बलिया : ददरी मेला बना अजय समाजसेवी प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी का निजी मेला , प्रशासन की भूमिका बस शांति सुरक्षा तक सीमित , सरकारी आयोजन , पर जनपद के मंत्रियों विधायको की हो रही है उपेक्षा
ददरी मेला बना अजय समाजसेवी प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी का निजी मेला
सभासदों की अनुपस्थिति कर रही है चुगली
प्रशासन की भूमिका बस शांति सुरक्षा तक सीमित
सरकारी आयोजन , पर जनपद के मंत्रियों विधायको की हो रही है उपेक्षा
मधुसूदन सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
बलिया 3 दिसम्बर 2018 ।। बलिया का ऐतिहासिक धार्मिक पौराणिक सांस्कृतिक ददरी मेला जो सरकारी आयोजन है , इस बार प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हाथ मे आयोजित होता दिख रहा है । इस बार के इस मेले में एक कहावत चरितार्थ हो रही है - न लेखा है न बही है , अजय समाजसेवी ने जो कह दिया वही सही है । यह बात इस लिये कहनी पड़ रही है क्योकि नगर पालिका द्वारा आयोजित मेले में इस बार कर्मचारियों को ही किसी कार्यक्रम की जानकारी नही है । अगर आप ने किसी कर्मचारी से पूंछ लिया कि कौन कौन कवि आ रहे है तो उनका जबाब होगा चेयरमैन साहब से पूँछिये ? चेयरमैन साहब से पूंछने पर बताया जाएगा परेशान मत होइये इस बार मैं सौ साल का रिकार्ड तोड़ने जा रहा हूँ । ज्यादे जोर देने पर कहेगे भाई जी (चर्चित नाम ,जिनको कोई वाइस चेयरमैन कह रहा है तो कोई स्वास्थ्य विभाग के दया बाबू जिनको सुपर सीएमओ कहा जाता था ,वैसे ही ये भाई साहब को सुपर चेयरमैन कह रहे है ) से पूंछ लीजिये आपको सारी जानकारी मिल जाएगी ।
तथाकथित भाई की हैसियत का आलम यह है कि दो दिसम्बर के भजन संध्या वाले कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी और अधिशाषी अधिकारी डीके विश्वकर्मा को नगर पालिका के ही मंच भारतेन्दु कला मंच पर स्वागत कर रहे है । वही नगर पालिका परिषद के निर्वाचित सभासदों को तो जैसे दोयम दर्जे का नागरिक समझा जा रहा है , न तो इनको किसी कार्यक्रम से पहले सूचना ही ढंग से दी जा रही है , न ही इनसे सलाह मशविरा करना ही जरूरी समझा जा रहा है , इससे नाराज होकर अधिकतर सभासद आ ही नही रहे है ।दो दिसम्बर के दिन अनुराधा पौडवाल का कार्यक्रम इन्ही लोगो की अदूरदर्शिता के चलते सफल होते होते रह गया । अव्यवस्था ऐसी की पूँछिये मत । वीवीआइपी को बैठाने के लिए मंच की दाहिने तरह व्यवस्था की गई थी जिससे न तो वीवीआइपी लोग कलाकार अनुराधा पौडवाल को सामने से देख पाये , न ही कलाकार ही ऐसा कर पाये । पत्रकारों की दीर्घा पर अनाधिकृत लोगो ने कब्जा जमा लिया था जिसको हटाना नगर पालिका परिषद और प्रशासन के लोगो ने जरूरी नही समझा जिससे कई पत्रकारों ने सामने जमीन पर बैठकर कवरेज की । जनपद में माननीय मंत्री उपेंद्र तिवारी के रहने के वावजूद उनको न बुलाना कही न कही ददरी मेला के स्थापित मानकों, मूल्यों की खिल्ली उड़ाने जैसा है । वही सदर विधान सभा मे कार्यक्रम हो और सदर विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल को निमंत्रित करना तो दूर सलाह भी न ली जाय , यह साबित करने के लिये काफी है कि इस बार के मेले का आयोजन अजय कुमार समाजसेवी एण्ड कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा किया गया है । बैठाने की व्यवस्था एक हजार की और वीआईपी कार्ड नाम से पास बांट दिया चार हजार , ऐसे में बैठने के लिये हाथों में पास लिये लोग पुलिस से नोकझोक करते रहे । अभी पहले ही कार्यक्रम जो छोटा ही था सफल होते होते दुर्व्यवस्था के चलते असफल की श्रेणी में चला गया । अगर 2 दिसम्बर के दुर्व्यवस्था से सबक लेकर जिला प्रशासन अब भी नही चेता और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हाथों को नही रोका तो जमीन के बिकने से अपने अस्तित्व को बचाने के लिये जूझ रहा ददरी मेला इतिहास के पन्नो में दर्ज हो जायेगा । यही अनुरोध सत्ता पक्ष के राजनेताओ से भी है बचा लीजिये बलिया की पौराणिक धार्मिक ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहर को , नही तो चुप्पी साधने के बावजूद आप लोग भी गुनाहगार कहलाने से अपने को रोक नही पायेंगे ।