जिला प्रशासन की चुप्पी से बलिया मे खेल के साथ खिलवाड़,कौन है जिम्मेदार, बैडमिंटन व टीटी के आयोजक करते रहे खिलाड़ियों व चयन कर्ताओ का इंतजार
जिला क्रीड़ा समिति, खेल का निकाल रही है कबाड़ा
चयन कर्ता नदारद, एक चयन कर्ता मैटेर्निटी लिव पर
मधुसूदन सिंह
बलिया।। केंद्र सरकार से लेकर प्रदेश सरकार, सबकी मंशा है कि जनपदों से होनहार खिलाड़ियों का चयन करके उनको मंडल, स्टेट के रास्ते नेशनल मे पहुँचाया जाय। इसके लिये सरकार हर स्तर पर आयोजनों के लिये धनराशि तय ही नहीं की है बल्कि उसको सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों के खातों मे खेल शुरू होने के साथ ही भेज भी देती है। यह पैसा इस लिये भेजा जाता है कि इससे खेल के लिये जरुरी सामान खरीदने के साथ ही आयोजन मे जो भी जरुरी खर्चे होते है, उसको भी करने मे कोई परेशानी न हो। लेकिन जब छीके की रखवाली करने वाला ही छीके का माल हजम करने की योजना पर काम कर रहा हो तो, छीके मे रखे मक्ख़न को बचाना मुमकिन ही नहीं दिखता है।
यही हाल बलिया की जिला क्रीड़ा समिति का है। जनपद मे 31 जुलाई से प्राथमिक व माध्यमिक स्कूली खेल चल रहा है। लेकिन जिला क्रीड़ा समिति की कार्यशैली के चलते न इसका प्रचार प्रसार हुआ है और न चयन के समय खिलाड़ी ही पहुंच रहे है। नतीजन जो आ रहा है, वही सेलेक्ट हो जा रहा है। लेकिन शुक्रवार को हद ही पार हो गयी। घोषित खेल कैलेंडर के अनुसार 8 अगस्त को बैडमिंटन व टेबल टेनिस का चयन ट्रायल श्री राम सिंहासन इंटर कॉलेज दुबहर मे होना निश्चित था। लेकिन बाढ़ का पानी विद्यालय मे आ जाने से प्रधानाचार्य ने तीन दिन पहले ही विद्यालय पर मैच कराने मे असमर्थता व्यक्त करते हुए एक पत्र जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखकर स्टेडियम मे कराने की मांग की थी।
जिला क्रीड़ा सचिव ने जिला खेलकूद अधिकारी को पत्र भेजकर 8 अगस्त को स्टेडियम मे बैडमिंटन व टेबल टेनिस का चयन ट्रायल कराने के लिये अनुमति देने की मांग की थी। इसी के आधार पर शुक्रवार को श्रीराम सिंहासन इंटर कॉलेज दुबहर के खेल शिक्षक आसिफ व प्रधानाचार्य सत्येंद्र पांडेय फूल माला, फीता, शटल कॉक, रजिस्टर आदि लेकर स्टेडियम मे चयन कर्ताओ और खिलाड़ियों का इंतजार करते रहें। लेकिन न तो खिलाड़ी आये, न ही चयन कर्ता। थक हार कर आयोजक विद्यालय के प्रधानाचार्य और खेल शिक्षक सारा सामान लेकर मायूस होकर चले गये। इनके साथ जिला खेलकूद अधिकारी भी सबका इंतजार करते रहे।
आखिर क्यों नहीं आये एक भी खिलाड़ी ?
