खतरनाक होती समस्या : पुलिसकर्मियों को ड्यूटी से ज्यादा क्यों आसान लगने लगी है मौत ?
पुलिसकर्मियों को ड्यूटी से ज्यादा क्यों आसान लगने लगी है मौत ?
बलिया एक्सप्रेस के लिये मधुसूदन सिंह और अमित कुमार की रिपोर्ट
बलिया 7 सितंबर 2018 ।। जिनके कंधो पर दुसरो की समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी हो , अगर वे लोग आत्महत्या करने जैसे कदम उठाने पर मजबूर हो रहे है तो यकीनन कही न कही हमारे सर्विस सिस्टम में खामियां तो है ही । आज के दौर में पूर्णरूप से व्यवसायीकरण की चपेट में आ चुकी हमारी शिक्षा व्यवस्था किताबी मेधावी तो बना दे रही है , लेकिन मानसिक रूप से मजबूत इंसान बनाने में कही न कही असफल जरूर है । किताबी ज्ञान के सहारे नौकरी मिलना आसान है लेकिन संकट के समय दिमागी संतुलन कैसे नियंत्रित रखा जाय यह शिक्षा आज के दौर में अतिआवश्यक हो गयी है जिसका विद्यालयों में सर्वथा अभाव दिखता है । दूसरी तरह प्रशासनिक सेवाओं में लगातार बढ़ रहे ऊपरी दबाव और बिना आराम किये नौकरी करते रहना भी मानसिक तनाव का कारण है । नौकरी का शेड्यूल ऐसा हो गया है कि चाहकर भी प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े चाहे अधिकारी हो या कर्मचारी अपने परिवार तक के लिये समय नही निकाल पा रहे है,वही शासको द्वारा 20 -20 घंटे काम करने के फरमान इन कर्मियों को अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर कर रहे है । साथ ही कुछ केसों में परिवार के लोगो की अतिमहत्वकांक्षा और बेमेल जोड़ियां भी ऐसी घटनाओं के लिये जिम्मेदार पायी गयी है । आइये आप लोगो को 2017 से 2018 तक मे हुई ऐसी घटनाओं से आपको रूबरू कराकर देश प्रदेश की सरकारों को दिन प्रतिदिन भयावह हो रही समस्या से अवगत कराकर इसके प्रति कार्य योजना बनाकर रोकने की अपील करते है ---
उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनात पुलिस कर्मियों के आत्महत्या करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्होंने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्या वजह है कि पुलिस कर्मियों को ड्यूटी करने से ज्यादा आसान मौत को गले लगाना दिखाई दे रहा है?
यूपी के कई ऐसे जिले हैं जहां से पिछले कुछ महीनों के अंदर कई ऐसी खबरें आईं जिनमें पुलिस कर्मियों ने फांसी लगाकर या फिर गोली मारकर आत्महत्या कर ली है।
लगातार ड्यूटी करने से बढ़ता है तनाव
पुलिस कर्मियों के आत्महत्या करने के पीछे एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि उनको लगातार ड्यूटी करने का दबाव बनाया जाता है। इसके साथ ही छुट्टी मांगने पर उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती है। जिससे उनका मानसिक संतुलन सही नहीं रहता और वो मौत को गले लगा रहे हैं। आए दिन इस तरह के मामले पुलिस विभाग के आलाधिकारियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर क्यों ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है जिससे उनका मानसिक संतुलन सही रहे और समय समय पर उन्हें छुट्टियां दी जाएं। इसके साथ ही 8 घंटे की ड्यूटी लगाई जाए।
आईपीएस ने खाया जहरीला पदार्थ
कानपुर में एसपी सिटी के पद पर तैनात आईपीएस सुरेन्द्र दास ने 5 सितंबर को जहरीला पदार्थ खा लिया झा जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। सुरेंद्र दास को आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। सुरेंद्र की शादी सर्वोदय नगर स्थित ईएसआई निदेशालय में तैनात मेडिकल ऑफिसर डॉo राघवेंद्र सिंह की बेटी डॉo रवीना से नौ अप्रैल 2017 को हुई थी। शादी का समारोह लखनऊ में हुआ था। डॉo रवीना का परिवार यहां निदेशालय कैंपस में ही रहता है।
