राष्ट्रपति ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान सम-विश्वविद्यालय,बरेली के 11वें दीक्षांत समारोह में मेधावियों को पदक तथा उपाधि की प्रदान
आई0वी0आर0आई0 ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण के लिए अनेक टीके विकसित किए : राष्ट्रपति
आई0वी0आर0आई0 जेनेटिक बीमारियों की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता
चिकित्सक तथा शोधकर्ता के मन में बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना हो विभिन्न प्राणियों के संवर्धन से जैव विविधता बढ़ेगी, जिससे धरती और मानव जाति खुशहाल होगी
हमें प्रयास करना चाहिए कि सभी विश्वविद्यालयों में शोध और
क्वालिटी एजुकेशन हो तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन हो : राज्यपाल
बरेली भारत की पौराणिक नगरी, प्रदेश सरकार द्वारा
यहां पर नाथ कॉरिडोर विकसित किया जा रहा : मुख्यमंत्री
आई0वी0आर0आई0 ने मूक पशुओं को जीवन प्रदान करने के
साथ अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया
बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे प्रतिष्ठित पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
लखनऊ : 30 जून, 2025 :भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने आज जनपद बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान सम-विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में मेधावियों को पदक तथा उपाधि प्रदान की। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी उपस्थित थे। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति जी ने प्रो0 प्रदीप कुमार जोशी, डॉ0 मांगी लाल जाट को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि तथा डॉ0 राजकुमार पटेल, डॉ0 मेघा शर्मा, डॉ0 नवजोत सिंह ठाकुर, डॉ0 खुशबू चौधरी को गोल्ड मेडल तथा उपाधि प्रदान की।
राष्ट्रपति जी ने दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि पशु स्वास्थ्य एवं कल्याण से जुड़े इस ऐतिहासिक संस्थान में आप सभी के बीच उपस्थित होकर उन्हें हार्दिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। उन्होंने कहा कि पशुओं के प्लेग के नाम से जाने वाली रिंडरपेस्ट महामारी की रोकथाम के लिए सन् 1889 में स्थापित इस संस्थान ने अपनी 135 वर्ष से अधिक की यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
यहां के वैज्ञानिकों के शोध कार्यों का प्रमाण इस संस्थान के नाम दर्ज पेटेंट, डिजाइन तथा कॉपीराइट्स हैं। ‘प्रिवेंशन इस बेटर देन क्योर’ कहावत पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी पूरी तरह से लागू होती है। बीमारियों की रोकथाम में टीकाकरण की अहम भूमिका है। इस संस्थान के लिए यह गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए हैं।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि ‘ईशा वास्यम् इदं सर्वम्’ के जीवन मूल्य पर आधारित हमारी संस्कृति सभी जीव-जन्तुओं में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है। पशुओं से हमारे देवताओं एवं ऋषि-मुनियों का संवाद होता था, यह मान्यता भी उसी सोच पर आधारित है। भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में है। उन्होंने कहा कि वह ऐसे प्रसंगों का उल्लेख इसलिए कर रही हैं कि जब भी आप एक चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तो आपके मन में बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना हो। वह जिस परिवेश से आती है, वह सहज रूप से प्रकृति के निकट है। वहां मानव का वनों एवं वन्य जीव के साथ सह-अस्तित्व का रिश्ता है। सच कहा जाए, तो पशु और मानव का एक परिवार का रिश्ता है। आज तकनीकी का युग है, लेकिन जब तकनीकी नहीं थी, तब पशु ही लोगों का साधन और किसानों का बल हुआ करते थे। पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकता था। पशु हम लोगों के जीवन का धन है। उनके बिना हम जिंदगी के विषय में सोच ही नहीं सकते।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि जब विभिन्न प्राणियों का संवर्धन होगा, तब जैव विविधता बढ़ेगी। जैव विविधता युक्त धरती और मानव जाति खुशहाल होगी। आज गिद्ध भी विलुप्त हो चुके हैं। यह जैव विविधता के क्षरण का एक उदाहरण है। गिद्धों के विलुप्त प्राय होने के पीछे कई कारणों में एक, पशु चिकित्सा में उपयोग होने वाली रासायनिक दवाओं की भूमिका मानी जाती है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। उन्होंने वैज्ञानिकों द्वारा इस दिशा में उठाए गये कदमों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। अन्य कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान से जैव विविधता की वृद्धि में अग्रणी भूमिका निभाने और आदर्श प्रस्तुत करने का आह्वान किया।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज पदक प्राप्त करने वालों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है। बेटियां आज अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं। यह बहुत ही शुभ संकेत है। गांव में गाय एवं अन्य पशुओं से माता-बहनों का ज्यादा जुड़ाव होता है। राष्ट्रपति जी ने विद्यार्थियों से कहा कि आपने निरीह और बेजुबान पशुओं के चिकित्सा और कल्याण क्षेत्र को अपने करियर के रूप में आज चुना है। आपके इस चुनाव के पीछे ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः’ की भारतीय सोच का योगदान रहा है। आपके संस्थान का ध्येय वाक्य है ‘सत्वात् संजायते ज्ञानम्’ जिसका भावार्थ है कि सत्वगुण से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
