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देवरिया में भी फर्जी प्रमाण पत्रों पर नौकरी करने की शिकायत पर 11 शिक्षकों की हो रही है जांच

फर्जी प्रमाण पत्रों पर देवरिया में भी नौकरी कर रहे 11 शिक्षक।
देवरिया 25 जून 2018। मथुरा की तर्ज पर जिले में भी तमाम शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर वर्षों से नौकरी कर रहे हैं। 11 शिक्षकों के खिलाफ शासन के निर्देश पर जांच भी चल रही है, मगर चार वर्षों से मामला जांच में ही अटका हुआ है। जांच अधिकारी बार-बार शैक्षणिक दस्तावेजों के सत्यापन के लिए इन शिक्षकों को नोटिस जारी करते हैं, बावजूद किसी शिक्षक ने अब तक अपने प्रमाण पत्रों की मूल प्रति उपलब्ध नहीं कराई है। विभाग भी इनकी नौकरी में फर्जीवाड़े की आशंका से इन्कार नहीं कर रहा, फिर भी ऊंची राजनीतिक पहुंच के चलते इन पर कार्रवाई से हिचक रहा है।
वर्ष 2010 की शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है। दूसरों के प्रमाण पत्र या जाली दस्तावेज तैयार कर कई अभ्यर्थियों ने मेरिट सूची में जगह बनाते हुए शिक्षक की नौकरी पा ली। वर्ष 2014 में ऐसे 11 शिक्षकों की शिकायत राज्यपाल से की गई थी। शासन ने मामले में एडी बेसिक को जांच अधिकारी नामित करते हुए सभी शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन के निर्देश दिए थे। एडी बेसिक ने कई बार इन शिक्षकों को प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए नोटिस जारी किया, मगर बार-बार निर्देशों के बाद भी यह शिक्षक उपस्थित ही नहीं हुए। अपनी योग्यता साबित करने की बजाए वह जांच अधिकारी पर ही दबाव बनवाने लगे। आजिज होकर जांच अधिकारी तत्कालीन एडी बेसिक डॉ. विनोद कुमार शर्मा ने बेसिक शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए शासन स्तर से पैनल गठित कर जांच कराने की सिफारिश की थी। उन्होंने पत्र में स्पष्ट कहा था कि बार-बार सत्यापन से कतराना शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के संदिग्ध होने की पुष्टि करता है। वर्ष 2016 में तत्कालीन बीएसए मनोज कुमार मिश्र ने जांच में असहयोग के चलते इन शिक्षकों को सेवा समाप्ति से पूर्व अंतिम सुनवाई का नोटिस भी जारी किया था मगर इसके बाद से ही मामला ठंडे बस्ते में जा चुका है।

एक ही जाति के हैं सभी संदिग्ध शिक्षक 

पूरे प्रकरण में सबसे अहम बात यह है कि जिन 11 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों पर संदेह जाहिर किया गया है, वह सभी एक जाति के हैं। उनकी राजनीतिक पकड़ भी ऊंची है। तत्कालीन एडी बेसिक ने भी अपने पत्र में इसे स्पष्ट किया था। बसपा सरकार में नियुक्त शिक्षकों की सपा सरकार में पौ बारह रही और फिर सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार में अपनी जाति से जुड़े नेताओं के बीच पैठ बनाकर जांच को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश में जुटे हुए हैं।



11 शिक्षकों की जांच अभी लंबित है। एडी बेसिक के स्तर पर यह जांच की जा रही है। इनके प्रमाण पत्रों के पुन:सत्यापन के लिए पत्र लिखा गया है। जल्द ही सत्यापन पूरा कराकर कार्रवाई की जाएगी। 
उपेंद्र कुमार, बीएसए, देवरिया


बीएसए दफ्तर पहुंचे डीएम तो जारी हुए शिक्षकों के रिलिविंग आर्डर
देवरिया 25 जून 2018। बेसिक शिक्षा कार्यालय की मनमानी फिर सामने आई है। गैर जनपदों में ट्रांसफर हुए शिक्षकों को कार्यमुक्ति आदेश के लिए कई दिनों से चल रही टालमटोल पर नाराज डीएम शनिवार की देर शाम बीएसए कार्यालय पहुंच गए। कर्मचारियों के रवैए पर कड़ी नाराजगी जताई और तत्काल कार्यमुक्ति आदेश जारी करने के निर्देश दिए। डीएम की सख्ती के बाद देर शाम करीब 70 शिक्षकों के आदेश जारी करने की कवायद शुरू हुई।

जिले के 16 ब्लॉकों में करीब ढाई सौ शिक्षकों का गैर जिलों में ट्रांसफर हुआ है। शासन की सख्त हिदायत है कि यह सभी शिक्षक 28 जून तक नए तैनाती स्थल पर पहुंचकर कार्यभार ग्रहण कर लें। ऐसा न करने पर लापरवाही मानते हुए उन पर कार्रवाई भी हो सकती है। शिक्षक कई दिनों से कार्यमुक्ति आदेश के लिए बीआरसी से लेकर बीएसए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें शनिवार को आदेश मिलने की उम्मीद थी। इस आस में वह दिन भर बीएसए कार्यालय पर जमे रहे, मगर डिस्पैच रजिस्टर सील होने की बात कह लौटा दिया गया। विभागीय जिम्मेदारों का कहना था कि पिछले दिनों जांच के दौरान एडी बेसिक ने कार्यालय का डिस्पैच रजिस्टर सील कर दिया है।
लिहाजा पत्र डिस्पैच नहीं किया जा सकते। कई शिक्षकों ने इसकी शिकायत डीएम से की। डीएम के निर्देश के बावजूद कार्यमुक्ति आदेश नहीं जारी हो सके। एडी बेसिक जगदीश सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने शुक्रवार को ही डिस्पैच के बारे में निर्देश देने की बात कही। बताया कि 30 मई को रजिस्टर सील किया गया था। इसके बाद भी कार्यालय से कई पत्र डिस्पैच हुए हैं। ऐसे में यह कहना गलत है कि हमने डिस्पैच से रोका है। शुक्रवार को ही बीएसए से बात हुई थी। उन्हें पत्र डिस्पैच करने को कह दिया गया था। उधर, देर शाम जब मामला डीएम सुजीत कुमार के संज्ञान में आया तो वह बीएसए कार्यालय धमक पड़े। पूछताछ की तो पता चला कि 70 शिक्षकों के आदेश तैयार हैं, मगर डिस्पैच नहीं हो पा रहे। डीएम ने तत्काल सभी पत्रों को डिस्पैच करने की हिदायत दी।