अयोध्या में दीपोत्सव-2025 : धर्म, संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम
अयोध्या।। अयोध्या की पावन धरती पर दीपोत्सव-2025 का भव्य आयोजन दिव्यता, श्रद्धा और संस्कृति का अद्भुत संगम बन गया। दीपावली के अवसर पर रामकथा पार्क में आयोजित इस आयोजन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान श्रीराम के स्वरूप का राज्याभिषेक किया, श्रीराम दरबार की आरती की तथा साधु-संतों का सम्मान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या सप्तपुरियों में प्रथम है, जहाँ धर्म स्वयं मानव रूप में अवतरित हुआ। अयोध्या के हर कण में मर्यादा, हर जीव में दया और हर हृदय में भगवान श्रीराम का वास है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में पहला दीपोत्सव आयोजित करने का निर्णय इसलिए लिया गया था ताकि दुनिया को दीपावली के दीप प्रज्ज्वलन के वास्तविक उद्देश्य का बोध हो सके। हजारों वर्ष पूर्व जब विश्व अंधकार में डूबा था, तब अयोध्या ने अपने आराध्य श्रीराम के लंका विजय के उपरांत अभिनंदन के लिए दीप प्रज्ज्वलित किए थे, जो सनातन धर्म का महापर्व बन गया। उसी परंपरा को जीवंत रखने के लिए दीपोत्सव अभियान शुरू किया गया।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में पहला दीपोत्सव आयोजित हुआ था, तब पर्याप्त मात्रा में दीप उपलब्ध नहीं थे। उस समय 50 हजार दीप ही अयोध्या में मिले, शेष पूरे प्रदेश से एकत्र किए गए थे और कुल 1 लाख 71 हजार दीप जलाए गए। आज लाखों दीप अयोध्या धाम में प्रज्ज्वलित हो रहे हैं, जो हर भारतवासी के संकल्प और 500 वर्षों के अंधकार पर आस्था की विजय के प्रतीक हैं। इन दीपों में पूर्वजों के संघर्ष की ज्योति जल रही है।
उन्होंने कहा कि दीपोत्सव के 9वें संस्करण के आयोजन के समय भगवान श्रीराम अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हैं। हर दीप यह स्मरण कराता है कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। यही सत्य की नियति है, जिसके लिए सनातन धर्मावलंबियों ने पांच शताब्दियों तक संघर्ष किया। इसी संघर्ष का परिणाम है कि आज अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्मित हुआ है।
उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने भारतभूमि को अपवित्र करने के षड्यंत्र किए, आस्था के प्रतीकों को तोड़ा, लेकिन हमारी श्रद्धा कभी नहीं डिगी। आजादी के समय भारतवासियों की कामना थी कि राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ सांस्कृतिक आजादी भी प्राप्त हो। किंतु वर्ष 1949 में रामलला की मूर्ति हटाने का आदेश जारी हुआ, 1950 से 1986 तक मंदिर में ताले लगे रहे। आस्था को कैद करने का प्रयास हुआ, परंतु सनातन आस्था न झुकी, न रुकी, न थकी। सत्य ने न्याय का मार्ग प्रशस्त किया और धर्म की स्थापना का पथ प्रशस्त हुआ।
उन्होंने कहा कि आज जब श्रीरामलला अपने दिव्य मंदिर में विराजमान हैं, तब पूर्वजों का संकल्प साकार हुआ। नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अयोध्या आकर श्रीरामलला के दर्शन किए और मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। 22 जनवरी 2024 को उन्होंने श्रीरामलला को विराजमान कर सनातन आस्था को सम्मान देने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी श्रीराम को मिथक और काल्पनिक बताया गया था, अयोध्या में रामभक्तों पर गोलियां चली थीं, श्रीराम मंदिर निर्माण को रोकने के प्रयास हुए थे। लेकिन आज वहीं दीप जल रहे हैं, जहाँ कभी अंधकार था। यह पूज्य संतों के आशीर्वाद और करोड़ों रामभक्तों के संकल्प का परिणाम है कि अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण हुआ है। यह दीपोत्सव इस बात का प्रमाण है कि आस्था को कोई राजनीति कैद नहीं कर सकती।
उन्होंने कहा कि आज अयोध्या आस्था के साथ-साथ पर्यटन का नया केंद्र बन गई है। जहाँ कभी कुछ हजार श्रद्धालु आते थे, वहीं अब हर वर्ष छह से दस करोड़ श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। यह नई अयोध्या है, जो प्रधानमंत्री के संकल्पों के अनुरूप वैष्विक आध्यात्मिक राजधानी के रूप में उभर रही है। सुगम्य, सुरम्य, सक्षम, स्वच्छ-आयुष्मान, सांस्कृतिक-आध्यात्मिक और भावनात्मक अयोध्या के विकास के लिए अनेक कार्य हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रामराज्य की अवधारणा “नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना” की थी, जो आज नए भारत के नए उत्तर प्रदेश में दिख रही है। गरीबों को आवास, शौचालय, उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस, पाँच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा, रोजगार और किसानों को सिंचाई व बाजार की सुविधा मिल रही है। प्रधानमंत्री ने स्वदेशी अपनाने और हस्तशिल्पियों-कारीगरों के सम्मान का आह्वान किया है, जो आत्मनिर्भर और विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने कहा कि “दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहिं काहुहि व्यापा” की स्थिति आज उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रही है। राज्य में अपराध के लिए कोई स्थान नहीं है। 2017 से पहले जहाँ त्योहारों के अवसर पर अराजकता फैलाने की कोशिश होती थी, वहीं आज पूरा प्रदेश उत्साह और श्रद्धा से उत्सव मना रहा है।
