बलिया : चुनौतियों से भरपूर है बलिया के नये कप्तान देवेन्द्र नाथ की पहली पोस्टिंग' "चाहे कितना भी क्राइम बढ़े थानेदारी पर नही आयेगी आंच "की संस्कृति को तोड़ना होगी चुनौती , ईमानदार छवि के नये कप्तान क्या तोड़ पाएंगे एक जाति विशेष का वर्चस्व
चुनौतियों से भरपूर है बलिया के नये कप्तान देवेन्द्र नाथ की पहली पोस्टिंग
चाहे कितना भी क्राइम बढ़े थानेदारी पर नही आयेगी आंच की संस्कृति को तोड़ना होगी चुनौती
ईमानदार छवि के नये कप्तान क्या तोड़ पाएंगे एक जाति विशेष का वर्चस्व
मधुसूदन सिंह
बलिया 10 जनवरी 2019 ।। अब तक के अपने ईमानदार छवि और त्वरित कार्यवाई करने के कारण लोकप्रिय रहे, बलिया में अपनी पुलिस अधीक्षक के रूप में पहली तैनाती में भी अपनी पुरानी छवि के अनुरूप कार्य कर पाएंगे देवेन्द्र नाथ जी यह यक्ष प्रश्न है । यह प्रश्न इनकी काबिलियत पर नही यहां की राजनीतिक आबोहवा के कारण है । क्योकि हम बलियावासी बागी है ,हमारे रगों में बगावत कूटकूट कर भरी है यह सत्य है लेकिन अगर कोई हम से भी तेज आ जाये, यह हम लोगो को बर्दाश्त नही होता है । बलिया में तेज अधिकारियों के अल्प कार्यकाल उदाहरण है ।
वैसे तो यह उम्मीद है कि श्री नाथ अपने अनुभव और ईमानदारी दोनो के सम्मिश्रण से अन्य जनपदों की तरह कप्तान के रूप में अपनी पहली पारी में सफल होंगे । श्री नाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाति विशेष के छाप से विभाग को तेज तर्रार पुलिस टीम के रूप में बलिया पुलिस को दिलानी है । जिस थाना क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ अब तक बढ़ने के वावजूद भी सम्बंधित थाना प्रभारी कुर्सी बचाने में सफल है , जिन के क्षेत्र में बड़े अपराध हुए है और अपराधी अब तक पुलिस की पहुंच से कोसो दूर है उनके खिलाफ कार्यवाई करने की जरूरत है । पुलिस विभाग में जो भी भर्ती हुआ है वह काबिलियत के बल पर ही आया है , ऐसे में मुखिया को भेदभाव रहित कार्यवाई करने से मनोबल बढ़ता है । जो अच्छा कार्य करे उसे सम्मानित और जो खराब करे उसे दंडित करने की नीति से ही महकमे की और मुखिया की छवि निखरती है । आज बलिया पुलिस में आंतरिक हनक वो भी भेदभावरहित की अति आवश्यकता है , जो नये कप्तान महोदय निश्चित तौर पर स्थापित करेंगे ऐसी उम्मीद है । बलिया के बिहार से सटे सीमावर्ती क्षेत्र शराब तस्करी के प्रमुख केंद्र बन गये है , इस पर अंकुश लगाना प्रमुख लक्ष्य होना चाहिये । वही थानों पर एफआईआर दर्ज हो , इसके लिये भी आदेश करने की जरूरत होगी क्योंकि कई जगह पीड़ित एफआईआर के लिये कई दिन थाने का चक्कर लगाने के बाद अंततः पुलिस अधीक्षक के पास ही गुहार लेकर आते है । अपनी अलग पहचान के कारण पूरे विश्व पटल पर सुविख्यात जनपद बलिया में पुलिस अधीक्षक के रूप में प्रथम बार कार्य करना भी अपने आप मे ऐतिहासिक ही होता है क्योंकि इसी धरती के लाल सुप्रसिद्द हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा था - बलिया जिला नही देश है , ऐसे में श्री नाथ बलिया जिले के साथ ही एक देश के भी पुलिस अधीक्षक बने है , यह सौभाग्य सबको नही मिलता है ।
