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बलिया में बोले डॉ प्रणव पंड्या :गायत्री मंत्र से ही हो सकता है व्यक्ति का सर्वांगीण विकास एवं विश्व का कल्याण

डा० गणेश पाठक की कलम से--
गायत्री मंत्र से ही हो सकता है व्यक्ति का सर्वांगीण विकास एवं विश्व का कल्याण
   --- डा० प्रणव पण्डया
डॉ सुनील कुमार ओझा की प्रस्तुति




बलिया  6 जनवरी, 2019 ।।
देवगायत्री शक्ति पीठ , महावीर घाट, बलिया द्वारा आयोजित 108 कुण्डीय महायज्ञ में पधारे देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के कुलाधिपति डा० प्रणव पण्डया ने रविवार को आशीर्वचन देते हुए कहा कि जो प्राणों की रक्षा करे वही गायत्री मंत्र है। जो हमारा उद्धार करे वो गायत्री मंत्र है। जो हमें सत्य के मार्ग पर ले जाए वह गायत्री मंत्र है। जो हमें संस्कारवान, विचारवान, सत्यनिष्ठ एवं परोपकारी बनाए वह गायत्री मंत्र है।
      डा० प्रणव पण्डया ने कहा कि हमारा मन समस्याओं में भटकता रहता है। परिस्थितियों से भी मजबूत होता है हमारा मन। इसलिए मन को व्यर्थ में भटकने नहीं देना चाहिए। यदि परमात्मा आपको अवसर दिए हैं तो भगवान को मन में बसा लें और यह गायत्री मंत्र से ही हो सकता है।गायत्री मंत्र पारस है। गायत्री मंत्र अमृत है। जो इस अमृत का पान कर लिया , उसका बेड़ा पार हो जायेगा।






     उन्होंने कहाकि गायत्री मंत्र एक साधना है। इस साधना में जो लीन हो गया , वह भगवान में लीन हो गया। गायत्री मंत्र में इतना बल है कि उससे सब कुछ साधा जा सकता हे। यदि कोई पारस पत्थर है तो वह गायत्री मंत्र ही है।

      डा० पण्डया ने कहाकि आज हमारा समाज जातिवाद में इतना उलझा है कि सब कुछ तहस- नहस हो रहा है। इसे हमें मिटाना होगा। हमारी भारतीय संस्कृति कभी जातिवाद की पोषक नहीं रही। भारतीय संस्कृति में लोगों को गुणों के आधार पर पूजा जाता रहा है, चाहें वह व्यक्ति किसी भी जाति का हो। हमें समाज से विभेद को मिटाना है।गायत्री मंत्र की साधना से ही समाज से बुराईयों को मिटाया जा सकता है।
    डा० पण्डया ने सबको आगाह करते हुए कहा कि हृदय की दुर्बला के कारण हम मनोरोगी हो रहे हैं। इन सबका समाधान गायत्री मंत्र में निहित है। गायत्री मंत्र की साधना से रोगग्रस्त शरीर को निरोगी बनाया जा सकता है और सभी दुःखों से छुटकारा पाया जा सकता है। गायत्री मंत्र ब्रह्मास्त्र का काम करता है। हमें इस ब्रह्मास्र को पहचानना होगा । गायत्री मंत्र के शक्ति को पहचान , जानकर एवं साधना कर ही सर्व बाधा से मुक्ति प्राप्त हो सकती है। गायत्री मंत्र से ही हमारा सर्वांगीण विकास हो सकता है एवं विश्व का कल्याण हो सकता है ।
     इस अवसर पर डा० प्रणव पण्डया ने महर्षि भृगु की महिमा का गुणगान करते हुए बलियावासियों से अपने आशिर्वचन के रूप में गायत्री मंत्र की साधना कर समाज में एकता, एकरूपता, समरसता, समानता, सहृदयता , स्वच्छता एवं सहयोग की भावना विकसित करने का आशिर्वाद दिया।