बलिया एक्सप्रेस लगातार इस आयोजन मे हो रही घपलेबाजी और जिले के खिलाड़ियों के साथ हो रही नाइंसाफी की आवाज उठा रहा है। लेकिन न तो जिला प्रशासन के अधिकारी, न ही सत्ताधारी दल के नेता ही इस तरफ ध्यान दे रहे है। पाठक गण स्वयं सोचिये कि जिस स्टेडियम मे कई दर्जन खिलाड़ी रोज प्रेक्टिस करते हो, उस स्टेडियम मे एक भी खिलाड़ी चयन ट्रायल देने क्यों नहीं आया? जिलाधिकारी बलिया को खेल मे हो रहें खेल को रोकना चाहिये।
मैटेर्निटी लिव पर गयी शिक्षिका को भी बना दिया चयन कर्ता
जिला क्रीड़ा समिति, प्रतियोगिता कराने के लिये कितनी संजीदा है, इसका उदाहरण आज से अच्छा कही नहीं मिलेगा। बैडमिंटन व टेबल टेनिस के चयन ट्रायल के लिये जिन दो चयन कर्ताओ को नियुक्त किया था, उसमे जिला क्रीड़ा समिति के सचिव दिनेश प्रसाद व संगीता देवी का नाम था। सचिव जी इस आयोजन को लेकर कितने संजीदा है, वह उनके ट्रायल के लिये नहीं आने से समझा जा सकता है। दूसरे चयन कर्ता की नियुक्ति तो इस समिति के आयोजन के प्रति संजीदगी को दर्शाने के लिये सबूत के तौर पर सहेजने लायक है। आपको जानकर हैरानी होंगी कि जिस संगीता देवी को चयन कर्ता बनाया गया है, वह मैटेर्निटी लिव पर है।
स्टेडियम मे नहीं है टेबल टेनिस खेलने की व्यवस्था
इस बार जो खेल कैलेंडर जारी हुआ है, उसमे विसंगतियों की भरमार है। खेल का आयोजन जिस विद्यालय को दिया गया है, उसके यहां उस खेल से सम्बंधित साजोसामान है कि नहीं, इसको देखने के लिये जहमत ही नहीं उठाया है। जिस विद्यालय पर ढंग से हैंडबाल का मैदान भी नहीं बन सकता है, उस विद्यालय पर चयन ट्रायल भी हो गया। जिस विद्यालय पर तिरंदाजी का सामान ही नहीं है, उस विद्यालय पर यह प्रतियोगिता दी गयी। जहां के बालक बालिकाएं खो खो खेलकर नेशनल जीते हो, उस मैदान की जगह, इस खेल को ऐसे विद्यालय पर आवंटित किया गया है, जहाँ अगर खो खो के खिलाड़ी ड्राइव लगा दे तो पेड़ से टकरा कर जाये और कोई बड़ा हादसा हो जाये।
कितनी गलतियों होने के बाद होंगी जांच
पिछले वर्ष बरेली मे स्टेट खेलने गयी बालिकाओं की बॉलीबाल टीम मे दो मुन्ना भाई बालिकाएं पकड़ी गयी थी, जो मऊ की मूल निवासी थी लेकिन बलिया की लड़कियों के नाम पर स्टेट खेलने गयी थी। इन दोनों लड़कियों की वजह से आजमगढ़ की पूरी टीम को बाहर कर दिया गया। उनको असली लड़कियों की जगह बरेली भेजनें वालों के खिलाफ पिछले साल से कार्यवाही करने के लिये आदेश आया हुआ है लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक उनको अभी तक बचाये हुए है।पिछली समिति के अध्यक्ष व सचिव भी वर्तमान अध्यक्ष व सचिव ही है।
जिला क्रीड़ा समिति के सचिव के आदेश पर स्टेडियम नहीं हो सकता बुक
स्टेडियम को बुक करने का नियम बना हुआ है। बैडमिंटन कोर्ट को बुक कराने के लिये प्राइवेट व्यक्तियों को 1 हजार रूपये प्रति कोर्ट प्रति दिन देना पड़ता है। निःशुल्क आवंटन जिला विद्यालय निरीक्षक के लिखित निवेदन पर ही हो सकता है। लेकिन शुक्रवार को जो अलिखित आवंटन हुआ है, उसका जिम्मेदार कौन है? जिला क्रीड़ा सचिव के पत्र पर स्टेडियम निःशुल्क आवंटित हो ही नहीं सकता है, फिर भी हुआ, जो अवैधानिक है।