चाहे कितना भी क्राइम बढ़े थानेदारी पर नही आयेगी आंच की संस्कृति को तोड़ना होगी चुनौती
ईमानदार छवि के नये कप्तान क्या तोड़ पाएंगे एक जाति विशेष का वर्चस्व
मधुसूदन सिंह
बलिया 10 जनवरी 2019 ।। अब तक के अपने ईमानदार छवि और त्वरित कार्यवाई करने के कारण लोकप्रिय रहे, बलिया में अपनी पुलिस अधीक्षक के रूप में पहली तैनाती में भी अपनी पुरानी छवि के अनुरूप कार्य कर पाएंगे देवेन्द्र नाथ जी यह यक्ष प्रश्न है । यह प्रश्न इनकी काबिलियत पर नही यहां की राजनीतिक आबोहवा के कारण है । क्योकि हम बलियावासी बागी है ,हमारे रगों में बगावत कूटकूट कर भरी है यह सत्य है लेकिन अगर कोई हम से भी तेज आ जाये, यह हम लोगो को बर्दाश्त नही होता है । बलिया में तेज अधिकारियों के अल्प कार्यकाल उदाहरण है ।
वैसे तो यह उम्मीद है कि श्री नाथ अपने अनुभव और ईमानदारी दोनो के सम्मिश्रण से अन्य जनपदों की तरह कप्तान के रूप में अपनी पहली पारी में सफल होंगे । श्री नाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाति विशेष के छाप से विभाग को तेज तर्रार पुलिस टीम के रूप में बलिया पुलिस को दिलानी है । जिस थाना क्षेत्र में अपराधों का ग्राफ अब तक बढ़ने के वावजूद भी सम्बंधित थाना प्रभारी कुर्सी बचाने में सफल है , जिन के क्षेत्र में बड़े अपराध हुए है और अपराधी अब तक पुलिस की पहुंच से कोसो दूर है उनके खिलाफ कार्यवाई करने की जरूरत है । पुलिस विभाग में जो भी भर्ती हुआ है वह काबिलियत के बल पर ही आया है , ऐसे में मुखिया को भेदभाव रहित कार्यवाई करने से मनोबल बढ़ता है । जो अच्छा कार्य करे उसे सम्मानित और जो खराब करे उसे दंडित करने की नीति से ही महकमे की और मुखिया की छवि निखरती है । आज बलिया पुलिस में आंतरिक हनक वो भी भेदभावरहित की अति आवश्यकता है , जो नये कप्तान महोदय निश्चित तौर पर स्थापित करेंगे ऐसी उम्मीद है । बलिया के बिहार से सटे सीमावर्ती क्षेत्र शराब तस्करी के प्रमुख केंद्र बन गये है , इस पर अंकुश लगाना प्रमुख लक्ष्य होना चाहिये । वही थानों पर एफआईआर दर्ज हो , इसके लिये भी आदेश करने की जरूरत होगी क्योंकि कई जगह पीड़ित एफआईआर के लिये कई दिन थाने का चक्कर लगाने के बाद अंततः पुलिस अधीक्षक के पास ही गुहार लेकर आते है । अपनी अलग पहचान के कारण पूरे विश्व पटल पर सुविख्यात जनपद बलिया में पुलिस अधीक्षक के रूप में प्रथम बार कार्य करना भी अपने आप मे ऐतिहासिक ही होता है क्योंकि इसी धरती के लाल सुप्रसिद्द हिंदी के सशक्त हस्ताक्षर डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा था - बलिया जिला नही देश है , ऐसे में श्री नाथ बलिया जिले के साथ ही एक देश के भी पुलिस अधीक्षक बने है , यह सौभाग्य सबको नही मिलता है ।