बीजेपी द्वारा लगायी गयी आपातकाल की 50 वी बरसी की पोस्टर प्रदर्शिनी से पूर्व पीएम चंद्रशेखर गायब, प्रभारी मंत्री दयालु मिश्र ने किया शुभारम्भ, नीरज शेखर भी थे मौजूद
मधुसूदन सिंह
बलिया।। 25 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गाँधी की नेतृत्व वाली कांग्रेस को आपातकाल लगाने की 50 वी वर्षगांठ पर बीजेपी द्वारा पूरे देश मे आपातकाल की ज्यादतियों को वर्तमान पीढ़ी को बताने के लिये पोस्टर प्रदर्शिनियां लगायी गयी । बलिया मे अग्रवाल धर्मशाला मे लगी इस प्रदर्शिनी का शुभारम्भ प्रभारी मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने किया। इस मौके पर राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर,पूर्व सांसद भरत सिंह, पूर्व मंत्री राजधारी सिंह, जिलाध्यक्ष संजय मिश्र, सहकारी बैंक के चेयरमैन विनोद शंकर दूबे आदि गणमान्य लोग भी मौजूद थे। यह प्रदर्शिनी अब चर्चा का विषय बन गयी है। क्योंकि बीजेपी की इस प्रदर्शिनी मे बलिया की शान, आपातकाल के खिलाफत आंदोलन का अगली कतार मे रहकर नेतृत्व देने वाले, पूर्व पीएम चंद्रशेखर जी का न कही नाम है, न ही किसी पोस्टर मे फोटो है। इस प्रदर्शिनी मे पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण अडवाणी को इस रूप मे प्रस्तुत किया गया है, जैसे ये लोग ही पूरा विरोध आंदोलन चलाया था। आपातकाल के पोस्टर से स्व चंद्रशेखर जी का गायब होना, क्या कहता है? आज लोगों मे यही चर्चा है। चंद्रशेखर जी के सुपुत्र नीरज शेखर जी को अपने पिता की तस्वीर व नाम न दिखना कचोटा कि नहीं यह तो वही जानते होंगे। लेकिन बलिया के लोग बीजेपी की इस प्रदर्शिनी से चंद्रशेखर जी के गायब होने से नाराज जरूर है।
आपातकाल मे अपनों पर अपनों ने स्वार्थ के लिये किया बेतहाशा जुल्म : दयाशंकर मिश्रा दयालु
बलिया। उत्तर प्रदेश सरकार के स्वतंत्र प्रभार मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने आपातकाल की काले अध्याय का 50वीं वर्षगांठ पर गोष्ठी को संबोधित किया। अग्रवाल धर्मशाला में आयोजित गोष्ठी में कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए।
कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल के दौरान कई बेगुनाह लोगों को गोली मार दी गई। नागरिकों को जेल में डाला गया। लोगों की स्वतंत्रता छीन ली गई। इस घटना को याद करते हुए भाजपा पूरे देश में जन जागरण अभियान चला रही है।
उन्होंने कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी सिर्फ अपने परिवार के हित में काम करती है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस शासन में जब परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री नहीं था, तब भी सुपर पीएम के नाम पर परिवार का नियंत्रण रहा। वास्तविक प्रधानमंत्री को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया गया।कहा कि उस समय कि स्थिति काफी भयावह थी।जो भी इंदिरा गांधी या कांग्रेस के खिलाफ बोलता था उसे जेल में डाल दिया जाता था। कहा कि आज भाजपा के शासन में मीडिया और नागरिक स्वतंत्र हैं। कोई किसी का गुलाम नहीं है। उन्होंने कहा कि वे आपातकाल की याद को जन-जन तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र पर काला धब्बा लगाते हुए पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के बाद नागरिकों के मूल अधिकार स्थगित हो गया। 