उन्होंने कहा कि आज का भारत ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के रूप में स्थापित हुआ है। भारत विकास भी कर रहा है और अपनी विरासत का सम्मान भी। यही विरासत और विकास का संगम अयोध्या के दीपोत्सव में दिखाई दे रहा है। वर्ष 2017 से 2025 की नौ वर्ष की यात्रा अद्भुत रही। जहाँ पहले 50 हजार दीप भी उपलब्ध नहीं थे, आज केवल अयोध्या में 26 लाख से अधिक दीप प्रज्ज्वलित हुए हैं। पूरे प्रदेश में 1 करोड़ 51 लाख से अधिक दीप जलाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम के आदर्शों को हमने अपने जीवन का मंत्र बनाया है। बिना भेदभाव समाज के हर वर्ग को योजनाओं का लाभ पहुँचाया गया है। बेटियों, व्यापारियों और नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। राज्य आज गुण्डाराज, माफियाराज और दंगामुक्त है। एनसीआरबी के अनुसार उत्तर प्रदेश देश के न्यूनतम अपराध वाले राज्यों में से एक है। अब प्रदेश में कानून का राज है, गरीबों का सम्मान है, किसान खुशहाल हैं, महिलाएँ सुरक्षित हैं, युवा सशक्त हैं और हर हृदय में नया उत्साह है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में जहाँ कभी अंधकार था, आज वहाँ केवल प्रकाश है। पहले यहाँ न सड़के थीं, न जनसुविधाएँ, लेकिन आज वही अयोध्या जगमगा रही है और अपनी नई पहचान से विश्व को आकर्षित कर रही है। अयोध्या का दीपोत्सव देखने के लिए पूरी दुनिया उत्सुक है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी अयोध्या आई थीं। वृहस्पति कुंड स्थल पर दक्षिण भारत के तीन संतों — संत त्यागराजा, संत पुरंदरदास और संत अरुणाचल कवि — की प्रतिमाओं का अनावरण किया गया। लता मंगेशकर स्मारक, चारों द्वारों के नाम जगद्गुरु शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानंदाचार्य और मध्वाचार्य के नाम पर रखे गए हैं। निषादराज, माता अहिल्याबाई, माता शबरी, जटायु और गिलहरी के योगदान को भी अयोध्या में मूर्त रूप दिया गया है।
उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के नाम पर अयोध्या अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण हुआ है। महर्षि वाल्मीकि, संत तुलसीदास और महर्षि विश्वामित्र के मंदिरों से अयोध्या की नई पहचान बनी है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या और उत्तर प्रदेश के नागरिकों की यह जिम्मेदारी है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सुरक्षा, सुशासन, विरासत और विकास का जो वातावरण बना है, वह निरंतर आगे बढ़े। दीपोत्सव के बाद प्रत्येक मठ-मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित हों — यही दीप हमारे संकल्पों और मर्यादा के प्रतीक हैं। हमें ‘नए भारत के नए उत्तर प्रदेश’ को ‘विकसित भारत के विकसित उत्तर प्रदेश’ से जोड़ना होगा।
इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीराम के आदर्शों, जीवन दर्शन और विभिन्न सामाजिक विषयों से जुड़ी झांकियों सहित शोभा यात्रा का अवलोकन किया। हेलीकॉप्टर से प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के स्वरूपों का अवतरण हुआ, जिनका स्वागत पर्यटन, कृषि, एमएसएमई, खाद्य एवं रसद विभाग के मंत्रियों और विशिष्ट जनों ने किया। भरत मिलाप का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ, जिसमें मुख्यमंत्री, मंत्रिगण और साधु-संतों ने पूजन, वंदन और आरती की।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अयोध्या को भव्य और दिव्य स्वरूप देने का संकल्प पूरा करने की दिशा में कार्य प्रारंभ हुआ। लगभग 500 वर्षों के इंतजार के बाद अयोध्या में भगवान श्रीरामलला का दिव्य मंदिर साकार हुआ है।
कार्यक्रम में राम विलास वेदान्ती, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य, जगद्गुरु श्री रामदिनेशाचार्य, जगद्गुरु श्रीधराचार्य और जगद्गुरु वासुदेवाचार्य श्री विद्याभास्कर महाराज ने भी अपने उद्बोधन दिए।
दीपोत्सव-2025 के अवसर पर प्रातः अयोध्या में भगवान श्रीराम के आदर्शों और सामाजिक विषयों से जुड़ी 15 झांकियों सहित भव्य शोभा यात्रा का आयोजन हुआ, जो साकेत महाविद्यालय से प्रारंभ होकर रामकथा पार्क तक पहुँची। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘गोवंश सुरक्षा’, ‘मिशन शक्ति’, ‘ओडीओपी’, ‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘जल जीवन मिशन’, ‘विकसित भारत’, ‘आयुष्मान भारत’, ‘रक्षा उद्योग कॉरिडोर’, ‘प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री आवास योजना’ जैसी झांकियों ने दर्शकों को प्रभावित किया।
कार्यक्रम में अयोध्या के महापौर गिरीषपति त्रिपाठी, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, महासचिव चंपत राय, साधु-संतगण, वरिष्ठ अधिकारीगण और भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पूरी अयोध्या दीपों की रौशनी में नहाई, सरयू तट से राम की पैड़ी तक दीपों की पंक्तियाँ केवल प्रकाश नहीं, बल्कि आस्था, एकता और गर्व का प्रतीक बन गईं। पूरा विश्व एक स्वर में गूँज उठा —“जय जय सीताराम!”