राष्ट्रपति जी ने विश्वास व्यक्त किया कि विद्यार्थियों ने इसी भावना के साथ यहां शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भावना के साथ कार्य करते रहेंगे। राष्ट्रपति जी ने सलाह देते हुए कहा कि जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो तब आप उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए, जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है। आपको सही मार्ग अवश्य दिखाई देगा।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमिता एवं स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए इस संस्थान में ‘पशु विज्ञान इन्क्यूबेटर’ कार्यरत हैं। आप लोगों को इस सुविधा का लाभ लेते हुए अपने उद्यम स्थापित करने चाहिए। इससे आप जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे तथा देश की अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान देंगे। विश्व के प्रतिष्ठित संस्थानों एवं उद्योगों में सेवारत यहां के पूर्व विद्यार्थी भी इस कार्य में सहयोग एवं मार्गदर्शन कर सकते हैं।
आज दुनिया भर में ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा महत्व प्राप्त कर रही है। इस अवधारणा के अन्तर्गत यह माना जाता है कि मानव, घरेलू तथा जंगली जानवर वनस्पति और व्यापक पर्यावरण सभी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। हमें अपनी परम्परा और इस अवधारणा का अनुसरण करते हुए पशु कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। एक प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूप में आई0वी0आर0आई0 इस क्षेत्र में विशेष रूप से जेनेटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने और समझने की शक्ति दी है, उसका उपयोग सभी जीव-जन्तुओं के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। कोरोना महामारी ने मानव जाति को आगाह किया है कि उपभोग पर आधारित संस्कृति न केवल मानव जाति, बल्कि अन्य जीव-जन्तुओं एवं पर्यावरण को अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है। पशु कल्याण के लिए नियमित रूप से पशु आरोग्य मेलों का आयोजन होना चाहिए। इन मेलों के अंतर्गत गांव-गांव में कैंप लगाकर पशुओं की चिकित्सा होने से पशुओं के साथ-साथ समाज भी स्वस्थ रहेगा।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि आज गांव-गांव में पशु देखने को नहीं मिलते हैं। आज जमीन में केंचुआ सहित अन्य चीज खत्म हो रही हैं, जमीन बंजर बन रही है। इन सभी चीजों का संरक्षण करते हुए जमीन की उर्वरता बनाए रखने के बारे में किसानों, वैज्ञानिकों तथा चिकित्सकों सहित हम सभी को इस दिशा में सोचना चाहिए। पशु सम्पदा का संरक्षण एवं विकास हम सभी का कर्तव्य होना चाहिए। तकनीकी, अन्य क्षेत्रों की तरह पशु चिकित्सा एवं देखभाल में भी क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है। तकनीकी के प्रयोग से देश भर के पशु चिकित्सालयों को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम एडिटिंग, एम्ब्रयो ट्रांसफर टक्नोलॉजीज, आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस, बिग डाटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों के प्रयोग से इस क्षेत्र में क्रान्तिकारी बदलाव लाये जा सकते हैं। इन आधुनिकतम तकनीकों का उपयोग कर आई0वी0आर0आई0 जैसे संस्थानों को पशु रोगों के निदान एवं उनका पोषण उपलब्ध कराने के स्वदेशी एवं सस्ते उपाय जुटाने चाहिए। साथ ही, उन दवाआें के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके साइडइफेक्ट न केवल पशुओं बल्कि मनुष्य एवं पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह के माध्यम से विद्यार्थियों को वरिष्ठ लोगों से शुभकामनाएं, प्रेरणा और मार्गदर्शन मिलता है। हमें प्रयास करना चाहिए कि सभी विश्वविद्यालयों में शोध और क्वालिटी एजुकेशन हो तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन हो। बच्चों के टैलेंट को विकसित करने, महिलाओं, किसानों की आवश्यकताओं एवं समस्याओं के समाधान को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जाए। अयोध्या स्थित नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने नैक में ‘ए$$’ श्रेणी प्राप्त की। यह विश्वविद्यालय पूरे भारत में प्रथम नम्बर पर है। मेरठ के सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को ‘ए’ श्रेणी प्राप्त हुई है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने नाथ नगरी बरेली में राष्ट्रपति जी के आगमन पर प्रदेश सरकार एवं प्रदेशवासियों की तरफ से उनका स्वागत तथा अभिनंदन करते हुए कहा कि यह भारत