सर्विस रिवॉल्वर से खुद को मारी गोली
यूपी एसटीएफ में एएसपी के पद पर तैनात राजेश साहनी ने 29 मई को अपनी सर्विस रिवाल्वर से अपने ऑफिस में ही खुद को गोली मार ली थी। पीपीएस अधिकारी राजेश साहनी गोमतीनगर में एटीएस मुख्यालय में तैनात थे। राजेश साहनी सुबह एटीएस मुख्यालय गोमतीनगर पहुंचे और गनर मनोज से पिस्टल मंगाई। पिस्टल देकर गनर जैसे ही बाहर निकला। इस बीच साहनी ने दाए ओर कनपटी पर सटा कर गोली मार ली। गोली की आवाज सुनकर बाहर खड़े कर्मचारी दौड़कर जब अंदर पहुंचे तो देखा खून से लथपथ राजेश साहनी अपनी कुर्सी पर पड़े हुए हैं। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गई थी।
मुरादाबाद में तैनात सिपाही ने लगाई फांसी
मुरादाबाद जिले के थाना नागफनी में तैनात सिपाही सोमराज दिवाकर ने 19 जून को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सोमराज बहेड़ी थाना क्षेत्र के रूपपुर गांव के रहने वाले थे। सोमराज दिवाकर की शादी दिसम्बर 2017 को बरेली की रहने वाली युवती से हुई थी। शादी के कुछ दिनों बाद सिपाही को पता चला कि उसकी पत्नी के दो लोगों से संबंध हैं। जिसको लेकर उसने कई बार अपनी पत्नी को समझाया लेकिन जब वो नहीं मानी तो सिपाही ने खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली मिला था सुसाइड नोट
आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें उसने पत्नी और दो अन्य लोगों को अपनी आत्महत्या का दोषी बताया था। सिपाही सोमराज ने आत्महत्या करने से पहले अपनी पत्नी के मोबाइल पर मैसेज डाला और फांसी पर झूल गया।
फैजाबाद के कुमारगंज थाने में तैनात सिपाही ने की आत्महत्या
हापुड़ जनपद के गढ़मुक्तेश्वर थाना क्षेत्र के नया गांव के रहने वाले कांस्टेबल नीरज कुमार पिछले छह महीने से राम जन्मभूमि परिसर की ड्यूटी में तैनात थे। 25 वर्षीय नीरज फैजाबाद जनपद के कुमारगंज थाने में तैनात थे। नीरज ने 2016 बैच में पुलिस की नौकरी जॉइन की थी। 8 दिसंबर को नीरज कुमार सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक की अपनी ड्यूटी खत्म करने के बाद वापस यलो जोन क्षेत्र स्थित एक आश्रम में पहुंचे और कुछ ही देर बाद उन्होंने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
थाना परिसर में महिला ने लगाई फांसी
उत्तर प्रदेश के बांदा में महिला सिपाही ने थाना परिसर में 4 सितंबर को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मिली जानकारी के मुताबिक महिला कांस्टेबल पिछले कई दिनों से बीमार चल रही थी। वहीं महिला के शरीर पर चोट के निशान मिलने से परिजन इसे हत्या बता रहे थे।करने से ज्यादा आसान मौत को गले लगाना दिखाई दे रहा है?
यूपी के कई ऐसे जिले हैं जहां से पिछले कुछ महीनों के अंदर कई ऐसी खबरें आईं जिनमें पुलिस कर्मियों ने फांसी लगाकर या फिर गोली मारकर आत्महत्या कर ली है।
लगातार ड्यूटी करने से बढ़ता है तनाव पुलिस कर्मियों के आत्महत्या करने के पीछे एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि उनको लगातार ड्यूटी करने का दबाव बनाया जाता है। इसके साथ ही छुट्टी मांगने पर उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती है। जिससे उनका मानसिक संतुलन सही नहीं रहता और वो मौत को गले लगा रहे हैं। आए दिन इस तरह के मामले पुलिस विभाग के आलाधिकारियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर क्यों ऐसा कुछ नहीं किया जा रहा है जिससे उनका मानसिक संतुलन सही रहे और समय समय पर उन्हें छुट्टियां दी जाएं। इसके साथ ही 8 घंटे की ड्यूटी लगाई जाए।
इन अधिकारियों की मौत ,बना हुई है 'रहस्य'...