25 जून 1975 को पूरे भारतवर्ष में इमरजेंसी लगा दिया गया। मुख्य वक्ता पूर्व सांसद भरत सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आधिकारिक तौर पर जारी किया गया आपातकाल 25 जून 1975 से प्रभावी था और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ। इस आदेश ने प्रधानमंत्री को शासन करने का अधिकार दिया , जिससे चुनाव रद्द किए जा सकें और नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित किया जा सके। आपातकाल के अधिकांश समय में, इंदिरा गांधी के अधिकांश राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई । गांधी शासन द्वारा 100,000 से अधिक राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और असंतुष्टों को कैद किया गया था। इस दौरान, उनके बेटे संजय गांधी द्वारा नसबंदी के लिए एक बड़े अभियान का नेतृत्व किया गया था ।
आपातकाल लगाने का अंतिम निर्णय इंदिरा गांधी द्वारा प्रस्तावित किया गया था, जिस पर भारत के राष्ट्रपति ने सहमति व्यक्त की थी , और जुलाई से अगस्त 1975 तक कैबिनेट और संसद द्वारा इसकी पुष्टि की गई थी। यह इस तर्क पर आधारित था कि भारतीय राज्य के लिए आसन्न आंतरिक और बाहरी खतरे थे।
राज्य सभा सदस्य नीरज शेखर ने उन दिनों का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उनदिनो हम लोग घुमने के लिए दुसरे प्रांत में एचएन शर्मा के साथ गए थे।किसी तरह बचके अपने घर ना आकर एचएन शर्मा के ही घर ठहरे।बाद में अपने आवास पर आए।मेरे पिता चन्द्र शेखर जी ही एक मात्र ऐसे नेता थे जो कांग्रेस में रहते हुए आपात काल का विरोध किये थे । उन्होंने जयप्रकाश नारायण को संत कहा।इसके चलते करीब 19 महीने तक चन्द्र शेखर जी जेल में रहे। बताया कि उन दिनों हम लोग आठ नौ साल के रहे होंगे।कहा कि आपातकाल का लोगों में इतना भय था कि हमारे घर उस दौरान कोई मिलने तक नहीं आया।
जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा कहा कि देश में इमरजेंसी लगे आज 50 साल पूरे हो चुके हैं।उस समय कांग्रेस की सरकार थी और इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं। तब देश में ऐसा तूफान उठा, जिससे हर एक भारतीय को जूझना पड़ा था। आपातकाल का वो काला अध्याय आज ही लोगों के जेहन में बुरे सपने की तरह जिंदा है।इतिहास भी उस काले अध्याय को अपने पन्ने से कभी मिटा नहीं सकेगा।
इस मौके पर लोकतंत्र रक्षक सेनानी गोपाल सिंह, देवेन्द्र त्रिपाठी,सुनिल बहादुर सिंह तथा ऋषि राज सिंह समेत डेढ़ दर्जन सेनानी को सम्मानित किया गया।इस मौके पर अध्यक्षता पूर्व मंत्री राजधारी सिंह व संचालन पूर्व महामंत्री सुरजीत सिंह परमार ने किया। उपस्थित लोगों में पूर्व विधायक शिवशंकर चौहान, विजय बहादुर सिंह, विनोद शंकर दूवे,जयप्रकाश साहू, धर्मेंद्र सिंह, धन्नजय कन्नौजिया,छठू राम, सुरेन्द्र सिंह, अमिताभ उपाध्याय,संजीव डम्पू,आलोक शुक्ला, अरुण सिंह बन्टू, अशोक यादव, नितेश मिश्रा, जावेद कमर खां,नितु पाण्डेय, सोनी तिवारी, स्वेता राय,संध्या पाण्डेय, अभिजीत तिवारी, नितेश सिंह,माधव प्रसाद, राजीव मोहन चौधरी, नकुल चौबे ,डा धर्मेंद्र सिंह आदि लोग उपस्थित थे।
लगायी गयी प्रदर्शिनी
बलिया।कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपात काल के काले अध्याय का पचासवां वर्ष के अवसर पर बुधवार को एक प्रदर्शनी लगाई गई।नगर के अग्रवाल धर्मशाला में लगाए गए इस प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने किया।इस प्रदर्शनी में आपात काल में दिए गए यातना से सम्बन्धित पोस्टर लगाए गए थे।जो उस समय की अनदेखी कहानी बयां कर रही थी।कैसे कैसे लोगोंकोआपातकालीन दंश झेलने पड़े।
प्रभारी मंत्री ने किया पौधरोपण
बलिया। आपातकाल विरोध दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने नगर स्थित शहीद पार्क में वृक्षारोपण भी किया।