जानें क्या है निरंकारी मिशन? जिसके समागम में हुआ धमाका
जानें क्या है निरंकारी मिशन? जिसके समागम में हुआ धमाका
0m Prakash

18 नवम्बर 2018 ।।
पंजाब के अमृतसर में निरंकारी समागम में रविवार को धमाका हुआ. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई है, जबकि 22 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं. चश्मदीदों के मुताबिक, बाइक सवार दो लड़कों को समागम में ग्रेनेड फेंककर भागते हुए देखा गया है. इस धमाके बाद देश भर में निरंकारी आश्रमो की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. खासतौर पर दिल्ली के बुराड़ी में.
आइए जानते हैं कि संत निरंकारी मिशन आखिर है क्या?
संत निरंकारी मिशन कोई प्रचलित धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है. इसकी शुरुआत 1929 में बाबा बूटा सिंह ने पेशावर में की थी, जो अब पाकिस्तान में है. बंटवारे के साथ ही 1948 में भारत में इसकी नींव रखी गई. इसका मुख्यालय दिल्ली में है.
संत निरंकारी मिशन कोई प्रचलित धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक विचारधारा है. इसकी शुरुआत 1929 में बाबा बूटा सिंह ने पेशावर में की थी, जो अब पाकिस्तान में है. बंटवारे के साथ ही 1948 में भारत में इसकी नींव रखी गई. इसका मुख्यालय दिल्ली में है.
मिशन का दावा है कि भारत के 3000 केंद्रों सहित 27 देशों में करीब 200 केंद्रों पर उसके एक करोड़ से अधिक अनुयायी हैं. निरंकारी मंडल की ओर से बुराड़ी स्थित मैदान में हर साल नवंबर में वार्षिक समागम का आयोजन किया जाता है, जिसमें भारत समेत दुनिया भर के लाखों भक्त भाग लेते हैं.
निरंकारी मिशन के अब तक 6 गुरु हुए हैं. इनके नाम हैं- संत बाबा बूटा सिंह, अवतार सिंह, बाबा गुरबचन सिंह, बाबा हरदेव सिंह, माता सविंदर हरदेव और माता सुदीक्षा. वर्तमान में बाबा हरदेव सिंह की छोटी बेटी सुदीक्षा इस संगठन की प्रमुख हैं. संत निरंकारी मिशन कई सामाजिक कार्यों जैसे रक्तदान, सामूहिक विवाह और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय है.
इससे जुड़े लोगों का कहना है कि यह मिशन खुद को न तो धर्म मानता है और न ही किसी धर्म से जुड़ा कोई समुदाय. दरअसल, सिख धर्म में गुरुवाणी यानी गुरुग्रंथ साहिब को सर्वोच्च गुरु माना जाता है. लेकिन, इसकी मुख्य धारा से अलग होकर 19वीं सदी की शुरुआत में जीवित गुरु को भी सर्वोच्च दर्जा दिलाने के लिए निरंकारी आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसी आंदोलन से संत निरंकारी मिशन का जन्म हुआ.
जब इस मिशन की शुरुआत हुई थी, तब मिशन का तत्कालीन लक्ष्य भक्तों को यह बताना था कि ईश्वर की अनुभूति की जा सकती है. जब तक हम इस परम सत्य की अनुभूति नहीं करते, तब तक हमारे द्वारा किए जा रहे कर्मकांड निरर्थक हैं. मिशन की ओर से अब तक लगभग साढ़े चार हजार रक्तदान शिविर आयोजित किए जा चुके हैं.
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Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
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November 18, 2018
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