चौबीस घंटे तक धरने का चलना, शहर कोतवाल पर पड़ा भारी, हुए लाइन हाजिर
बलिया।। सत्ताधारी दल के कार्यकर्त्ता होकर जनपद के उच्चधिकारियों को चाहे जितना भला बुरा कह लीजिये, जिला प्रशासन आप पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है। लेकिन अपने उच्चधिकारियों के खिलाफ अभद्र टिप्पड्डी सुनने के बाद अगर पुलिस अधिकारी कुछ कह देता है तो उसकी शामत आनी तय है। यही हाल शहर कोतवाल योगेंद्र बहादुर सिंह का हुआ है। एबीवीपी के कार्यकर्ताओ द्वारा जब जिलाधिकारी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया तो यह कहना कि शांत हो जाइये नहीं तो घसीट कर ले जाऊंगा,कहना शहर कोतवाल को भारी पड़ गया और पुलिस अधीक्षक ने लाइन हाजिर कर दिया।
प्रशासन की कमजोरी आयी सामने, सत्ताधारी की उदंडता क्षम्य
एबीवीपी के कार्यकर्ताओ का धरना जिलाधिकारी व शहर कोतवाल को हटाने के लिये चल रहा था। मौके पर नगर मजिस्ट्रेट, सीओ सिटी भी मौजूद रहे थे, फिर भी धरना खत्म नहीं हो पाया। जिलाधिकारी के खिलाफ तो कार्यवाही हो नहीं सकती थी, अब कोतवाल बचे, ऐसे मे कोतवाल का नपना तय था। जबकि कोतवाल से ऊपर के अधिकारी वही मौजूद थे, शांति व्यवस्था बनाने के लिये तैनात नगर मजिस्ट्रेट भी मौजूद थे। लेकिन कार्यवाही सिर्फ कोतवाल पर ही क्यों?
कोतवाल को लाइन हाजिर करने से जिला प्रशासन की कमजोरी साफ झलक रही है। कोतवाल का सिर्फ यही दोष रहा कि वो अपने उच्चाधिकारियो के खिलाफ अभद्र भाषा सुनने के बाद उसको रोकने का प्रयास किये। अगर अन्य अधिकारियों की तरह वो भी चुप रहते तो आज लाइन हाजिर नहीं होते। यह दर्शाता है कि सत्ताधारी दल के कार्यकर्त्ता चाहे जितनी उदंडता करें, बलिया जिला प्रशासन कुछ नहीं करेगा।