहायता आदि सभी कार्य सम्पन्न होते है । एनएचआरएम के तहत प्रतिमाह करोड़ो रूपये का अनुदान विभिन्न स्कीमों के अंतर्गत मिलता है , यही पैसा महिला अस्पताल के बाबुओं को हाथ से निकलता हुआ महसूस हो रहा है , असली विवाद का कारण यही है ।
इस संबंध में जब सीएमओ बलिया डॉ पीके मिश्र से बात की गई तो उनका कहना है कि महिला अस्पताल वालो को गलतफहमी हो गयी है , पीपीसी सेंटर सीएमओ के अधीन चलने वाला केंद्र है । इस संबंध में मेरे पास शासनादेश मौजूद है , इस संबंध में किसी को गलतफहमी नही होनी चाहिये ।