सबसे बड़ा सवाल :आखिर कब होंगी जिला क्रीड़ा समिति बलिया की आधिकारिक बैठक, कब होगा पिछले सत्र के आय व्यय का आंकड़ा पेश
कब चुने गये सचिव व कोषाध्यक्ष, कितने सदस्यों ने किया था समर्थन?
खेल शिक्षकों के सवाल पूंछने पर उनके प्रबंधकों पर क्यों बनाया जा रहा है दबाव?
ऐसे शिक्षकों के विद्यालयों पर खुद डीआईओएस क्यों करने जा रहे है जांच?
मधुसूदन सिंह
बलिया।। जिला क्रीड़ा समिति के द्वारा जिला स्तर पर करायी जा रही स्कूली गेम प्रतियोगिता मे कैसे खेल हो रहा है, इसको बलिया एक्सप्रेस लगातार उजागर कर रहा है और आगे भी करता रहेगा। सब से बड़ा सवाल तो जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के ऊँची ऊँची कुर्सियों पर बैठे अधिकारियों को बलिया एक्सप्रेस लगातार संज्ञानित कर रहा है। लगातार घोटालों और अनियमितता की खबरें प्रकाशित होने के बाद भी इन अधिकारियों की चुप्पी क्यों? मीडिया घरानों के विज्ञापन दबाव के चलते मीडिया कर्मी चुप है लेकिन आप लोग क्यों चुप है? आप लोगों को तो मोटी तनख्वाह मिलती है? यही नहीं माध्यमिक के ग्रुप मे कुछ खेल शिक्षकों ने बलिया एक्सप्रेस द्वारा उठाई गयी बातों के समर्थन मे सवाल पूंछ दिया तो उनके विद्यालय पर सीधे साहब जांच करने पहुंच गये और प्रबंधकों को हड़का रहे है। विधान परिषद सदस्य श्री रविशंकर सिंह पप्पू जी तो साहब के महामाहिम राजयपाल द्वारा दण्डित कर मूल पद के मूल वेतनमान पर करने के आदेश के वावजूद जिला विद्यालय निरीक्षक बने रहने के खिलाफ प्रमुख सचिव विधान परिषद को पत्र भेज चुके है। अब यह अलग बात है कि भ्रष्टाचार के आरोप मे दण्डित होने के बाद साहब ने माननीय उच्च न्यायालय से ऑर्डर पर स्टे ले रखा है।यही नहीं साहब के खिलाफ धोखाधड़ी आदि संगीन आरोपों मे कार्यवाही करने के लिये अनुमति प्रदान करने हेतु पुलिस विभाग द्वारा शासन को दो दो अनुरोध पत्र भेजा गया है।
वर्तमान सचिव दिनेश प्रसाद के पूर्व सचिव हरेंद्र सिंह के जमाने मे जब आयोजक विद्यालयों को 5 हजार नगद आयोजन से पूर्व मिल जाता था, तो पिछले साल से यह बन्द क्यों हो गया है।बलिया एक्सप्रेस जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के उच्चधिकारियों से यह सवाल कर रहा है -----
1- क्या पदेन अध्यक्ष को बिना जनपद के प्रधानाचार्यो और खेल शिक्षकों की आम सभा बुलाये समिति के दो महत्वपूर्ण पद सचिव व कोषाध्यक्ष को चुनने का अधिकार है? क्या दोनों महत्वपूर्ण पद एक ही विद्यालय को देना कुछ इशारा नहीं कर रहा है?
2- क्या नई समिति के कार्यभार ग्रहण करने से पहले पिछले कार्यकाल का आय व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत नहीं होना चाहिये?
3- क्या बिना बैठक के ही जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का कैलेंडर जारी किया जा सकता है?
4- क्या किस विद्यालय पर कौन सा खेल होगा, इसकी सहमति सम्बंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य से लिये बिना घोषित करना, मनमानी नहीं है?
5-क्या जिस खेल को विद्यालयों मे कराया ही नहीं जाता है, उस खेल का चयन ट्रायल कराना उचित है?
अब सवाल यह उठ रहा है कि उपरोक्त प्रकरण की जांच कब होंगी। क्या बलिया के नौनिहालों का खेल से मोहभंग हो जायेगा, तब जागेगा बलिया का जिला प्रशासन?। बलिया मुख्यालय पर स्थित कुंवर सिंह इंटर कॉलेज मे बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी है, यहां तक की स्टेडियम मे ही इसके खिलाड़ी है, लेकिन एक भी बच्चा क्यों नहीं आया, किसी ने सोचा है क्या?बलिया के किसी भी माध्यमिक विद्यालय मे तिरंदाजी और शूटिंग और तैरकी की ट्रेनिंग नहीं होती है लेकिन इसके लिये भी ट्रायल कराने के लिये तिथि घोषित कर दी जाती है।आयोजक वह विद्यालय होता है, जहां इन खेलों की कोई भी सुविधा नहीं है। एक खेल भरोत्तोलन भी है, इसको भी ऐसे विद्यालय मे आयोजन होना है, जहां इसके लिये कोई भी खेल सामग्री नहीं है। ऐसे मे क्या खिलाड़ियों से बोरा उठवा कर चयन किया जायेगा? यह पूरा का पूरा आयोजन बिना किसी खेल की उन्नति के लक्ष्य के, मात्र सरकारी धन का बंदरबाँट करने के लिये लगता है, हो रहा है।