मुकेश की तरह ही देश के कई ऐसे IAS-IPS अधिकारी रहे हैं, जो कभी रहस्यमय तरीके से काल के गाल में समा गए तो कुछ ने पारिवारिक कलहों की वजह से मौत को गले लगा लिया. आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ दिवंगत जांबाज अफसरों के बारे में:
बिहार के बक्सर जिले के डीएम मुकेश कुमार पांडे ने गाजियाबाद में आत्महत्या कर ली. उनका शव रेलवे ट्रैक पर क्षत-विक्षत हालत में मिला. खुदकुशी से पहले उन्होंने सुसाइड नोट लिखा था. बाकायदा उन्होंने खुदकुशी की वजह से जुड़ा एक वीडियो भी बनाया था. दरअसल मुकेश अपनी पत्नी और मां-बाप के बीच होने वाले लड़ाई-झगड़े से परेशान थे. मुकेश की तरह ही देश के कई ऐसे IAS-IPS अधिकारी रहे हैं, जो कभी रहस्यमय तरीके से काल के गाल में समा गए तो कुछ ने पारिवारिक कलहों की वजह से मौत को गले लगा लिया. आपको बताते हैं ऐसे ही कुछ दिवंगत जांबाज अफसरों के बारे में:
गोल्ड मेडलिस्ट IAS अफसर थे आशीष दहिया
मई 2017..ये इस साल का वो महीना था, जब देश ने एक नए काबिल आईएएस अफसर को खो दिया. हम बात कर रहे हैं, जम्मू-कश्मीर कैडर के आईएएस अफसर आशीष दहिया की. आशीष एक गोल्ड मेडलिस्ट थे. दिल्ली में आशीष की स्विमिंग पूल में डूबकर संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. बताया जाता है कि घटना के समय आशीष दिल्ली में अपने दोस्त अभिमन्यु से मिलने गए थे. जिसके बाद आशीष, अभिमन्यु और कुछ दोस्त पूल साइड पार्टी कर रहे थे. पुलिस के मुताबिक, उस समय आशीष एक महिला अफसर को बचाने के लिए स्विमिंग पूल में कूदे थे, जिससे उसी समय उनकी मौत हो गई. आईएएस आशीष दहिया की मौत आज भी एक रहस्य बना हुआ है.
नहीं सुलझी IAS अनुराग तिवारी की मौत की गुत्थी
17 मई, 2017 को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के एक अधिकारी की यूपी की राजधानी लखनऊ में सड़क किनारे बॉडी मिलने से प्रशासनिक अमला सकते में आ गया. पुलिस ने इसको 'रहस्यमय परिस्थितियों' में मौत कहा. मृतक आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी 2007 बैच के कर्नाटक कैडर के आईएएस थे. वह यूपी के बहराइच के रहने वाले थे. पुलिस के मुताबिक, उनकी बॉडी हजरतगंज इलाके में मीरा बाई गेस्ट हाउस के पास मिली थी. वह पिछले दो दिनों से यहां ठहरे थे. तकरीबन दस साल के करियर में अनुराग का 7-8 बार तबादला किया गया था. पीड़ित परिजनों की मानें तो अनुराग कर्नाटक में हुए एक बड़े घोटाले को उजागर करने वाले थे. इसी सिलसिले में उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस केस की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. बहरहाल सीबीआई अनुराग तिवारी की मौत के रहस्य को सुलझाने में लगी है ।
एक और आईएएस की मौत की गवाह बनी राजधानी लखनऊ
यूपी की राजधानी लखनऊ साल 2016 में एक और दिलेर आईएएस अधिकारी की मौत की गवाह बनी थी. आईएएस अधिकारी संजीव दुबे ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या की थी. दुबे उस समय प्रमुख सचिव होमगार्ड के पद पर तैनात थे. दुबे का शव उनके कमरे में पंखे से लटका मिला. आत्महत्या की सूचना उनके नौकर ने पुलिस को दी थी. सूत्रों के मुताबिक, दुबे पिछले कई वर्षों से बीमार थे, जिसके कारण वह अवसाद का शिकार हो गए थे. बेदाग छवि के संजीव दुबे की गिनती सूबे के ईमानदार अफसरों में की जाती थी.
IAS डी.के. रवि ने फांसी लगाकर की थी खुदकुशी
16 मार्च, 2015 को कर्नाटक में एक आईएएस अफसर ने भी अपने सरकारी आवास पर फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी. उस अफसर का नाम था डी.के. रवि. रवि कर्नाटक में वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर तैनात थे. उनकी पत्नी कुसुमा ने सबसे पहले उनके शव को पंखे से लटका हुआ देखा था. मामले की शुरूआती जांच के बाद पुलिस ने भी रवि की मौत को खुदकुशी बताया था, लेकिन परिजनों ने उनकी मौत को एक साजिश बताते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी. डी.के. रवि अपने कार्यकाल में बेहद ईमानदार छवि के अफसर रहे हैं.
खुद की सर्विस रिवॉल्वर से हुई IPS शशि की मौत
तमिलनाडु में आईपीएस अफसर शशि कुमार की भी संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. दरअसल शशि की खुद उनकी ही सर्विस रिवॉल्वर से गोली चलने की वजह से मौत हुई थी. गोली उनके सिर में लगी थी. शशि के नौकर के बयान के मुताबिक, घटना के समय शशि अपनी सर्विस रिवॉल्वर साफ कर रहे थे. अचानक रिवॉल्वर से गोली चली, जो सीधा उनके सिर में लगी. शशि की मौके पर ही मौत हो गई. शशि आंध्र प्रदेश के एक आदिवासी इलाके में तैनात थे. पुलिस इसे आत्महत्या से जोड़कर भी देख रही थी. शशि कुमार 2012 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी थे ।