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विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति भारत :140 करोड़ मे से 80 करोड़ 5-10 किलो मुफ्त के चावल पर करते है जीवन यापन, यूपी सरकार कर रही है गुंडागर्दी :स्वामी प्रसाद मौर्या

 



बलिया।।  बेल्थरा रोड में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर कड़ा बयान देते हुए सरकार की नीतियों पर जबरदस्त हमला किया है । प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र सरकार पर हमलावर श्री मौर्या ने कहा कि दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद जब देश के 80 करोड़ आबादी 5-10 किलो चावल पर निर्भर है, तो समझ सकते है वास्तविकता और आंकड़ों मे कितना अंतर है। श्री मौर्य ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना के साथ साथ यूपी की योगी सरकार की नीतियों की भी तीखी आलोचना की और योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाइयों की निंदा की।


140 करोड़ मे से 80 करोड़ 5-10 किलो चावल पर निर्भर, यह है गरीबी की भयावह तस्वीर


पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने बयान में देश की समग्र गरीबी पर जोर देते हुए कहा कि 140 करोड़ की आबादी में 80 करोड़ लोग ऐसी स्थिति में हैं जिनका जीवनयापन 5-10 किलोग्राम चावल पर निर्भर है, इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश की अधिसंख्य आबादी कितनी बदहाली और लाचार जिंदगी जी रही है। मौर्य का तर्क था कि आंकड़े और असलियत अलग हैं, और रोजमर्रा की जिंदगियों की कठोर सच्चाई पर सरकार की नजर नहीं जाती है।



  सरकार की नीतियों पर तीखा आरोप, कहा सरकार कर रही है गुंडागर्दी


प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मौर्य ने सरकारी कदमों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार का मूल काम कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जनता की भलाई सुनिश्चित करना है, न कि "गुंडागर्दी” और बुलडोजर से आम लोगों के घरों को गिराना। मौर्य के अनुसार, बुलडोजर चला कर घर उजाड़ना और गरीबों को बेघर करना किसी भी लोकतांत्रिक शासन की पहचान नहीं हो सकती।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने बुलडोजर कार्रवाई को सरकारी गुंडागर्दी करार दिया और कहा कि सरकार को अपनी प्राथमिकता पुनः परिभाषित करनी चाहिए। उनके शब्दों में, "सरकार का काम सरकारी गुंडागर्दी के रास्ते पर चल कर लोगों के घर गिराना, गरीबों को उजाड़ना या राजनीतिक दुर्भावना से किसी को सलाखों के पीछे भेजना नहीं है।" यह हमला सीधे तौर पर प्रशासन के इस तरीक़े पर आधारित था, जो समाज के निचले तबके पर सीधा प्रभाव डालता है।


मौर्य के वक्तव्य ने एक बार फिर देश में फैली सामाजिक-आर्थिक विषमताओं और सरकारी नीतियों के प्रभाव पर बहस छेड़ दी है। उनके आरोपों ने यह सवाल उठाया है कि क्या आर्थिक आंकड़ों के पीछे छिपी वास्तविकताओं पर सरकार और नीति निर्माताओं का ध्यान पर्याप्त है या नहीं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौर्य द्वारा उठाए गए ये बिंदु स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर चर्चा का विषय बन सकते हैं।