दलाल मात्र एक शब्द नही, इसका प्रयोग करके किया गया है बलिया की गौरवशाली विरासत पर हमला :सूर्यप्रकाश सिंह यादव
बलिया के अपमान पर छलका दर्द, बोले -जो लोग अपने स्वार्थ में जाति बाँट रहे थे, अब वही लोग बलिया को दलाल कहने लगे
डॉ सुनील कुमार ओझा की रिपोर्ट
बलिया।। बेलहरी ग्रामसभा निवासी युवा समाजसेवी एवं शिक्षक सूर्यप्रकाश सिंह यादव ने हालिया राजनीतिक बयानबाज़ी मे जनपद को मंत्री संजय निषाद द्वारा अपमानित करने पर कहा कि अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि जो लोग अपने निजी स्वार्थों के लिए न केवल समाज को जातियों में बाँट रहे हैं बल्कि बलिया जैसे वीरभूमि को भी “दलाल” कहने की हठधर्मिता पर उतर आए हैं। कहा कि दलाल,यह केवल एक शब्द नहीं, बल्कि बलिया की गौरवशाली विरासत पर सीधा प्रहार है।
सूर्यप्रकाश यादव ने अपनी वार्ता में कहा कि बलिया ने 1857 और 1942 दोनों ही आंदोलनों में अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर अंग्रेजों की हुकूमत को चुनौती दी।“जिस बलिया ने 1942 में स्वतंत्र सरकार स्थापित कर अंग्रेजों की नींद उड़ाई, उसे आज दलाल कहना इतिहास और बलिदान दोनों का अपमान है ”।
उन्होंने राजनीतिक व्यक्तियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जब नेताओं का लक्ष्य सिर्फ वोट और सत्ता रह जाए तो उन्हें न समाज की गरिमा दिखती है, न इतिहास की ताकत।
“पहले जाति—अब जिलों का अपमान… आखिर कब तक हम चुप रहेंगे?”
श्री यादव ने कहा कि आज किसी भी समाज को सबसे ज़्यादा खतरा बाहरी दुश्मनों से नहीं, बल्कि ऐसे लोगों से है जो समाज को तोड़कर अपना लाभ साधना चाहते हैं।
सूर्यप्रकाश यादव ने बलिया के लोगों से अपील की कि दलाली के कलंक का जवाब हिंसा या आक्रोश से नहीं, बल्कि तथ्यों, इतिहास और एकता से देना चाहिए। कहा कि “बलिया बागियों की भूमि है, यहाँ दलाल पैदा नहीं होते,यहाँ तो ऐसे लोग जन्म लेते हैं जो सच के लिए सिर कटवा देते हैं " ।
संजय निषाद जैसे नेताओं को चेताते हुए कहा कि बलिया की चुप्पी को लोग कमजोरी न समझें।“हम मौन हैं, पर अपमान को भूले नहीं हैं। सच बोलने का साहस भी समय आने पर दिखेगा "।
अंत में उन्होंने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि समाज को बाँटने वाली राजनीति का अंत तभी होगा जब लोग एकजुट होकर अपने जिले, अपनी पहचान और अपने इतिहास की रक्षा करेंगे।


