बलिया : बोले प्रेमभूषण जी महाराज : सहजावस्था में रहने से होगा कल्याण ,श्री राम की कथा से तीनों ताप हो जाते है दूर , सत्कर्म दिखाने के लिये नही आत्मबोध के लिये करे ,वृहद भंडारे का हुआ आयोजन ,श्रीराम कथा और कुंभ महापर्व नामक कैलेंडर का हुआ विमोचन
सहजावस्था में रहने से होगा कल्याण : प्रेमभूषण जी महाराज
श्री राम की कथा से तीनों ताप हो जाते है दूर
सत्कर्म दिखाने के लिये नही आत्मबोध के लिये करे
वृहद भंडारे का हुआ आयोजन
श्रीराम कथा और कुंभ महापर्व नामक कैलेंडर का हुआ विमोचन
बलिया 20 दिसम्बर 2018 ।। स्थानीय टीडी कालेज के मैदान में 12 दिसम्बर से चल रही नव दिवसीय श्रीराम कथा का आज नवे दिन कथा के साथ समापन हुआ । समापन के बाद पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने श्रीराम कथा (कुम्भ महापर्व) एवं दिव्य जन्मोत्सव नामक कैलेंडर का विमोचन किया । आयोजक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने नव दिन तक आकर राम कथा का श्रवण करने के लिये उपस्थित माताओं बहनों और सभी भक्तजनों के प्रति आभार व्यक्त किया कि जिस मकसद को दिल मे रखकर कथा सुनी है , भगवान सीताराम आप सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करें ।कथा के समापन के बाद एक वृहद भंडारे का भी आयोजन किया गया , जिसमे लगभग 15 हजार महिलाओ पुरुषों ने प्रसाद ग्रहण किया । सभी को श्रीराम कथा कुम्भ महापर्व वाला कलेंडर भी दिया गया ।
आज की कथा भगवान के व्यवहार पक्ष को उजागर करने वाली थी । श्री महाराज ने कहा कि हमारे राघव का पूरा जीवन व्यवस्थित था । जहाँ लंका कांड तक उन्होंने जो किया वह सिद्धांत था तो राजा बनने के बाद उन्होंने व्यवहार पक्ष को दर्शाया है । कहा भगवान ने बताया है कि परिवार , समाज के बीच कैसे रिश्ते बनाये जाते है । भगवान ने हर रिश्ते को सहजता के साथ निभाया है बोझ मानकर नही । पिता के कहने पर वन गये तो पुत्र धर्म निभाया । माता सीता का हरण हुआ तो पति धर्म निभाकर अपहरण करने वाले रावण को मारकर अपनी पत्नी को वापस लाकर पति धर्म निभाया । सभी भाइयो को प्यार दुलार दिया , भातृ धर्म निभाया ।पूरे राज्य में ऐसी शासन व्यवस्था लागू की कि सभी भयहीन होकर रहते थे , राजधर्म निभाया । कहा आज लोग घर मे भी शांत या सहज भाव से नही रह पा रहे है । पारिवारिक जन एक साथ रहकर भी सहजता का अनुभव नही कर रहे है । यह सब सनातन धर्म के अनुरूप आचरण और व्यवहार से जीवन यापन न करने के कारण है । अगर घर मे भजन पूजा की शुरुआत हो , सत्कर्म हो तो सहजता प्राप्त हो सकती है । लेकिन सत्कर्म दिखावे के लिये नही आत्मबोध के लिये होना चाहिये । आजकल लोग दिखावे के लिये ज्यादे सत्कर्म कर रहे है । सौ रुपये का कम्बल बांटकर अपना फोटो अखबारों में छपवाकर वाहवाही लूट रहे है लेकिन अगर इनसे कहा जाय कि जो कम्बल आप गरीबो को ठंड से बचने के लिये दे रहे है वही कम्बल मात्र एक दिन के लिये ओढ़ कर रेलवे स्टेशन पर रात गुजार दीजिये समझ मे आ जायेगा कि आपका कम्बल कितनी सर्दी भगाएगा । दान दिखाने के लिये नही होना चाहिये , यह आत्मबोध कराने और इह और परलोक सुधारने के लिये होना चाहिये । कहा श्रीराम चरित मानस का गान या श्रवण करना मनुष्य के तीनों ताप - दैहिक , दैविक और भौतिक को मिटाकर भक्ति का संचार करने वाला है । सत्संग जीवन मे अवश्य करना चाहिये , जितना भी समय मिल सके उतनी देर करना पर अवश्य । सत्संग से विवेक की प्राप्ति होती है ।विवेक से वैराग्य की प्राप्ति होती है और वैराग्य से भक्ति की प्राप्ति होती है । भक्ति भी सहज रूप में हो तो जीवन धन्य हो जायेगा । कहा कि भारत पुरातन काल मे विश्व गुरु था और आज भी हो सकता है बशर्ते हमारी सरकार मैकाले की शिक्षा नीति की जगह सनातन धर्म वाली गुरुकुल शिक्षा पद्धति लागू करे । आज की शिक्षा व्यवस्था में जो विद्यार्थियों के लिये सबसे उत्तम समय याद करने का होता है उस समय स्कूल जाने को बच्चे तैयार होते है । मेरी सरकार से आग्रह है जब तक मैकाले वाली शैक्षणिक सिलेबस से छुटकारा नही मिलता है तब तक विद्यालयों को सुबह की जगह 10 बजे से 4 बजे तक चलाने का आदेश देवे ,जिससे प्रातः काल के समय बच्चे घर पर पढ़ाई कर सके । वही उपस्थित श्रोताओं से भोजपुरी को अपने अश्लील गानों से बदनाम करने वाले गायकों को पीटने तक की सलाह प्रेमभूषण जी ने देते हुए भोजपुरी का एक सुंदर पारिवारिक गीत -"सैया मोरे चांद जैसे हम उनकर चकोरी रे ---" गाकर भोजपुरी की शब्द समृद्धता को दर्शाया ।
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