की पौराणिक नगरी है। महाभारत कालखण्ड में पांचाल देश के रूप में इसकी पहचान थी। यहां पर देवाधिदेव महादेव के सात प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा नाथ कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें बाबा अलखनाथ, त्रिवटीनाथ, बाबा बनखण्डीनाथ, बाबा धोपश्वरनाथ, श्री तपेश्वरनाथ, श्री मणिनाथ और श्री पशुपतिनाथ मन्दिर अवस्थित हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आधुनिक भारत में 136 वर्ष पहले आई0वी0आर0आई0 संस्थान ने इस नगर को पहचान दी। इसके साथ ही, झुमके के रूप में भी बरेली की पहचान थी। हम सभी के लिए गौरव का क्षण है कि आज यहां पर राष्ट्रपति जी के भारत की वर्तमान पीढ़ी को इस क्षेत्र में डिग्री देने के समारोह के साक्षी बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आई0वी0आर0आई0 द्वारा किए गए शोध एवं कार्यों के माध्यम से मूक पशु को नया जीवन मिलता है। आई0वी0आर0आई0 के माध्यम से प्रदेश में पशुधन क्षेत्र के साथ ही, जीव-जन्तुओं को भी नया जीवन देने की सराहनीय सेवाएं प्राप्त होती हैं। हमारे लिए गौरव की बात है कि बरेली के इस संस्थान के माध्यम से उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत इन सेवाओं से लगातार लाभान्वित होता है। आई0वी0आर0आई0 ने कोविड महामारी के दौरान मनुष्य के जीवन को भी बचाने में अपना पूर्ण सहयोग दिया था। कोरोना कालखण्ड में यह संस्थान कोविड-19 परीक्षण के लिए उत्तर प्रदेश के नोडल केन्दो में से एक था। कोविड-19 की 02 लाख से अधिक जांच करने में संस्थान ने बड़ी भूमिका का निर्वहन किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आई0वी0आर0आई0 ने गौवंश की लम्पी स्किन डिजीज का टीका विकसित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे इस रोग को नियंत्रित करने में सफलता मिली। आई0वी0आर0आई0 ने मूक पशुओं को जीवन प्रदान करने के साथ अन्नदाता किसानों के जीवन में परिवर्तन लाने का काम किया है। उन्नत नस्ल के पशुधन प्रदान करने तथा पशु हित में किए जाने वाले सभी प्रयासों में आप सहभागी बने हैं। आई0वी0आर0आई0 की 136 वर्ष की साधना हम सभी को देखने को मिल रही है। आज यहां पर राष्ट्रपति जी ने वेटरिनरी साइंसेज के क्षेत्र में कार्य करने वाली भारत की पीढ़ी को डिग्री प्रदान कर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। यह प्रेरणा हम सभी के लिए एक अवसर है। हमारी पहचान तभी होती है, जब कोई संकट या चुनौती हमारे सामने आती है। हम किस मजबूती से उसे चुनौती का सामना कर पा रहे हैं, यह हमारे परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है।
पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बात कही थी कि आदमी को चाहिए कि वह जूझे, परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे, तो दूसरा गढ़े, किन्तु कितना भी ऊंचा उठे, मनुष्यता के स्तर पर से न गिरे, अपने धरातल को न छोड़े, अन्तर्यामी से मुंह न मोड़े, एक पांव धरती पर रखकर ही वामन भगवान ने आकाश-पाताल को जीता था, धरती ही धारण करती है, कोई इस पर भार न बने मिथ्या अभिमान से न तने।’
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यहां डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के जीवन का यह एक महत्वपूर्ण पल है। उनके अभिभावकों व मित्रों का सपना साकार हो रहा है। शिक्षकों के जीवन की साधना आपके रूप में समाज को प्राप्त हो रही है। समाज की सेवा के लिए आप सभी अर्पित किए जा रहे हैं। आप सभी अपनी सेवा के माध्यम से प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत की संकल्पना में अपना योगदान देंगे।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रपति जी में ज्ञान, भक्ति और कर्म की त्रिवेणी का संगम दिखाई देता है। बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भारत का सबसे प्रतिष्ठित पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान है। यह संस्थान भारत की ग्रामीण जीवन शैली, पशु पालन संस्कृति और वैज्ञानिक उन्नति का आधार है। इस संस्थान के वैज्ञानिकों ने पशु चिकित्सा क्षेत्र के साथ ही, ग्रामीण विकास, आजीविका, दुग्ध उत्पादन, टीका अनुसंधान, रोग निदान, जैव सुरक्षा जैसे मामलों में देश और दुनिया को दिशा देने का कार्य किया है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह समारोह केवल डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं है, इसके माध्यम से आपके ऊपर एक नया उत्तरदायित्व आया है। अपने के लिए तो सभी जीते हैं। आप लोगों को प्राप्त उपाधि देश सेवा के लिए है। प्रगति और विकास में योगदान देने का नया आयाम गढ़ने के लिए है।
इस अवसर पर झारखण्ड के राज्यपाल श्री संतोष कुमार गंगवार, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री भागीरथ चौधरी, केन्द्रीय कृषि अनुसंधान और शिक्षा सचिव श्री मांगी लाल जाट, निदेशक और उप कुलपति आई0सी0ए0आर0-आई0वी0आर0आई0 श्री त्रिवेणी दत्त सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा आई0वी0आर0आई0 के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।