अपहरण नहीं खुद घर से गायब हो गये थे अजय तिवारी, पुलिस की कार्यवाही से थे क्षुब्ध, घर वालों को किये गये सुपुर्द
मधुसूदन सिंह
बलिया।। सुखपुरा थाना क्षेत्र के घोसवती गांव के हाई प्रोफाइल अजय तिवारी अपहरण कांड का पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने प्रेसवार्ता के माध्यम से खुलासा करते हुए कहा कि श्री तिवारी को सकुशल घर वालों को सुपुर्द कर दिया गया है। कहा कि श्री तिवारी का अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि ये 29/30 की रात मे हुई मारपीट की घटना के बाद आरोपितों के खिलाफ सुखपुरा पुलिस के द्वारा की गयी हल्की कार्यवाही से क्षुब्ध होकर घर वालों से बताये बिना घर छोड़कर चले गये थे। बताया कि अजय तिवारी स्वयं सोमवार को मेरे ऑफिस आकर ये सभी जानकारी दिये। श्री तिवारी को उनके घर वालों को सुपुर्द कर दिया गया है।
घटना का विवरण
उल्लेखनीय है कि दिनांक 04.05.2025 को थाना स्थानीय पर पंजीकृत मु0अ0सं0 111/2025 धारा 191(2), 191(3), 115(2), 351(3), 140(3) बी.एन.एस. बनाम 1. चन्द्रमा यादव पुत्र स्व0 विश्वनाथ यादव आदि निवासी ग्राम घोसवटी थाना सुखपुरा जनपद बलिया से सम्बन्धित अपहृत की तलाश हेतु पुलिस अधीक्षक द्वारा टीम का गठन किया गया था। अपहृत अजय कुमार तिवारी की बरामदगी हेतु जगह जगह के सी.सी.टी.वी. फुटेज व इलेक्ट्रानिक माध्यम से पतारसी सुरागरसी की जा रही थी कि इसी क्रम में दिनाँक 12.05.2025 को सायं काल के समय में अपहृत श्री अजय कुमार तिवारी उपरोक्त पुलिस कार्यालय जनपद बलिया में स्वयं उपस्थित हुए, जहाँ पर उनके द्वारा स्पष्ट रूप से बताया गया कि मेरा कोई अपहरण नहीं हुआ था मै स्वयं से चला गया था और आज यहां स्वयं से उपस्थित हो गया हूं। अजय कुमार तिवारी द्वारा बताया गया कि दिनाँक 30.04.2025 को मेरे लडके महामृत्युजंय तिवारी व मेरे परिजनों के साथ हुई मारपीट की घटना के सम्बन्ध में थाना सुखपुरा पर मुकदमा भी पंजीकृत है चूंकि एक गांव में रहने के चलते विपक्षियों द्वारा की जाने वाली मारपीट से मै व्यथित था जिसके कारण मैं दिनाँक 03/04.05.2025 की रात्रि में समय करीब एक से दो बजे के बीच में अपनी पत्नी को बता कर मैं घर से निकल गया था।
श्री तिवारी ने बताया है कि घर से निकल कर पैदल ही खेत के रास्ते होते हुए बरवाँ से बलिया होते हुए गंगा जी के किनारे होता हुआ जमनिया चन्दौली बार्डर तक चला गया और बीच बीच में मुझे कही कोई खाना दे देता था तो मैं वही खा लेता था । दिनाँक 11.05.2025 को मुझे अचानक चिंता हुई कि मैं घर से बाहर निकल गया हूँ मेरे परिवार वाले परेशान हो रहे होंगे इसलिए मैं पुनः अपनी मर्जी से जमनिया से ट्रेन पकडकर वापस बक्सर आया और बक्सर से आटों पकड़कर बलिया आया । बलिया से मैं नारायण पाली थाना गड़वार क्षेत्र में आया जहाँ पर मैं अपने कई परिचितों से मिला उनमें से कुछ परिचितों ने बताया कि आपके घर वालों ने अपहरण का मुकदमा थाना सुखपुरा पर लिखवाया है।आप पुलिस के समक्ष उपस्थित होकर अपनी पूरी बात बताईये तो मैं दिनाँक 12.05.2025 को पैदल ही सायं काल के समय पुलिस कार्यालय बलिया में उपस्थित होकर अपनी बात बताया कि मैं अपनी मर्जी से गया था मेरा किसी के द्वारा अपहरण नहीं किया गया था । इस क्रम में सुखपुरा थाना पुलिस टीम द्वारा गुम हुए अजय तिवारी की सकुशल बरामदगी/वापसी के तथ्यों का साक्ष्यों के क्रम में मिलान कराया जा रहा है। अन्य विधिक कार्यवाही अमल में लायी जा रही है ।
संबंधित अभियोग
1.मु0अ0सं0- 111/2025 धारा 191(2), 191(3), 115(2), 351(3), 140(3) बी.एन.एस.थाना सुखपुरा जनपद बलिया
खुलासे से पहले देखिये अजय तिवारी की पत्नी का रूप
अजय तिवारी के घर से गायब होने के बाद इनकी पत्नी इंद्रावती देवी इस कदर दिखती रही जैसे वास्तव मे इनके पति का अपहरण हुआ हो। जबकि हकीकत इनको मालूम था कि इनके पति का अपहरण नहीं हुआ है, स्वयं घर से गायब हुए है। हकीकत जानते हुए भी जिस तरह से इंद्रावती देवी घर पहुंचने वालों के सामने नाटक करती थी, मानो वास्तव मे उनके पति का अपहरण किया गया है और ये काफ़ी दुखी है। सपा सांसद सनातन पांडेय के द्वारा यह बयान देने पर कि अजय तिवारी के अपहरण मामले मे जिन लोगों पर मुकदमा लिखवाया गया है और जिनको हिरासत मे लिया गया है, वे सभी लोग निर्दोष है, के बाद इंद्रवावती तिवारी द्वारा श्री पांडे को खूब खरीखोटी मीडिया के माध्यम से सुनाई गयी थी। अब जब अजय तिवारी सकुशल घर लौट आये है, तो इनकी क्या दशा आमजन मे होंगी, यह सोच सकते है।
सपा नेताओं का कहना हुआ सच
अजय तिवारी के तथाकथित अपहरण कांड के बाद जिस तरह से राजनीति की इंट्री हुई और समाजवादी पार्टी व इसके कार्यकर्ताओ पर आरोप लगाये गये, वो सभी आरोप निराधार निकले है। साथ ही सपा नेताओं के द्वारा पुलिस अधीक्षक व जिलाधिकारी से मिलकर जो कहा गया था कि अजय तिवारी का अपहरण नहीं हुआ है, वह खुद घर से गायब हुए है, सच साबित हुआ है। इस कांड ने यह भी दिखा दिया कि राजनीति मे कितने निचले स्तर तक जाया जा सकता है और राजनीति की बलिवेदी पर बेकसूरों को चढ़ाया जा सकता है। इस मामले मे बलिया के पुलिस अधीक्षक व पूरी टीम ने जिस एकाग्रता और संयम के साथ अपनी किरकिरी होने के वावजूद बेकसूरों को जेल नहीं भेजा, काबिले तारीफ है।