खेल मे फर्जीवाड़ा : जिला खेल समिति अध्यक्ष क्यों नहीं कर रहे है कार्यवाही, मीडिया कर्मियों के सवालों पर भड़के डीआईओएस, ऑफिस से तुरंत निकल भागे
समिति के सचिव की क्या नहीं है जिम्मेदारी
मधुसूदन सिंह
बलिया।। जिस जिला खेल समिति के कार्यकाल मे बलिया के मुंह पर फर्जीवाड़ा करने की कालिख लगी हो, भूखे रहकर अंडर 14 व 19 के खिलाड़ी मेडल जीतते हो, कोच नाबालिक बच्चों को छोड़कर पूरे टूर्नामेंट को छोड़कर घर भाग जाता हो, ऐसे जिम्मेदारों पर जब कार्यवाही करने की बात की जाती है, तो जिला विद्यालय निरीक्षक / अध्यक्ष जिला खेल समिति बलिया भड़क जाते है और इस पर बयान देने से साफ मना करते हुए दफ्तर से ही उठ कर चले जाते है। यह पूरी घटना जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया देवेंद्र गुप्ता के चैंबर मे लगे सीसीटीवी फुटेज से साफ देखी जा सकती है।
बता दे कि बलिया एक्सप्रेस के संपादक व दो अन्य पत्रकार साथी जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र वर्मा के चैम्बर मे जाते है और उनसे जिला खेल समिति से संबंधित सवाल पूंछने लगते है। जब श्री गुप्ता से पूंछा गया कि जिला खेल समिति के खाते मे लगभग कितना धन प्रत्येक वर्ष विद्यालयों से वसूले गये खेल शुल्क के रूप मे आता है, तो इनका कहना था कि मुझे नहीं पता। जब इनको बताया गया कि कक्षा 9 से लेकर 12 तक के बच्चों की अनुमानित संख्या लगभग पौने तो लाख है और प्रत्येक बच्चे से 5 रूपये प्रतिमाह की दर से तीन माह का शुल्क कम से कम लगभग 20 लाख, जिला खेल समिति के खाते मे आता है, पर भी अनभिज्ञता व्यक्त किये। जब इनसे कहा गया कि पिछले तीन सालों से सचिव बने अपने सचिव से पूँछ लीजिये तो ऐसे उखड़े कि कुर्सी छोड़कर ही चले गये। अब सवाल यह उठता है कि आखिर जिला खेल समिति के खाते मे पैसा कितना है,और कितना आता है,यह बताने से डीआईओएस बलिया क्यों भाग रहे है?
इनकी अध्यक्षता मे बलिया के मुंह पर लगी कालिख, जिम्मेदारों पर कार्यवाही क्यों नहीं
जिला खेल समिति की जिम्मेदारी होती है कि जनपद से योग्य खिलाड़ियों का चयन कराकर मंडल स्तरीय, राज्य स्तरीय या देश स्तरीय प्रतियोगिताओं मे भेजे। साथ ही इसी समिति की जिम्मेदारी होती है कि अंडर 14 व अंडर 19 के छात्र छात्राओं को प्रतियोगिता स्थल तक ले जाय, रहने खाने व वापस लाने की व्यवस्था करें। समिति इसके लिये कोच नियुक्त करती है। लेकिन आप खुद सोचिये कि इन नाबालिक बच्चों बच्चियों का कोच बच्चों को प्रतियोगिता स्थल पर छोड़कर घर भाग जाये और बच्चे पैसे के अभाव मे भूख से बिलबिलाये और दूसरों के रहम पर किसी तरह खाना खाये तो ऐसे कोच के खिलाफ कार्यवाही करने की बात करना क्या हमारा धर्म नहीं है, क्या ऐसे कोच के खिलाफ कार्यवाही करना डीआईओएस का नैतिक कर्तव्य नहीं है? अगर इन बच्चों के साथ कोई अनहोनी हो जाती तो जिम्मेदार कौन होता?
देखिये बच्चे क्या कह रहे है.....
दो फर्जी खिलाड़ियों को भेजनें वालों पर कब होंगी कार्यवाही
बलिया के चयन कर्ताओ ने आजमगढ़ मंडल के लिये जिन दो छात्राओं का चयन किया वो बरेली मे आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता मे फर्जी पायी गयी और नतीजन आयोजकों ने पूरे आजमगढ़ मंडल की टीम को शर्मसार करते हुए प्रतियोगिता से बाहर कर दिया। यह घटना 2024 की है। बलिया के चयनकर्ताओ की काली करतूतों ने आजमगढ़ मंडल के अन्य खिलाड़ियों की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। बरेली मंडल के जेडी ने आजमगढ़ मंडल के जेडी को एक पंजीकृत डाक व ई मेल भेजकर फर्जी खिलाड़ियों को चयनित करने वालों पर कार्यवाही करने का निर्देश इस आशय से भेजा कि भविष्य मे कोई ऐसी जुर्रत दुबारा न करें। यह पत्र ई मेल के द्वारा डीआईओएस बलिया को भी भेजा गया है। जब इस संबंध मे सवाल किया गया तो डीआईओएस बलिया ने कहा कि जेडी आजमगढ़ महोदय का इस संबंध मे कोई निर्देश नहीं मिलने से कार्यवाही नहीं की गयी है। अरे भाई फर्जीवाड़ा का डंका पूरे देश मे मीडिया के माध्यम से पहुंच गया, जिला खेल समिति के पदाधिकारियों की टीम की पोल खुल गयी, बलिया का कीर्ति धूमिल हुई और आप अभी तक लगभग 8 माह से जेडी के निर्देश की प्रतीक्षा मे है। पहले देखिये क्या पत्र आया है......
अगली कड़ी मे दूसरा घोटाला